11-01-2021
लगता है कांग्रेस पार्टी ने अमरिंदर सिंह का पाा साफ करने की ठान ली है। खुद कांग्रेसी होते हुए भी कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए इस समय स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। जहां एक तरफ कांग्रेस पूरी तरह बैकफुट पर होने के बावजूद अराजकतावादियों से भरे ‘किसान आंदोलनÓ को बढ़ावा देते रहना चाहती है, तो वहीं अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में पंजाब कांग्रेस चाहती है कि प्रदर्शनकारी सरकार के पक्ष का मान रखते हुए बातचीत के जरिए एक हल निकाले।
2017 के बाद यह पहली बार है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह और राहुल गांधी के बीच स्पष्ट तौर पर भिड़ंत हो रही है। जब 2017 में विधानसभा चुनाव होने थे, तब भी कांग्रेस और अमरिंदर सिंह के बीच भिड़ंत हुई थी, योंकि कांग्रेस की राष्ट्रीय इकाई नहीं चाहती थी कि अमरिंदर सिंह सीएम पद के उ मीदवार बने। तब अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस हाईकमान को अपना निर्णय बदलने पर विवश किया था, लेकिन अब उनके लिए ये लड़ाई इतनी भी सरल नहीं होगी।
अब राहुल गांधी द्वारा अमरिंदर सिंह के प्रभुत्व को कुचलने के अपने प्रमुख कारण है। महोदय अब जल्द ही कांग्रेस अध्यक्ष दोबारा बन सकते हैं, और वे नहीं चाहते कि वर्तमान ‘किसान आंदोलनÓ बिना किसी परिणाम के खत्म हो जाए। वहीं, दूसरी ओर अमरिंदर सिंह इस आंदोलन को राज्य सरकार और कांग्रेस के लिए हानिकारक मानते हैं [जो वास्तविकता भी है] और वे इसे जल्द से जल्द खत्म करना चाहते हैं।
पर दोनों में किस बात के लिए इतनी तनातनी है? दरअसल, राहुल गांधी अपने निजी लाभ के लिए शाहीन बाग की तर्ज पर एक बार फिर देश को आग में झोंकना चाहते है, लेकिन अमरिंदर सिंह इस कुत्सित सोच से सहमत नहीं है, योंकि इससे स्वयं पंजाब की अर्थव्यवस्था को जबरदस्त नुकसान पहुंच रहा है। इसके अलावा अमरिंदर सिंह राहुल गांधी के मित्र और कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू के भड़काऊ बयानों से भी काफी कुपित है, जहां उन्होंने मांगें पूरी न होने पर ‘लाशें बिछा देनेÓ की धमकी भी दी थी।
अब इस तनातनी से स्पष्ट है कि बात किसानों के अधिकार की कभी थी ही नहीं, योंकि यदि होता तो ये आंदोलन कब का खत्म हो चुका होता, और सरकार से बातचीत कर ‘किसानÓ अपने अपने काम पर पुन: लग चुके होते। ‘किसान आंदोलनÓ दरअसल राहुल गांधी और अमरिंदर सिंह के बीच की लड़ाई है, जिसमें राहुल गांधी किसी भी तरह अपना पलड़ा भारी करना चाहते हैं।
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