पेट्रोल–डीजल के बढ़ते दामों के खिलाफ सोमवार को कांग्रेस ने भारत बंद का ऐलान किया है। भारत बंद के खिलाफ भले ही कांग्रेस ने 21 दलों के समर्थन का दावा किया हो, लेकिन एक बार फि र तृणमूल कांग्रेस नेता ममता बनर्जी ने कांग्रेस की अगुवाई वाले किसी कदम का सीधेतौर पर समर्थन नहीं करने का फैसला किया है। इससे पहले भी कई मौकों पर तृणमूल कांग्रेस की नेता ने कांग्रेस से दूरी बनाए रखी है।
तेलगु देशम और बीजू जनता दल तो पहले से ही कांग्रेस से खफा हैं।
राजनीतिक गलियारे में 2019 के आम चुनावों को इसके पीछे मुख्य वजह बताई जा रही है। दरअसल सूत्रों के मुताबिक आम चुनावों के ठीक पहले कांग्रेस राहुल गांधी के नेतृत्व में भारत बंद के आयोजन के साथ भाजपा के खिलाफ सबसे बड़ी संघर्षशील ताकत के रूप में उभरते हुए दिखना चाहती है। इस तरह वह विपक्ष की धुरी बनना चाहती है।
ऐसा होने की स्थिति में स्वाभाविक रूप से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी विपक्ष के सबसे बड़े नेता बनेंगे। इसी कारण ममता बनर्जी कांग्रेस की अगुआई वाले किसी अभियान का हिस्?सा नहीं बनना चाहती। वह दरअसल गैर–कांग्रेसी और गैर–भाजपा क्षेत्रीय शक्तियों को एकजुट कर तीसरी ताकत के रूप में आम चुनाव में उतरना चाहती हैं।
दिल्ली में राहुल गांधी के मंच पर समाजवादी पार्टी और बसपा जैसे बड़े दलों का नेता नहीं दिखा।
इस आधार पर हम कह सकते हैं कि मोदी के खिलाफ पर कांग्रेस अधूरा विपक्ष लेकर ही धरने पर उतरी है।
राहुल गांधी और सोनिया गांधी के साथ कहीं पर भी न अखिलेश दिखे और न ही मायावती।
भारत बंद से शिवसेना ने बनाई है दूरी :
एक अखबार के अनुसार, शिवसेना एक वरिष्ठ नेता ने बताया, ‘अमित शाह की तरफ से फोन आया था। सीएम देवेंद्र फडणवीस ने भी कॉल की थी। अब हमने खुले रूप से बंद को समर्थन न देने का निर्णय लिया है। हम खुद से ही पेट्रोल की बढ़ी कीमतों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं और बीजेपी सरकार की नीतियों का मुखर विरोध भी कर रहे हैं।Ó
Óभारत बंदÓ में शामिल नहीं हुई मिजोरम प्रदेश कांग्रेस, राज्य में दिखा ही नहीं असर :
पेट्रोल, डीजल की बढ़ती कीमत के विरोध में ‘भारत बंदÓ का आह्वान किया गया। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में विपक्ष एकजुट हुआ लेकिन खुद मिजोरम कांग्रेस इस विरोध में शामिल नहीं हुई।
कांग्रेस ने दावा किया कि उसके भारत बंद को 21 विपक्षी दलों का समर्थन हासिल है।
लेकिन मिजोरम में जहां कांग्रेस की सरकार है, वहां ‘भारत बंदÓ का असर नजर नहीं आया। यहां दुकानें, कार्यालय और स्कूल–कॉलेज खुले रहे। मिजोरम प्रदेश कांग्रेस समिति (एमपीसीसी) और विपक्षी दल, कोई भी इसमें शामिल नहीं हुआ। एमपीसीसी के उपाध्यक्ष और राज्य के गृह मंत्री आर लालजिरलांगा ने भाषा को बताया कि राज्य में ‘भारत बंदÓ में शामिल होने के बारे में चर्चा नहीं हुई, न ही इस मुद्दे पर किसी बैठक का आयोजन किया गया।
इधर राजघाट पर राहुल ने महत्मा गांधी की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित की। मार्च समाप्त होने के बाद सभी विपक्षी नेता रामलीला मैदान के पास एक इंडियन ऑयल पेट्रोल पंप के पास एकत्र हो गए, जहां यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह मौजूद थे।
यहॉ यह उल्लेखनीय है कि अगले एक–दो माह में जिन पांच विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं उनमें मिजोरम भी एक है।
इस प्रकार से हम कह सकते हैँ कि भारत बंद के जरिये राहुल गांधी जो २०१९ के चुनाव में विपक्षी नेताओं का नेतृत्व करने का स्पप्र देख रहे थे वह दिवास्वप्र ही रह गया है।
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