Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

Editorial:डिजिटल करेंसी का उपयोग अर्थव्यवस्था के लिये होगा हितकारी

4-11-2022

भारत के बैंकिंग सेक्टर को डिजिटल क्रांति की राह पर आगे ले जाने के लिए यूपीआई की शुरूआत करने के बाद अब मोदी सरकार ने डिजिटल करेंसी की भी शुरूआत कर दी है। कुछ महीने पहले संसद में वित्त मंत्री ने इसका ऐलान किया था लेकिन अब यह अस्तित्व में आ चुका है। 2 नवंबर से आरबीआई की डिजिटल करेंसी सीबीडीसी की शुरुआत हो गई। पहले दिन कई बैंकों ने इस वर्चुअल मनी का इस्तेमाल करते हुए सरकारी बॉन्ड से जुड़े करीब 50 ट्रांजेक्शन किए। इनकी कुल वैल्यू 275 करोड़ रुपये बताई जा रही है।
बुधवार को आरबीआई ने अपनी डिजिटल करेंसी का पहला पायलट परीक्षण किया और यह संभल भी रहा। इसके लिए 9 बैंकों का चयन किया गया था, जिसमें भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फस्र्ट बैंक और एचएसबीसी शामिल हैं।
हर बैंक ने लगभग 4-5 डील ष्टक्चष्ठष्ट के जरिए की। मोदी सरकार द्वारा उठाया गया यह फैसला भारत के लोगों के लिए काफी लाभदायक साबित हो सकता है। चलिए आपको विस्तार से समझाते हैं कि आखिर यह डिजिटल करेंसी किस तरीके से काम करती है और यह कैसे पूरी तरह से सेफ है।
दरअसल, पायलट परीक्षण में हिस्सा लेने वाले हर बैंक का एक डिजिटल करेंसी अकाउंट है जिसे सीबीडीसी अकाउंट नाम दिया गया है। इसे आरबीआई की ओर से मेंटेन किया जा रहा है। बैंकों को पहले अपने अकाउंट्स से इस अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करने होंगे। अगर कोई बैंक किसी अन्य बैंक से बॉन्ड खरीद रहा है तो पैसे उस बैंक के सीबीडीसी अकाउंट से डेबिट होंगे और जिस बैंक से बॉन्ड खरीदा जा रहा है उसके सीबीडीसी अकाउंट में ही क्रेडिट होंगे। इसमें उसी दिन डिजिटल सेटलमेंट होगा। ज्ञात हो कि भारत में दो प्रकार की डिजिटल करेंसी की शुरूआत की गई है एक रिटेल सीबीडीसी और दूसरी होलसेल सीबीडीसी रिटेल सीबीडीसी का उपयोग आम लोग ही कर सकेंगे, वहीं दूसरी ओर होलसेल सीबीडीसी का उपयोग चुनिंदा वित्?तीय संस्?थान, बैंक और बड़ी प्रइवेट कंपनियां कर सकेंगी। अभी आरबीआई की ओर से जो पायलट परीक्षण किया गया, वह होलसेल सीबीडीसी से जुड़ा था। अब इसके सफल होते ही इसकी संभावना काफी तेज हो गई है कि जल्द ही रिटेल सीबीडीसी इस्तेमाल से जुड़ा पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जा सकता है।
भारतीय रिजर्व बैंक का सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी एक लीगल टेंडर है। सीबीडीसी के पीछे भारत के केंद्रीय बैंक का बैकअप है। यह आम मुद्रा की तरह ही होगा लेकिन डिजिटल फॉर्मेट में होगा। जैसे लोग सामान या सेवाओं के बदले करेंसी देते हैं, उसी तरह सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी से भी आप लेनदेन कर सकेंगे। सरल शब्दों में डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल हम अपने सामान्य रुपये-पैसे के रूप में कर सकेंगे, बस रुपये-पैसे डिजिटल फॉर्म में होंगे।

ध्यान देने वाली बात है कि डिजिटल करेंसी (ष्ठद्बद्दद्बह्लड्डद्य ष्टह्वह्म्ह्म्द्गठ्ठष्4) और क्रिप्टोकरेंसी (ष्टह्म्4श्चह्लशष्ह्वह्म्ह्म्द्गठ्ठष्4) में काफी अंतर है। सबसे बड़ा अंतर यह है कि डिजिटल करेंसी को उस देश की सरकार की मान्यता हासिल होती है, जिस देश का केंद्रीय बैंक इसे जारी करता है। इसलिए इसमें जोखिम नहीं होता है। इससे जारी करने वाले देश में खरीदारी के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। वहीं, दूसरी ओर क्रिप्टोकरेंसी एक मुक्त डिजिटल एसेट है। यह किसी देश या क्षेत्र की सरकार के अधिकार क्षेत्र या कंट्रोल में नहीं है। बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी डिसेंट्रलाइज्ड है और किसी सरकार या सरकारी संस्था से संबंध नहीं है, ऐसे में इसमें जोखिम बना रहता है।