जेटली जी ने मोदी से हाथ क्यों नहीं मिलाया राज्यसभा में यह चर्चा का विषय बना हुआ है।
कांग्रेस ने तो इस मुद्दे को भी सियासी चश्में से देखना शुरू कर दिया है और हाथ न मिलाने का कारण जेटली जी और पीएम मोदी के बीच बढ़ती दूरियां बताया है।
बीबीसी की एक न्यूज में इसका कारण मेडिकल भी बताया गया है। इसकी चर्चा करने के पूर्व मैं यह भी समझता हूं कि जेटली जी द्वारा पीएम मोदी से हाथ न मिलाना उचित ही था। भले ही यह जाने-अंजाने में हुआ हो।
पीएम मोदी जेटली जी से वरिष्ठ हैं इसलिये उनके द्वारा मोदी जी से हाथ न मिलाकर उन्हें नमस्ते करना भारतीय संस्कृति का घोतक है।
इस संबंध में मुझे एक वाकया का स्मरण हो रहा है। योगी आदित्यनाथ जी जब गोरखनाथ मठ में थे तब उनसे मिलने के लिये अशोक सिंघल जी गये थे। वहॉ पहुंचकर सिंघल जी योगी जी के चरण स्पर्श करने लगे। इस पर तुरंत योगी जी उठ खड़े हुए और उन्होंने कहा सिंघल जी मैं तो आपका स्वयंसेवक हूं आपका चरण स्पर्श तो मुझे करना चाहिये।
इस पर अशोक सिंघल जी ने कहा कि मैं गोरखनाथ मठ के मठाधीश के चरण स्पर्श कर रहा हूं योगी आदित्यनाथ के नहीं।
इसी से संबंधित दूसरी घटना कुछ दिनों पूर्व की है। यूपी के पुलिस अधिकारी ने पुलिस वर्दी में योगी जी को गुरू मानते हुए उनकी पूजा अर्चना की। इस पर मीडिया में चर्चा हुई। विरोधी पार्टियोंं ने आलोचना की।
सीएम योगी के ऑफिस से स्पष्टीकरण आया कि पुलिस ऑफिसर योगी आदित्यनाथ का नहीं गोरखनाथ के महंत को अपना गुरू मानते हुए पुलिस आफिसर ने पूजा – अर्चना की है।
चूंकि राहुल गांधी का जन्म इटली में हुआ है वे पाश्चात्य संस्कृति में पले-बढ़े हैं। नेहरू ने तो स्वयं कहा था कि वे शिक्षा से अंगे्रज हैं और संस्कृति से मुसलमान हैं तथा घटनावश हिन्दू हैं।
अतएव नेहरू और राहुल की कांग्रेस को जेटली द्वारा मोदी जी से हाथ ना मिलाया जाना उनके बीच दूरियां ही नजर आयेगी।
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