24 September 2020
दिल्ली दंगों के दौरान एक खास एजेंडे के तहत आतंकी शाहरूख को बचाने के लिये
एनडीटीवी के कथित पत्रकार ने बताया था उसे ब्राह्मण अनुराग मिश्रा।
१८ फरवरी २०२० को मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त राकेश मारिया ने दावा किया है कि लश्कर-
ए-तैयबा ने 26/11 के मुंबई आतंकी हमले को ‘हिंदू आतंकवादÓ के रूप में पेश करने तथा
पाकिस्तानी आतंकवादी मोहमद अजमल कसाब को बेंगलुरु के समीर चौधरी के रूप में मारे जाने
की योजना बनाई थी।
आतंकी हमले के बाद जारी की गई कसाब की एक तस्वीर के बारे में मारिया ने अपनी किताब में
दावा किया कि कहा कि यह केंद्रीय एजेंसियों का काम था। सुरक्षा को देखते हुए मुंबई पुलिस ने पूरी
कोशिश की कि मीडिया के सामने किसी विवरण का खुलासा नहीं हो। तस्वीर में कसाब की दाहिनी कलाई पर लाल रंग का धागा बंधा हुआ था जिसे पवित्र हिंदू धागा माना जाता है।
इस बात ने कई लोगों को यह भरोसा करने के लिए प्रेरित किया कि षडयंत्रकारियों ने
26/11 हमले को ‘हिंदू आतंकवादÓ के रूप में पेश करने का प्रयास किया था।
दिल्ली पुलिस का कहना है कि ऐसे पत्रकार जो सीएए विरोध के नाम पर हिंसात्मक हुए आंदोलन
में झूठ फैलाने में आगे थे, उनकी भूमिका को लेकर भी जांच की जा रही है ।
देश में मीडिया का एक खास वर्ग झूठ परोसने में आगे तो रही ही, विदेशी मीडिया में भी यह कहने
की कोशिश की गई की प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और दिल्ली पुलिस आदि ने मिलकर मुसलमानों पर बड़े
जुल्म ढाए है और उन्हें मुसलमानों का दुश्मन करार दे दिया गया। अब जबकि पुलिस जांच में दिल्ली के इस दंगे को सुनियोजित बताया गया है तो भी ये अपना भारत और हिंदू विरोधी एजेंडा जारी रखे हुए हैं। उस समय इस सुनियोजित दंगे को ‘हिंदू दंगाÓ का नाम देकर देश और दुनिया में भारत को बदनाम करने की हरसंभव कोशिश की गई थी। इसी तरह की पक्षपात पूर्ण रिपोर्टिंग केे चलते जामिया हिंसा से लेकर जाफराबाद की गलियों में दंगे के कवरेज के दौरान कथित पत्रकारों पर हमला भी किया गया।
एक ऐसे ही कथित पत्रकार ने उस समय यह कह कर सनसनी मचा दी थी कि कुछ हिंदू
उन्मादियों ने उसे रिपोर्टिंग के दौरान मुस्लिम समझ कर उनकी पैंट नीचे करने की धमकी दी
थी ताकि उन्हें यह पता चल सके कि मैं हिन्दू हूं या मुस्लिम।
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