अनेक प्रकार की रक्षा सौदों में सोनिया गांधी ही नहीं उनके राजीव गांधी के भी संबंध रहे हैं। इस संपादकीय में रॉबर्ट वाड्रा के भी रक्षा सौदों के संंबंध में कुछ चर्चा है।
राहुल गांधी चीनी राजदूत से गुपचुप मिले। इतना ही नहीं राहुल गांधी के साथ चीनी राजदूत से मिलने प्रियंका और उनके पति राबर्ट वाड्रा तथा पुत्र मयंक भी थे। डोकलाम विवाद के समय यह भेंट कुछ संदेह उत्पन्न करती है।
चर्चा यह भी रही है कि उक्त भेंट रॉबर्ट वाड्रा की कुछ बिजनेस डील चीनी राजदूत के माध्यम से होने वाली थी।
यूपीए शासनकाल के समय सोनिया गांधी गांधी और वाड्रा परिवार के साथ चीन की यात्रा भी की थी। लौटने पर सोनिया जी ने कहा था कि चीन से हमें बहुत कुछ सीखना है।
सोनिया गांधी के निर्देश पर मणिशंकर अय्यर पाकिस्तान में जाकर मोदी सरकार को हटाने के लिये सहायता की मांग की थी। इसके बाद राहुल गांधी के निर्देश पर नवजोत सिंह सिद्धू भी पाकिस्तान गये और वहॉ के आर्मी चीफ बाजवा को गले लगाये।
अभी पाक और भारत के विदेशमंत्रियों की मुलाकात रद्द हो जाने से क्षुब्द इमरान खान ने प्रतिक्रिया देते हुए भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को छोटा और अप्रत्यक्ष रूप से राहुल–अय्यर गेंग को महान बताया।
गुजरात विधानसभा चुनाव के समय अय्यर के घर में रात्रि भोज में पाकिस्तानी राजदूत और वहॉ के पूर्व विदेशमंत्री के साथ मनमोहन सिंह और हामिद अंसारी के साथ नजर आये थे।
इस प्रकार की अनेक घटनाओं के संदर्भ में हमने अनुभव किया है कि राहुल गांधी सत्ता हथियाने के लिये शहरी नक्सलियों की ही नहीं बल्कि पाकिस्तान और चीन की भी मदद लेने को तत्पर हैं। यह तो एक पक्ष हुआ।
अब इस संपादकीय में जिस बात की चर्चा है वह यह है कि जिस प्रकार से गांधी–वाड्रा परिवार की लींक हवाला कारोबारियों और पाक में बैठे हाफिज सईद जैसे आतंकवादी सरगनाओं से है वैसे ही भारत के ब्लैक लिस्टेड आम्र्स डीलरों से भी इनके संबंध हैं। अगस्ता वेस्टलैंड स्कैंडल में सिग्रोरा गांधी का नाम इटली के हाईकोर्ट में दर्ज है।
अब राफेल डील का प्रारंभ यूपीए शासनकाल में २८ अगस्त २००६ से प्रारंभ हुआ था तब उसमें भी रॉबर्ट वाड्रा के पार्टनर ब्लैक लिस्टेड भगोड़े आम्र्स डीलर संजय भंडारी का प्रवेश हुआ था। वे इस डील को हथियाने में चूंक गये।
इसी कारण राहुल गांधी राफेड डील के संबंध में झूठ का पुलिंदा लिये उछल–कूद कर रहे हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को कथित तौर पर चोर कहे जाने पर सरकार ने जवाबी हमला किया है. केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि राहुल गांधी पाकिस्तान के हाथों खेल रहे हैं. वे चीन और पाक को सारा डिटेल देना चाहते हैं. उन्हें शर्म आनी चाहिए।
यहॉ यह उल्लेखनीय है कि जनवरी २०१२ में यूपीए ने दसॉ को एलवन दिया।
यूपीए ने 27-6-2012 को डील रि–एक्जामिन करने के लिए कहा, क्यों.
क्योंकि घूस नहीं मिला. इसलिए डील रि–एक्जामिन करवाया.
2012 में ही रिलायंस के साथ रूह्र हुआ था, दसॉ के साथ, फरवरी महीने में।
इन तथ्यों से तो यह स्पष्ट है कि रिलायंस का राफेल सौदों में प्रवेश ए.के.एंटोनी जब रक्षामंत्री थे उसी समय हुआ था। एनडीए सरकार ने तो १०/०४/२०१५ को सैद्धांतिक समझौता किया और २३–०९–२०१६ को डील फाइनल किया।
यूपीए शासनकाल के समय राबर्ट वाड्रा के पार्टनर संजय भंडारी की फर्म ओआईएस कंपनी को राफेल डील दिलाने का प्रयास ओलांद के माध्यम से फ्रांस की दसॉ को प्रभावित करने के लिये हुआ था।
परंतु दशा को यह मालुम हो गया कि ओआईएस कंपनी के संजय भंडारी का संबंध डीएलएफ वाड्रा स्कैंडल से है। यह जानकारी होने पर दसॉ ने निर्णय लिया कि संजय भंडारी की कंपनी का नाम राफेल डील से हटा दिया जाये।
इसके बाद यूपीए शासनकाल में ही रिलायंस का नाम इस डील में आया। इसकी चर्चा मैं ऊपर कर चुका हूं।
इससे स्पष्ट है कि अगस्टा वेस्टलैंड स्कैंडल जैसे ही यूपीए शासनकाल में राफेल डील में भी किये जाने का प्रयास संजय भंडारी की कंपनी को प्रवेश दिलाकर हुआ था।
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