27 August 2020
राहुल गांधी ने कांगे्रस अध्यक्ष पद से स्तीफा देने के बाद यह कहा था अमेरिका में दिये गये एक साक्षात्कार के दौरान कि वे बिना अध्यक्ष रहते हुए कहा कि कांग्रेस को मजबूत करने लिये उन्हें (राहुल गांधी) कांगे्रस अध्यक्ष बनने की जरूरत नहीं।
यहॉ यह उल्लेखनीय है कि मैेंने अपने अनेक संपादकीय में यह व्यक्त किया हेै कि जिस प्रकार से सोनिया गांधी यूपीए शासनकाल में बैकडोर से शासन करती थी वही मजा राहुल गांधी भी अब कांग्रेस का संचालन बैंक डोर से करना चाहते हैं क्योंकि उन्हें महसूस हो गया है कि अब कांग्रेस के अंदर भी उनका वर्चस्व खत्म हो गया है।
मेेरे उक्त निष्कर्ष को ही बल प्रदान किया है दिग्विजय सिंह ने अपने आज के वक्त्व्य से और 26 मार्च 2013 को दिये गये वक्तव्य से।
: कांग्रेस पार्टी में अध्यक्ष पद को लेकर छिड़ा घमासान थमता नजर नहीं आ रहा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी पहले ही देखी चा चुकी है, अब पार्टी के राज्यसभा सांसद और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बयान से नया बखेड़ा शुरू हो गया है।
एक न्यूज चैनल से बात करते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा कि पार्टी के अंदर जो असंतोष आज नेताओं में नजर आ रहा है, वो कोई एक दिन का नहीं है। जब राहुल गांधी अध्यक्ष पद से हटे और सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष चुना गया था, तभी से इस असंतोष की शुरुआत हो गई थी। दिग्विजय सिंह ने कहा कि राहुल गांधी ने पार्टी का अध्यक्ष पद छोड़ दिया था, लेकिन पार्टी पर उनका नियंत्रण बना रहा। इसके सबूत पार्टी पदाधिकारियों की नियुक्ति में मिलता है।
राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने कहा कि राहुल गांधी भले ही अध्यक्ष पद से हट गए थे, लेकिन पार्टी पर नियंत्रण उन्हीं का था। पर्दे के पीछे से वही सब नियंत्रित करते थे। इस वजह से वरिष्ठ नेताओं में असंतोष बढ़ा। उन्होंने राज्यसभा चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि मुकुल बनानी और केसी वेणुगोपाल की जगह राजीव सातव के नामांकन के लिए राहुल गांधी ने हामी भरी। इससे पार्टी में और नाराजगी बढ़ गई।
पार्टी के नेताओं में मतभेद
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी सी चाको ने कहा कि सोनिया गांधी को चि_ी लिखने वालों में वही लोग शामिल हैं जो लोग राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने के खिलाफ हैं। दिल्ली कांग्रेस के पूर्व प्रभारी चाको ने कहा कि ये पत्र मीडिया में लीक नहीं होना चाहिए था।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए सही उम्मीदवार राहुल गांधी ही हैं। खराब स्वास्थ्य के चलते सोनिया गांधी का अध्यक्ष पद पर बने रहना मुश्किल है। कुछ लोग राहुल गांधी के काम करने के तरीके को पसंद नहीं करते हैं, लेकिन अकेले वही व्यक्ति हैं जो मोदी के खिलाफ खड़े हो सकते हैं। लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हो पा रहा है। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि चि_ी लिखने वालों में वही लोग शामिल हैं जो राहुल गांधी को अध्यक्ष पद पर नहीं देखना चाहते।
दिग्विजय सिंह ने सत्ता के दो केंद्र के बहाने पीएम को बताया कमजोर
26 रूड्डह्म् 2013
जागरण में 26 मार्च 2013 को प्रकाशित समाचार के अनुसार:
राहुल गांधी को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर आसीन देखने के इच्छुक कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने सोमवार को फिर अपने मन की बात एक तरह से उजागर कर दी। उन्होंने कहा कि मौजूदा संप्रग म
राहुल गांधी को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर आसीन देखने के इच्छुक कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने सोमवार को फिर अपने मन की बात एक तरह से उजागर कर दी।
उन्होंने कहा कि मौजूदा संप्रग में सत्ता के दो केंद्र होने का प्रयोग कारगर साबित नहीं हुआ। उनका इशारा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन की तरफ था। अपनी दिल की बात बड़ी साफगोई से करते हुए दिग्विजय ने राहुल गांधी को सलाह दी कि अगर अगले आम चुनाव में पार्टी को बहुमत मिलता है तो वह (राहुल) किसी और को प्रधानमंत्री पद के लिए मनोनीत न करें। उनका साफ कहना था कि अगर बहुमत मिले तो राहुल गांधी को खुद प्रधानमंत्री बनना चाहिए।
एक समाचार चैनल से बातचीत के दौरान कांग्रेस नेता ने अपनी उपरोक्त ख्वाहिश उजागर की। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि पार्टी अध्यक्ष के तौर पर सोनिया गांधी ने कभी भी मनमोहन सरकार के कामकाज में कोई दखलंदाजी नहीं की है। लेकिन कांग्रेस महासचिव यह कहने से नहीं चूके कि सत्ता के दो केंद्र का फार्मूला सफल साबित नहीं हुआ। बकौल दिग्विजय, निजी तौर पर मेरा मानना है कि यह मॉडल ठीक ढंग से काम नहीं कर पाया। सत्ता के दो केंद्र नहीं होने चाहिए। मेरी राय में जो कोई भी प्रधानमंत्री हो वह अधिकार पूर्वक काम कर सके। उनसे जब पूछा गया कि क्या राहुल गांधी भी 2014 के आम चुनाव के बाद अपनी मां के नक्शेकदम पर ही चलेंगे। इस पर दिग्गी राजा का कहना था, मैं महसूस करता हूं कि अगर कांग्रेस या उसके गठबंधन को बहुमत मिलता है तो राहुल
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