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Editorial:रूस-यूक्रेन के बीच शांति समझौते के लिए इस रणनीति को अपना रहे हैं पीएम मोदी

28-12-2022


रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरूआत के साथ ही भारत की ओर वैश्विक बिरादरी उम्मीद के साथ देखने लगी. दुनिया के सभी देश जानते थे कि यदि रूस-यूक्रेन के बीच कोई एक नेता सुलह करा सकता है तो वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं. पश्चिमी देशों ने लगातार इस बात के लिए भारत पर दबाव डाला कि वो दोनों देशों के बीच शांति करवाए. भारत, रूस-यूक्रेन से संबंधित सभी मुद्दों पर जितनी आवश्यकता होती उतना ही बोलता और चुप्पी साध लेता.

अमेरिकी मीडिया ने भारत के इस रवैये पर प्रश्न भी उठाए लेकिन अब यदि हम भारत की रणनीति का बारीकी से अध्ययन करें तो हम पाते हैं कि भारत कभी भी चुप नहीं था बल्कि वो उसकी रणनीति का ही एक हिस्सा था. आइए, इसे समझने की कोशिश करते हैं. 24 फरवरी को युद्ध शुरू होने के बाद ही रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रधानमंत्री मोदी से फोन पर बात की. प्रधानमंत्री मोदी ने यहीं से अपनी कूटनीति शुरू कर दी. पीएम मोदी ने पुतिन से कहा कि बातचीत का रास्ता अपनाना चाहिए.

इसके साथ ही पीएम मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से हुई बातचीत में ‘बातचीत के रास्ते समाधान’ पर बल दिया. इसके बाद 2 मार्च और 7 मार्च को दोबारा से पीएम मोदी ने रूस के राष्ट्रपति के साथ टेलीफोन पर बातचीत की. इसके बाद 1 जुलाई को भी दोनों नेताओं के बीच फोन पर बातचीत हुई. इसके बाद उज्बेकिस्तान के समरकंद में हुए SCO सम्मेलन से इतर पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच द्विपक्षीय वार्ता भी हुई. पीएम मोदी ने यहां पुतिन से जो कहा वो दुनियाभर में चर्चा का विषय बना. पुतिन से बातचीत करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “यह दौर युद्ध का नहीं है.”
इसके बाद अब जब भारत के पास जी-20 की अध्यक्षता है, तब फिर से पीएम मोदी ने व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बात की. इस दौरान फिर पीएम मोदी ने बातचीत के द्वारा विवाद को सुलझाने पर जोर दिया. दूसरी ओर, यूक्रेन के राष्ट्रपति के साथ भी पीएम मोदी निरंतर संवाद कर रहे हैं. युद्ध के बाद दोनों नेताओं ने कई बार बातचीत की है. लेकिन 4 अक्टूबर को फोन पर हुई बातचीत में पीएम मोदी ने कहा कि युद्ध कोई हल नहीं है बल्कि बातचीत ही एक मात्र विकल्प है और भारत उस दिशा में मदद करने के लिए तैयार है. अब यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने फिर से पीएम मोदी को फोन किया है. जेलेंस्की ने जी-20 की अध्यक्षता के लिए तो भारत को बधाई दी ही, इसके साथ ही उन्होंने अपना जी-20 बाली सम्मेलन में रखा गया शांति प्रस्ताव भी दोहराया. उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि वो उम्मीद करते हैं कि उनके शांति प्रस्ताव को भारत लागू करवाएगा.