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Editorial: चीनी षडयंत्र का जवाब दे भारत ने दुनिया को दिखाई ताकतत्र का जवाब दे भाडरत ने दुनिया को दिखाई ताकत

6-5-2022

 नेपाल में चीन पर पलटवार करने की तैयारी में भारत नेपाल में चीन के इशारे पर नाच रहे केपी ओली के सत्ता से जाने के बाद अब भारत ने भी इस हिमालयी देश में ड्रैगन पर करारा पलटवार करने की तैयारी तेज कर दी है।

जो छल करे वो चीन, जो किसी का सगा नहीं वो चीन, जो शेर की खाल में भेडिय़ा हो वो चीन। हम चीन को लेकर ऐसा क्यों कह रहे हैं भला दरअसल, चीन दुनिया का एक ऐसा शैतान देश है जो हर मोर्चे पर अशान्त्ति चाहता है। कम से कम उसकी हरकतों से तो ऐसा ही लगता है। भारत के संदर्भ में बात करें तो चीन हमेशा से भारत के विरुद्ध षडय़ंत्र करता रहता है चाहे वो सीमा संबंधी मुद्दा हो या फिर कोई और अंतरराष्ट्रीय मुद्दा हो। चीन और भारत के बीच द्वंद्व कोई नया नहीं है। 1962 में भारत के विरुद्ध किया गया छल सबको याद है जब भारत के हिंदी-चीनी भाई-भाई के नारे को चीन ने अपनी गद्दारी से हमेशा के लिए धूमिल कर दिया। आज हम फिर से चीन को लेकर इतनी भत्र्सना इसलिए कर रहे हैं क्योंकि आज गलवान में भारत-चीन के बीच हुए खुनी संघर्ष को दो वर्ष हो गए है।

गलवान की इस क्रूर घटना के बाद से भारत ने चीन को कई आर्थिक चोट पहुंचाया है। भारत ने चीन के कई एप्लीकेशन को बैन कर चीन को उसकी हैसियत बता दी। चीन बार-बार भारत से यह गुहार लगाता रहा चीन के दो कौड़ी के एप्लीकेशन को भारत बैन ना करे पर भारत तो भारत ठहरा। भारत की मोदी सरकार ने हर मोर्चे पर चीन की कह के ले ली है। आखिर चीन गलवान को लेकर हमेशा से उग्र क्यों रहा है दरअसल गलवान घाटी भारत के लिए बड़े सामरिक महत्व का बिंदु है। चीन इस क्षेत्र को नियंत्रित करना चाहता है क्योंकि उसे डर है कि भारत गलवान नदी घाटी का उपयोग करके अक्साई चिन में चीन स्थिति को खतरे में डाल सकता है।

अब तक 15 दौर की सैन्य वार्ता हो चुकी है लेकिन भारत बीच का रास्ता अपनाने की जल्दी में नहीं है। यह भारत सरकार को सीमावर्ती क्षेत्रों में एक घातक गति से बुनियादी ढांचे को विकसित करने का समय दे रहा है- कुछ ऐसा जिसे पिछली सरकारों ने पूरी तरह से अनदेखा कर दिया था।

चीन सलामी स्लाइसिंग की रणनीति पर चलकर धीरे-धीरे भारत में प्रवेश करना चाहता था पर अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए लड़ रहे भारतीय सैनिकों ने  पीएलए के सिपाहियों के विपरीत जल्दी ही चीन को उसकी जगह दिखा दी। आज के परिदृश्य में शी जिनपिंग प्रशासन सीमा के मोर्चे पर खामोश है और चीन भी यह समझ चुका है कि ये मोदी का नया भारत है इसके साथ पंगा लेना यानी खुद का नुकसान कराना। पूर्व की भारतीय सरकारें विशेष रूप से जो कांग्रेस के अधीन थीं केवल लंबी-चौड़ी डोजियर लिखती थीं और अपराधियों के सामने झुक जाया करती थीं। हालांकि, मोदी सरकार की ताकत और भारतीय सेना को दी गई खुली छूट ने पीएलए सैनिकों को इस मुद्दे को सुलझाने के लिए सैन्य स्तर की बातचीत में शामिल होने के लिए प्रेरित किया है। आज मोदी सरकार की नीतियां ही हैं जिसके कारण चीन भीगी बिल्ली बना हुआ है और आज के परिदृश्य में भारत हर मोर्चे पर चीन को वैश्विक स्तर पर अलग-थलग कर चूका है जिससे चीन सहम गया है।