09-01-2021
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद यानि हृस्ष्ट से पाकिस्तान, तालिबान और तुर्की जैसे देशों के लिए बेहद बुरी खबर आई है, और वह बुरी खबर यह है कि अब इन तीनों देशों की गर्दन हृस्ष्ट में जल्द ही भारत के हाथों में आने वाली है। दरअसल, भारत अगले साल ही UNSC की तीन प्रमुख आतंक-विरोधी कमिटियों की अध्यक्षता करने वाला है, जहां बैठकर भारत पाकिस्तान और तुर्की द्वारा खड़े किए गए आतंक के नेटवर्क के खिलाफ निर्णायक जंग छेड़ सकता है। वो तीन प्रमुख कमिटियाँ हैं- तालिबान सेंशन कमेटी, काउंटर टेरेरिज्?म कमेटी और लीबिया सेंशन कमेटी!
आगे बढऩे से पहले यह जान लेते हैं कि आखिर इन कमिटियों का काम या होता है। दरअसल, तालिबान सेंशन कमिटी को वर्ष 1999 में लागू किया गया था और इसका मुय मकसद है अफग़़ानिस्तान के तालिबानी आतंकियों पर नकेल कसना और इनकी फंडिंग पर रोक लगाकर इन्हें प्रतिबंधित करना! ऐसे में भारत इस कमिटी की अध्यक्षता करते हुए अपनी अफग़ान नीति को तेजी से आगे बढ़ा सकता है। भारत शुरू से ही अफग़़ानिस्तान में तालिबान के प्रभाव को कम से कम रखने का पक्षधर रहा है। भारत हाल ही में अफग़ान शांति वार्ता के दौरान तालिबान द्वारा की जा रही हिंसा का भी कड़ा विरोध कर चुका है। ऐसे में अगले वर्ष भारत अपनी ताकतों का इस्तेमाल करते हुए हृस्ष्ट के माध्यम से तालिबान के आतंकियों के विरुद्ध बड़ी लड़ाई छेड़ सकता है।
इसी प्रकार भारत अगले साल काउंटर टेरेरिज्?म कमेटी का भी अध्यक्ष बनने वाला है। वर्ष 2001 में अमेरिका में हुए 9/11 हमलों के बाद इसे बनाया गया था और इसका मकसद है दुनियाभर में फैले आतंकवाद और उनके समर्थकों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करना। ज़ाहिर सी बात है कि पाकिस्तान के लिए यह किसी भी सूरत अच्छी खबर तो नहीं है! पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का शिकार बनने वाला भारत हृस्ष्ट के तहत अपने हाथ में आए इस सुनहरे मौके को बिलकुल नहीं छोडऩा चाहेगा। भारत इस कमिटी का अध्यक्ष रहने के दौरान ना सिर्फ पाकिस्तानी आतंकियों पर नकेल कस पाएगा बल्कि पाकिस्तानी सरकार पर भी अभूतपूर्व अंतर्राष्ट्रीय दबाव बना पाएगा।
इसी प्रकार लीबिया सें?शन कमेटी के माध्यम से भारत तुर्की पर नकेल कस सकता है जो इस देश में Government of National Accord यानि GNA का समर्थन कर देश के संसाधनों पर क
ज़ा जमाने की कोशिश में है। लीबिया में तुर्की ने अपनी सीरियाई लड़ाकों और आतंकियों को भेजकर UAE, फ्रांस और रूस द्वारा समर्थित जनरल खलीफ़ा ह़तार की Libyan National Army के खिलाफ युद्ध छेड़ चुका है। इसके अलावा वह इस आतंक नेटवर्क की फंडिंग कर पड़ोसी देशों जैसे इजिप्ट के लिए भी मुश्किलें बढ़ा रहा है। इसके साथ ही तुर्की भारत के कश्मीर में भी अपने आतंक के नेटवर्क को मजबूत करने की कोशिश में जुटा है। स्पष्ट है कि भारत लीबिया सें?शन कमेटी के माध्यम से तुर्की के होश ठिकाने लगाने के लिए कई कदम उठा सकता है।
भारत में मोदी सरकार शुरू से ही आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाती रही है और ऐसे समय में आतंक के खिलाफ लड़ाई को और बल देने के लिए भारत अपनी अध्यक्षता का भरपूर फायदा उठा सकता है। भारत आतंक के खिलाफ अभूतपूर्व लड़ाई छेड़कर दुनिया को यह संदेश भी देना चाहेगा कि हृस्ष्ट का स्थायी सदस्य बनकर भारत असल में दुनिया में या बदलाव ला सकता है! वर्ष 2022 में आतंक के खिलाफ दुनिया को भारत का वह रूप देखने को मिलेगा, जो आजतक दुनिया ने नहीं देखा! और यही कारण है कि तुर्की, पाकिस्तान और तालिबान जैसे आतंकी समर्थकों के लिए यह खबर बेहद दुर्भाग्यपूर्ण रहने वाली है।
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