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कांग्रेस के लिये ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता क्या है?

article – 27-oct-2020

जिस प्रकार से कांगे्रस शासित प्रदेश पंजाब में पंजाब में प्रधानमंत्री का पुतला जलाए जाने की घटना: २५ अक्टूबर २०२० रविवार को पंजाब में कुछ लोगों ने रावण के पुतले में पीएम मोदी का मुखौटा लगाकर इस पुतले को जलाया था। कांग्रेस के लिये क्या यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है? 

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर फारूक अब्दुल्ला ने कहा था – चीन की मदद से बहाल हो सकता है अनुच्छेद ३७०। 

सोनिया पर बरसे जावड़ेकर, कहा- ‘लोकतंत्र से चुने प्रधानमंत्री के, प्रतिमा का दहन करना पाखंडÓ

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी शाहीनबाग का समर्थन कर रही कांग्रेस बोले प्रकाश जावड़़ेकर।

रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के एक हजार कर्मचारियों के खिलाफ  मुंबई पुलिस ने स्नढ्ढक्र दर्ज की है। रिपब्लिक के खिलाफ साजिश पर बोलीं निर्मला सीतारमण, ‘महाराष्ट्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खतरे में हैÓ।

कांग्रेस खुद अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर बड़े-बड़े पन्ने लिखती है लेकिन जहां भी कांग्रेस की सरकार है वहीं ये सबसे ज्यादा खतरे में है: वित्तमंत्री सीतारमण 

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि ये तो कांग्रेस का डीएनए है और महाराष्ट्र सरकार भी यही कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ इतना बोला गया लेकिन कभी किसी के खिलाफ कुछ एक्शन हुआ लेकिन महाराष्ट्र में इतने लोगों पर एफआईआर की गई। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खतरे में है।  जहां भी कांग्रेस और उनकी गठबंधन की सरकार है वहां ऐसा ही हो रहा है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचलने के लिए कांग्रेस किसी भी हद तक जा सकती है। 

 सोनिया गांधी ने हिंदुस्तान टाइम्स में लिखे गए लेख में लिखा है कि अभिव्यक्ति की आजादी पर चोट की जा रही है। जो भी सरकार से असहमति दिखाता है उसे आतंकवाद से जोड़ा जाता है या फिर देश विरोधी करार दे दिया जाता है। सोनिया गांधी ने राष्ट्रवाद और उसपर आए खतरे को भी कथित कहा है। इसको लेकर उन्होंने लिखा है कि मोदी सरकार लोगों को ध्यान असली मुद्दों से भटकाकर राष्ट्रीय सुरक्षा पर आए कथित खतरे की तरफ मोड रही है। 

वहीं इस लेख को लेकर भाजपा की तरफ से पलटवार किया गया है।

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इसको लेकर अपने ट्वीट में लिखा है कि, “सोनिया गांधी का आज का लेख एक पाखंड है। लोकतंत्र पर भाषण देकर, लोकतंत्र से चुने प्रधानमंत्री के, प्रतिमा का दहन करना यही वह पाखंड है। जनता ने उनके बेटे को प्रधानमंत्री की कुर्सी ना देकर एक गरीब, मगर मजबूत और निर्भय नेता को दी  इसका दु:ख इसमें झलकता है।” उन्होंने लिखा कि, “सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग आंदोलन को अनुचित ठहराने के बाद भी कांग्रेस उसका समर्थन कर रही है। मोदी सरकार ने वहा लाठी भी नहीं चलाई। आपने रामलीला मैदान में सोये प्रदर्शनकारियों को कैसे पीटा, भूल गये ? लोग नहीं भूले!”

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर 

फारूक अब्दुल्ला ने कहा- चीन की मदद से बहाल हो सकता है अनुच्छेद ३७०

११ ह्रष्ह्ल २०२० –

 नेशनल कांफ्रेंस के नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने अनुच्छेद ३७० को लेकर विवादित बयान दिया । उन्होंने उम्मीद जताई कि जम्मू-कश्मीर में दोबारा अनुच्छेद ३७० की बहाली में चीन से मदद मिल सकती है। 

फारूक अब्दुल्ला ने इंडिया टुडे से बातचीत में कहा, ‘Óजहां तक चीन का सवाल है मैंने तो कभी चीन के राष्ट्रपति को यहां बुलाया नहीं। हमारे वजीर-ए-आजम (प्रधानमंत्री) ने उसे गुजरात में बुलाया, उसे झूले पर भी बिठाया, उसे चेन्नई भी ले गए, वहां भी उसे खूब खिलाया, मगर उन्हें वह पंसद नहीं आया, और उन्होंने आर्टिकल ३७० को लेकर कहा कि हमें यह कबूल नहीं है। और जब तक आप आर्टिकल ३७० को बहाल नहीं करेंगे, हम रुकने वाले नहीं हैं, क्योंकि तुम्हारे पास अब यह खुल्ला मामला हो गया है। अल्लाह करे कि उनके इस जोर से हमारे लोगों को मदद मिले और अनुच्छेद ३७० और ३५ए बहाल हो।ÓÓ