12-10-2022
नरेंद्र मोदी सरकार में आत्मनिर्भरता की ओर भारत सतत रूप से अग्रसर है, चाहे वो सेमीकंडक्टर क्षेत्र की बात हो या फिर एयरोस्पेस की बात हो या फिर देश के लिए अति महत्वपूर्ण रक्षा क्षेत्र की बात हो, भारत लगातार नये आयामों को छूता जा रहा है। फार्मास्युटिकल ्रक्कढ्ढ जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में तो भारत लगातार तीव्रता के साथ अपने कदम को बढ़ाता जा रहा है। ्रक्कढ्ढ यानी एक्टिव फॉर्मास्युटिकल्स इनग्रीडिएंट्स के क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने और इसके लिए चीन पर निर्भरता को समाप्त कर देने के लिए भारत ने पहली नींव भी रख दी है। इस लेख में हम इसी संबंध में पूरे विस्तार से जानेंगे।
इस बात को समझना होगा कि दवाओं के निर्माण में जिन तत्वों यानी एक्टिव फार्मास्युटिकल्स इनग्रेडिएंट्स की आवश्यकता पड़ती है उसके लिए वर्तमान में भारत चीन पर निर्भर करता है लेकिन भारत सरकार के प्रयासों और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते रहने की तीव्र गति के कारण चीन पर से यह निर्भरता जल्द ही या तो समाप्त हो जाएगी या फिर नगण्य हो जाएगी।
दरअसर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार, 10 अक्टूबर को अपने गृह राज्य गुजरात के भरूच जिले के जंबूसर में बल्क ड्रग पार्क की नींव रखी, यह नींव देश के पहले क्चष्ठक्क के लिए रखी गयी। जान लेना होगा कि केंद्र सरकार की एक योजना के तहत ऐसे तीन क्चह्वद्यद्म ष्ठह्म्ह्वद्द क्कड्डह्म्द्म (क्चष्ठक्क) को देशभर में विकसित किया जाना है जिसकी लागत तीन हजार करोड़ रुपये होगी। योजना के तहत बल्क ड्रग पार्क के लिए देश के तीन राज्यों हिमाचल प्रदेश, गुजरात और आंध्र प्रदेश को सैद्धांतिक रूप से अनुमति दी गयी थी और अब इन तीन राज्यों में से एक गुजरात में क्चह्वद्यद्म ष्ठह्म्ह्वद्द क्कड्डह्म्द्म (क्चष्ठक्क) की नींव रख दी गयी है। नीति आयोग की देखरेख में स्थापित होने वाले इन पार्कों के कारण अतत: देश को ्रक्कढ्ढ के क्षेत्र में अत्मनिर्भर होने का अवसर मिल रहा है।
अत्मनिर्भरता की ओर बढऩे की दृष्टि से देखें तो बल्क ड्रग पार्क एक महत्वपूर्ण सहायक होगा। बल्क ड्रग पार्क में ही दवाइयों को तैयार करने में उपयोग होने वाले तरह-तरह के तत्वों यानी एक्टिव फॉर्मास्युटिकल्स इनग्रीडिएंट्स को बनाया जाएगा, ऐसा अपने देश के अंदर ही होगा। क्चह्वद्यद्म ष्ठह्म्ह्वद्द क्कड्डह्म्द्म की स्थापना के पीछे सरकार की ऐसी सोच है कि घरेलू दवा बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ सके साथ ही अंतरराष्ट्रीय रूप से दवा बनाने और उसके उत्पादन के मामले में भारत शीर्ष पर आ जाए।
यह समझना कठिन नहीं है कि देश को बल्क ड्रग पार्क की कितनी आवश्यकता है, इसे और अच्छे से समझने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने जो बताया है उस पर ध्यान देना होगा। हाल में ही स्वास्थ्य मंत्री ने जानकारी दी कि चीन पर भारत की निर्भरता दवा बनाने के लिए कुल 53 प्रकार के ्रक्कढ्ढ के लिए थी। अब 35 तरह के ्रक्कढ्ढ को देश में ही निर्मित किया जा रहा है। बल्क ड्रग पार्क योजना के तहत सरकार ने लक्ष्य तय किया है कि बचे हुए 18 ्रक्कढ्ढ के साथ हर एक ्रक्कढ्ढ को यहीं बल्क ड्रग पार्कों में ही निर्मित किया जाए।
एक फ ार्मास्युटिकल उत्पाद का सबसे प्रमुख घटक उसका कच्चा माल होता है यानी ्रक्कढ्ढ जिसके महत्व को पहले की सरकारों ने समझना और उसे गंभीरता से लेना आवश्यक नहीं समझा और धीरे-धीरे चीन पर निर्भर होता चला गया। कोविड के दौरान चीन और अमेरिका पर निर्भरता भारत को अपनी निर्यात नीतियों में एक निश्चित सीमा से आगे नहीं जाने देती थी। चीन दुनिया के ्रक्कढ्ढ उत्पादन और निर्यात का लगभग 20त्न हिस्सा नियंत्रित कर बड़े पैमाने पर दवा उद्योग की नींव स्थापित करता है।
लेकिन अब धीरे-धीरे सबकुछ परिवर्तित हो रहा है। प्रोत्साहन-संबद्ध प्रोत्साहन के तहत 35 एक्टिव फॉर्मास्युटिकल्स इनग्रीडिएंट्स का देश में ही उत्पादन शुरू कर दिया गया। इन सभी ्रक्कढ्ढ के लिए भारत 90 प्रतिशत तक आयात पर निर्भर रहा है। इस बारे में अगर विशेषकर चीन की बात करें तो केंद्र सरकार ने लोकसभा जानकारी दी थी कि भारतीय दवा कंपनियों ने वित्त वर्ष 2018-19 में दवा निर्माण के लिए आवश्यक ्रक्कढ्ढ को चीन से मंगाया जिसकी लागत 240 करोड़ डॉलर थी। रिपोर्ट में कहा गया कि तब 76 प्रतिशत तत्व भारत ने अकेले चीन से ही आयात किया जिसमें से 90 प्रतिशत ्रक्कढ्ढ की खपत भारत में उपयोग में लायी जाने वाली दवाइयों में होती थीं।
आत्मनिर्भरता के साथ-साथ जीविका से भी यह योजना संबंधित है, वो कैसे? तो ध्यान देना होगा कि तीन बल्क ड्रग पार्कों के बन जाने से जीविका के अपार अवसर भी मिलेंगे। हिमाचल प्रदेश में 50 हजार लोगों को जीविका के अवसर मिलेंगे तो वहीं आंध्र प्रदेश में 60 हजार से भी अधिक और गुजरात में 40 हजार से अधिक लोगों के लिए उनकी जीविका का रास्ता खुलेगा।
फार्मा के क्षेत्र में केंद्र सरकार की तरफ से पहले ही कई कदम उठाए जा चुके हैं। साल 2021 की बात करें तो सरकार ने तब फार्मा उद्योग के लिए क्करुढ्ढ योजना शुरू की थी जो कि 15,000 करोड़ रुपये की थी। जिसके तहत प्रोत्साहन के लिए पात्र चिह्नित की गयीं 55 कंपनियों में सन फार्मा, अरबिंदो फार्मा, डॉ. रेड्डीज लैब के साथ ही ल्यूपिन, सिप्ला और कैडिला हेल्थकेयर जैसी कंपनियां शामिल हैं। कुल मिलाकर ्रक्कढ्ढ जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सरकार के द्वारा उठाए गए कदम भारत को विकास की ओर अग्रसर कर रहे हैं।
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