भारत के उत्तर–पूर्व में सात राज्य हैं। इन्हें ‘सात–बहनेंÓ या ‘सेवन–सिस्टर्सÓ के नाम से भी जाना जाता है।
ये सात राज्य हैं अरूणाचल, आसाम, नागालैंड, मेघालय, मणिपुर, त्रिपुरा, मिजोरम।
पीएम मोदी ने भाजपा के कार्यकर्ताओं से कहा था कि जब सूर्य अस्त होता है तो लाल रंग का होता है और जब उदय होता है तो केसरिया रंग का होता है.
मोदी जी ने यह भी स्पष्ट किया कि जो वास्तु शास्त्र वाले लोग होते हैं वो एक मान्यता रखते हैं कि वास्तु शास्त्र के हिसाब से इमारत की जो रचना होती है, उसमें नॉर्थ ईस्ट का कोना सबसे महत्वपूर्ण होता है. अगर एक बार नॉर्थ ईस्ट ठीक हो गया तो सब कुछ ठीक हो जाता है. आज देश का नॉर्थ ईस्ट विकास की यात्रा की अगुवाई कर रहा है.
यही कारण है कि पीएम मोदी ने एक्ट ईस्ट की नीति पर चलने का दृढ संकल्प लिया था।
दूसरा एक मंत्र मोदी जी का रहा है सबका साथ सबका विकास, भारत की १२५ करोड़ जनता की भलाई के लिये समर्पित सरकार।
उसी का परिणाम यह है कि आज नार्थ ईस्ट राज्यों में शून्य से चलकर प्राय: सभी राज्यों में सिर्फ मिजोरम को छोड़कर भाजपा की सरकारे हैं।
असम को छोड़ दिया जाए तो साल 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले देश के उत्तरपूर्वी राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की मौजूदगी कुछ ख़ास नहीं थी.
देश के कई हिस्सों में सफल चुनावी रैलियां आयोजित कर चुके प्रधानमंत्री और भाजपा के लिए त्रिपुरा के अगरतला के स्वामी विवेकानंद स्टेडियम में रैली के लिए कम लोगों का आना चिंताजनक था.
लेकिन साल 2016 में भाजपा ने असम में सत्तारूढ़ कांग्रेस को बड़े फर्क से हराया और यहां की सत्ता पर काबिज़ हो गई.
पार्टी पर कऱीब से नजऱ रखने वाले मानते हैं कि उत्तरपूर्वी राज्यों में पैठ बनाने की कोशिश कर रही भाजपा के लिए ये एक निर्णायक मोड़ था.
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कांग्रेस को पूर्वोत्तर में बड़ा झटका, 5 बार सीएम रहे इस दिग्गज लापांग ने छोड़ा कांग्रेस का ‘हाथÓ, बोले– वरिष्ठ नेताओं को ‘भावÓ नहीं दे रही पार्टी।
इसके अलावा मिजोरम के गृहमंत्री ललजिरलियाना ने दिया इस्तीफा, कांग्रेस की बढ़ गई हैं मुश्किलें।
मेघालय में भाजपा दो विधायकों के दम पर सरकार बना कर राज कर रही है।
बीजेपी को 2019 के चुनाव में पूर्वोत्तर राज्यों से उम्मीद : साल 2014 में आठ पूर्वोत्तर राज्यों की कुल 25 लोकसभा सीटों में से बीजेपी ने सिर्फ 8 सीटें ही जीती थीं. इस साल बीजेपी के सामने ईसाई बहुल दो राज्य मेघालय और मिज़ोरम को जीतना सबसे बड़ी चुनौती होगी. इसके लिए पार्टी ने दिवंगत पीएस संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी के साथ गठबंधन किया है जिसमें हाल ही में कांग्रेस के 5 विधायक अपनी पार्टी छोड़कर शामिल हो गए हैं. कांग्रेस भी बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने के लिए गौमांस खाने को लेकर बड़ा मुद्दा बना रही है क्योंकि दोनों ही राज्यों में लोग पारंपरिक तौर पर गौमांस खाते हैं.
मिज़ोरम में भी पारंपरिक तौर पर चर्च का दबदबा रहता है और मौजूदा कांग्रेस सरकार बीजेपी और आरएसएस की विभाजन की राजनीति को जमकर मुद्दा बना रही है. वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने मिज़ोरम में ज़बर्दस्त प्रदर्शन कर 40 में से 34 सीटें जीती थीं. त्रिपुरा में बीजेपी की सीधी लड़ाई लेफ़्ट से है जहां कुछ दिन पहले ही ढ्ढक्कस्नञ्ज के पांच बड़े नेताओं ने बीजेपी का दामन थामा है. बीजेपी लगातार दूसरे दलों को तोड़कर पार्टी को मज़बूत करने की रणनीति पर अब तक सफ़ल रही है, बीजेपी मिज़ोरम और त्रिपुरा में भी सरकार बना चुकी है।
त्रिपुरा में हुए पिछले विधानसभा चुनावों में 50 सीटों पर लडऩे वाली और उनमें से 49 सीटों पर ज़मानत जब्त करवाने वाली भारतीय जनता पार्टी ने इस बार के विधानसभा चुनावों में जिस तरह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को शून्य पर समेट दिया और वापमंथ के मजबूत गढ़ को जिस तरह से ढहाया वह भारतीय राजनीति में अभूतपूर्व घटना है.
यहॉ यह उल्लेखनीय है कि मिजोरम जहॉ इसी वर्ष दिसंबर में चुनाव होने हैं वहॉ की कांगे्रस भी राहुल गांधी के विरूद्ध झंडा बुलंद कर चुकी है। पेट्रोल र्इंधन की बढ़ी कीमतों के खिलाफ जो भारत बंद का आयोजन हुआ था उसमें मिजोरम की कांग्रेस शामिल नहीं हुई थी और आज मिजोरम के गृहमंत्री ललजिरलियाना ने भी स्तीफा देकर संकेत दे दिया है कि वहॉ अब कमल ही खिलने वाला है।
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