नए सेना प्रमुख के आते ही पाकिस्तान में कत्ल-ए-आम शुरू हो गया। आसिम मुनीर के कुर्सी संभालते ही टीटीपी ने सरकार के साथ सीजफायर समझौता तोड़ दिया। जिसका खामियाजा पूरे पाकिस्तान को भुगतना पड़ा। नाराज तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने मुनीर के कुर्सी संभालने के 24 घंटे के अंदर ही क्वेटा में आर्मी पर आत्मघाती हमला किया था। हमलों का सिलसिला अबतक जारी है। इसके बाद पूरे पाकिस्तान में खलबली मच गई। पाकिस्तान सरकार और सेना से नाराज टीटीपी फिर से सक्रिय हो गया है और ताबड़तोड़ हमले के आदेश दिए हैं। टीटीपी को पाकिस्तान तालिबान के नाम से भी जाना जाता है। टीटीपी इस साल अब तक चीन से चार आत्मघाटी हमले कर चुका है। जिसमें से अकेले दो हमले उत्तरी वजीरिस्तान में हुए थे।
अफगानिस्तान और पाकिस्तान की तालिबानी हुकूमत के बीच के रिश्ते अब तक के सबसे खराब दौर में जा पहुंचे हैं। बीते दो महीने से दोनों देशों की सीमा यानी डूरंड लाइन पर फायरिंग की कई घटनाएं हो चुकी है। जिनमें कई पाकिस्तानी सैनिक और स्थानीय नागरिकों की मौत हो चुकी है। इसी बीच टीटीपी और बीएलए ने भी पाकिस्तान के खिलाफ जंग छेड़ रखी है। बस इसी वजह के चलते पाकिस्तान की फौज और वहां की सरकार बौखलाई हुई है। पाकिस्तान में लगातार हो रहे हमलों के बाद मंत्री राणा सन्नाउल्लाह ने चेतावनी देते हुए कहा कि पाकिस्तान टीटीपी के ठिकानों पर मिलिट्री ऑपरेशन चला सकता है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के पूर्व चीफ जावेद असार काजी ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में बताया है कि टीटीपी पाकिस्तान पर आखिर हमले क्यों कर रहा है। उन्होंने कहा कि मैं समझता हूं कि पाकिस्तान ने तालिबानी सरकार को मान्यता देने से इनकार कर दिया था इसलिए अफगानी तालिबान पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए टीटीपी की मदद कर रहा है। हालांकि आईएसआई के पूर्व चीफ के दावे हवा-हवाई ही साबित होते हैं क्योंकि आपको याद होगा जब तालिबान ने काबुल पर कब्जा किया था तो उस वक्त पाकिस्तानी हुकूमत ने इसे गुलामी की बेडिय़ों से आजादी बताया था।
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