कांंग्रेस मुस्लिम पार्टी हैÓ मियां राहुल गांधी की इस स्वीकारोक्ति की गवाह कांग्रेस पार्टी के ही अल्पसंख्यक बोर्ड के अध्यक्ष और उर्दू अखबार के संपादक बनने के उपरांत यह स्पष्ट है कि मियां की दौड़ मस्जिद तक कहावत को चरितार्थ करते हुए अब राहुल गांधी यह समझ रहे हैं कि मस्जिद ही पूरा विश्व है।
इंदिरा इज इण्डिया के बाद अब राहुल गांधी अपने आपको ब्रम्हाण्ड समझ बैठे हैं। उन्हें कांग्रेस के प्रवक्त सूरजेवाला ने शिव भक्त कहा। परंतु राहुल गांधी अपने आपको शिव भक्त न कहकर अपने आपको शिव जाहिर करना चाहते हैं: जीव हूँ मैं मैं ही ब्रह्म हूँ सम्पूर्ण जगत हूँ निरंजन हूँ विकराल काल हूँ मैं एक लघु पल हूँ मैं ही अमर हूँ प्रत्येक मृत्यु मैं मैं ही मरता भी मैं हूँ महा पर्वत मैं हूँ सूक्ष्म त्रीण भी मैं ही हूँ पृथ्वी मैं हूँ आकाश भी मैं ही हूँ वंदन मैं हूँ मुक्ति मैं हूँ काल क्रोध विष और अमृत भी मैं ही हूँ ज्ञान भी हूँ अज्ञान भी प्रकाश हूँ अन्धकार भी दुविधा मैं हूँ निर्णय भी मैं हूँ शान्ति मैं और समस्त अशांति भी मैं हूँ मैं ही ब्रह्मा मैं ही नारायण मैं महादेव हूँ……….!! ? नम: शिवाय
भारत में कई ऐसे पाखंडी विचर रहे हैं जो अपने आपको ही भगवान समझ रहे हैं। राहुल गांधी भी अब उनमें से एक हो गये हैं।
नेहरू ने कहा था वे शिक्षा से अंगे्रज हैं, संस्कृति से मुसलमान हैं और घटनावश हिन्दू कुटुम्ब में जन्म लिये हैं।
राहुल गांधी भी ऐसा समझ रहे हैं कि उनके दादा फिरोज गांधी थे, मां कैथोलिक क्रिस्चियन है, उनका जन्म इटली में हुआ है, शिक्षा लंदन में हुई है और नेतागिरी भारत में कर रहे हैं। अतएव वे ही ब्रम्हाण्ड हैं।
इसके अलावा वे जानते हैं कि कांग्रेस पर ६० वर्षों तक नेहरू–गांधी परिवार का आधिपत्य रहा है और उसी वंशवाद के चलते आज वे भी कांगे्रस के अध्यक्ष हैं। इसलिये वे कह बैठे हैं कि ‘मैं ही कांग्रेस हूंÓ।
राहुल गांधी को पूर्वजों से विरासत में मिली है Óमैं ही कांग्रेस हूं‘ की भाषा!
11 जुलाई को राहुल गांधी ने स्वीकार किया था कि ‘कांग्रेस मुसलमानों की पार्टीÓ है। इस विवाद के बीच मंगलवार को राहुल गांधी ने आज कहा, यानि “मैं ही कांग्रेस हूं।” राहुल गांधी के इस बयान से स्पष्ट है कि वे खुद को ‘सर्वशक्तिमानÓ मानते हैं और अपनी पार्टी के अन्य नेताओं और कार्यकर्ताओं को ‘तुच्छÓ समझते हैं।
दरअसल राहुल गांधी उसी भाषा में बात कर रहे हैं जो उन्हें अपने ही पूर्वजों से विरासत के रूप में मिली हैं। देश की सत्ता पर 38 वर्षों तक प्रत्यक्ष रूप से जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी और सोनिया गांधी ने अप्रत्यक्ष रूप से 10 वर्षों तक शासन किया है। इस दौरान कई ऐसे अवसर आए हैं जब राहुल के पूर्वजों ने भी ‘Óमैं ही कांग्रेस हूंÓÓ के भाव को साबित किया है।
यही कारण है : अवहेलना से आहत बाबा साहेब को देना पड़ा इस्तीफ ा >> सोनिया गांधी के इशारे पर सीताराम केसरी का अपमान >> सोनिया गांधी ने नरसिम्हा राव के शव को भी नहीं दिया सम्मान >> बिना किसी योग्यता के कांग्रेस अध्यक्ष बन गए राहुल गांधी।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी कार्यकर्ताओं से साफ कर दिया है कि मैं ही कांग्रेस हूं। मुस्लिम पार्टी विवाद के बीच राहुल गांधी ने ‘मैं ही कांग्रेस हूंÓ वाला बयान माइक्रो–ब्लॉगिंग वेबसाइट पर ट्वीट करके दिया है। राहुल गांधी ने इसके साथ ही साफ कर दिया है कि गांधी परिवार के बिना कांग्रेस का कोई अस्तित्व नहीं है। सभी को पता है कि राहुल गांधी को वंशवाद की राजनीति के तहत कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया। योग्यता की जगह वंशवाद को तरजीह देकर उन्हें अध्यक्ष बनाया गया है।
आजादी के बाद से ही कांग्रेस पार्टी नेहरू–गांधी खानदान की बपौती बन चुकी है। आपको आगे बताते हैं किस तरह कांग्रेस पार्टी पर नेहरू–गांधी खानदान के लोगों का राज रहा है और इन लोगों ने मनमाने तरीके से पार्टी को चला है।–
कांग्रेस यानी गांधी परिवार प्राइवेट लिमिटेड !- देश आजाद होने के बाद बाद महात्मा गांधी ने कांग्रेस के बारे में एक महत्वपूर्ण बयान दिया था। उन्होंने कांग्रेस को भंग कर देने की बात कही थी। आज वो बयान फिर से महत्वपूर्ण हो गया है। पिछले वर्ष 16 दिसबंर को राहुल गांधी औपचारिक रूप से अध्यक्ष बन गए थे। ऐसे में इस बात का आकलन करना जरूरी है कि क्या कांग्रेस को लेकर महात्मा गांधी के मन में कोई संदेह था। अगर इसका विश्लेषण करें तो कांग्रेस पार्टी में नेहरू परिवार के कब्जे का महात्मा गांधी को उस समय ही अंदेशा हो गया था।
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