25-12-2022
शासन सिर्फ शक्ति से संचालित नहीं होता। बल्कि उसकी साख भी एक बड़ी चीज होती है। भेडिय़ा आया वाली कहानी इस सिलसिले में सबको याद रखनी चाहिए। इसलिए कि ऐसा ना हो कि जब सचमुच भेडिय़ा आए, तब भी ऐसे शोर पर लोग यकीन ही ना करें।चीन, जापान, दक्षिण कोरिया आदि देशों में कोरोना संक्रमण की आई लहर को देखते हुए ऐसा लगता है कि भारत सरकार ने आपदा में अवसरÓ की अपनी रणनीति को फिर याद किया है।
सरकार ने कोई आम अनिवार्य एडवाइजरी जारी नहीं की है। कहीं भी मास्क पहनना या सोशल डिस्टेंसिंग को जरूरी नहीं बनाया गया है। लेकिन स्वास्थ्य मंत्री ने यह जरूरी समझा कि राहुल गांधी और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिख कर कोरोना के खतरे से आगाह किया जाए।
पत्र में कहा गया कि या तो यात्रा के दौरान कोरोना नियमों का पालन किया जाए या फि र यात्रा रोक दी जाए।अगर कोरोना लहर का खतरा वास्तविक है, तो सरकार को पूरा अधिकार है कि वह ऐसे परामर्श या आदेश जारी करे।
उससे समूह की समर्थक जमातों में जरूर उत्साह पैदा होता होगा, लेकिन समाज के अन्य हिस्सों में आक्रोश भरी प्रतिक्रिया होती है। यह भी समझने की बात है कि शासन सिर्फ शक्ति से संचालित नहीं होता। बल्कि उसकी साख और प्रतिष्ठा भी एक बड़ी चीज होती है। भेडिय़ा आयाÓ वाली कहानी इस सिलसिले में सबको याद रखनी चाहिए। इसलिए कि ऐसा ना हो कि जब सचमुच भेडिय़ा आए, तब भी ऐसे शोर पर लोग यकीन ही ना करें।
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