9-8-2022
स्वतंत्रता दिवस के लिए भारतीय मिशनों द्वारा इनमें से प्रत्येक बंदरगाह पर विभिन्न गतिविधियों और कार्यक्रमों की योजना बनायी गयी है। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण भारतीय प्रवासी और विशिष्ट स्थानीय गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में इन जहाजों पर तिरंगा फ हराना होगा।
इसके अलावा मेजबान देश के वरिष्ठ नेतृत्व पर नौसेना के चालक दल द्वारा आधिकारिक कॉल, संबंधित दूतावासों में ध्वजारोहण समारोह में नौसेना दल की भागीदारी, प्रमुख सार्वजनिक स्थानों और सभागारों में बैंड प्रदर्शन किया जाएगा। साथ ही आगंतुकों, स्कूली बच्चों और भारतीय मूल के लोगों को एक जहाज के अंदर से कार्यक्रम देखने का अवसर भी मिलेगा। भारतीय दूतावासों द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
लंदन में, आईएनएस तरंगिनी का दल राष्ट्रमंडल स्मारक द्वार पर दो विश्व युद्धों में शहीद हुए भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि देगा। सिंगापुर में क्रांजी वॉर मेमोरियल और इंडियन नेशनल आर्मी (आईएनए) मार्कर में नौसेना प्रतिनिधिमंडल द्वारा एक औपचारिक पुष्पांजलि निर्धारित की गयी है।
मोम्बासा में, नौसेना दल टैटा तवेता क्षेत्र के युद्धक्षेत्र में एक स्मारक स्तंभ के उद्घाटन में भाग लेगा, जहां भारतीय सैनिकों ने प्रथम विश्व युद्ध के पूर्वी अफ्रीका अभियान में सेवा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी।
15 अगस्त 2022 को भारत की स्वतंत्रता के 75 साल पूरे हो जाएंगे और स्वतंत्रता की इस 75वीं वर्षगांठ को भारत इस बार बहुत ही भव्य रूप में मनाने वाला है। खबरों के अनुसार, 15 अगस्त को 6 महाद्वीपों, तीन महासागरों और छह अलग-अलग समय क्षेत्रों में भारतीय नौसेना के सात जहाजों पर तिरंगा फहराया जाएगा जो विदेशी बंदरगाहों के स्मारक दौरे पर होंगे। ‘आजादी का अमृत महोत्सवÓ के तहत आयोजित इन यात्राओं में भारतीय नौसेना के जहाज अंटार्कटिका को छोड़कर हर महाद्वीप में विदेशी बंदरगाहों का दौरा करेंगे।
भारतीय नौसेना एक ऐसी दुर्जेय दक्षिण एशियाई नौसेना बल के रूप में उभरी है जो किसी भी शत्रु के सीने में डर पैदा कर दे। दो विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य और अत्यंत परिष्कृत, स्वदेश निर्मित आईएनएस विक्रांत भारतीय बेड़े में शामिल हैं। भारत उन 5 अन्य देशों में शामिल है जिनके पास तकनीकी जानकारी है और परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों का निर्माण करते हैं। यह उन कुछ देशों में भी शामिल है जो दो परमाणु ऊर्जा संचालित पनडुब्बियों का संचालन करते हैं। भारतीय नौसेना लगातार समुद्री शक्ति के रूप में अपने प्रभाव को आधुनिक और मजबूत कर रही है।
युद्ध संकट में किसी भी देश की हार और जीत उसकी नौसेना पर निर्भर करती है। नौसेना जितनी मजबूत होगी उसका दुश्मन उतना ही कमजोर पड़ता जाएगा।
देश के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि अगर हमें जमीन पर सुरक्षित रहना है तो समुद्र में ताकतवर बनना जरूरी है। यही कारण है कि समुद्र तक फैली देश की सीमाओं को सुरक्षित रखने के लिए नौसेना की आवश्यकता होती है। एक राष्ट्र की नौसेना आधुनिक समय में दोतरफा भूमिका निभाती है। शांतिकाल के दौरान नौसेना व्यापारिक बंदरगाहों और मालवाहक जहाजों की सुरक्षा करती है और क्षेत्रीय जल में सुरक्षा बनाए रखती है, वहीं युद्ध के दौरान यही नौसेना सैन्य हथियारों के साथ देश की सुरक्षा के लिए खड़ी हो जाती है।
विमान वाहक, युद्धपोत और पनडुब्बियों के बेड़े के साथ नौसेना को इस तरह से तैयार किया जाता है कि वह शत्रुतापूर्ण तटों पर सैनिकों और बख्तरबंद वाहनों को पहुंचाने या अपने ही देश के क्षेत्र में दुश्मन पर जवाबी हमला करने के में सक्षम हो।
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