Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

Editorial:देश की एकता, अखंडता, संप्रभुता के साथ खिलवाड़ करने वालों पर एक्शन लेना आवश्यक

22-4-2022

भारत ठहरा एक संघीय देश। ये तो सर्वविदित है कि राष्ट्र के संसाधनों को सभी राज्यों और केंद्र के बीच साझा किया जाता है। प्रत्येक राज्य सरकार को अपनी जनता के कल्याण के लिए सबकुछ करने का अधिकार और कर्तव्य है। लेकिन उनकी भी जिम्मेदारी है कि वे दूसरे राज्यों की कीमत पर ऐसा न करें।
दरअसल, पंजाब की आप सरकार के एक ऐलान से ऐसा लगने लगा कि आप अपने निजी स्वार्थ और राजनीति के लिए देश की एकता, अखंडता, संप्रभुता और साथ ही साथ इसके संघीय संरचना के साथ खिलवाड़ करने पर तुली हुई है। आप सरकार ने साफ कर दिया है कि पंजाब के नदियों का एक बूंद पानी भी दूसरे राज्य में नहीं जाने दिया जाएगा। इस बात का ऐलान खुद पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने किया। उन्होंने कहा कि पंजाब से होकर बहने वाले प्राकृतिक जलस्रोत पर सिर्फ पंजाब का अधिकार है।
अरविंद केजरीवाल अपनी स्वार्थी राजनीति और सत्ता के कारण इतने सनक चुके हैं कि वो ये समझ नहीं पा रहें कि पंजाब भारत का है और भारत पंजाब का। इन्हीं सम्बन्धों के आधार पर इस राष्ट्र की संरचना टिकी हुई है लेकिन वो इसे छिन्न-भिन्न करने पर आमादा हैं। इतना तो भारत का बच्चा बच्चा भी जानता है की भारत ने तो पाकिस्तान तक का पानी नहीं रोका और पंजाब सरकार अपने देशवासियों को ही पानी नहीं देने का ऐलान कर रही है।
अरविंद केजरीवाल ‘स्वतंत्र पंजाबÓ के प्रधानमंत्री बनने के अपने स्वप्नों को साकार करने में अग्रसर होते दिखाई पड़ते हैं। इसी कड़ी में उनके खास और पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने पंजाब का पानी भारत को ना देने का फैसला किया है और एक स्वतंत्र राष्ट्र के प्रतिनिधि की तरह बयानबाजी करते हुए पंजाब के नदियों पर सिर्फ पंजाब का अधिकार बता दिया।
आप के सत्ता में आने के बाद से ही पंजाब में एक के बाद एक राजनीतिक विवाद चल रहे हैं। अब, सतलुज-यमुना लिंक विवाद भी एक राजनीतिक विवाद में बदल गया है। यह राज्य में केजरीवाल नेतृत्व की अक्षमता का साक्षी बना है। आप ने साफ कर दिया है कि पंजाब से पानी की एक बूंद भी दूसरे राज्य में नहीं जाने दी जाएगी। इस बात का ऐलान खुद पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने किया। उन्होंने कहा कि इसके पानी पर पंजाब का पूरा अधिकार है।
आगे बढ़ते हुए चीमा ने कहा, पानी की एक बूंद भी बहने नहीं दी जाएगी। हम पंजाब के तटवर्ती अधिकारों की रक्षा के लिए कोई भी बलिदान देने को तैयार हैं। मुझे आश्चर्य है कि जो पार्टियां अब इस मुद्दे को उठा रही हैं, उन्होंने ही अपनी अपनी सरकार में बारी-बारी से इस मुद्दे को हवा दी। वे इस संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति करना जानते हैं।
पानी एक बहुत ही बुनियादी आवश्यकता है, विशेष रूप से पंजाब और इसके सीमावर्ती राज्यों जैसे हरियाणा में जो कृषि पर बहुत अधिक निर्भर हैं। सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी की आपूर्ति एक नितांत आवश्यकता है। इसलिए, पंजाब में आप सरकार द्वारा दिया गया बयान राष्ट्र की अखंडता और राज्य की सुरक्षा की दृष्टि से काफी भयावह लगता है। लेकिन, ऐसा क्या है जिसने इस तरह के बयान देने के लिए आप को उकसाया?

हाल ही में आप के राज्यसभा सांसद सुशील गुप्ता ने कहा था कि 2025 तक हरियाणा में आप की सरकार होगी, जो पंजाब में आप सरकार के साथ सतलुज-यमुना लिंक के निर्माण और हर खेत में पानी पहुंचाने के लिए समन्वय सुनिश्चित करेगी। जल्द ही, पंजाब में एक राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया जिसमें कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) दोनों ने पंजाब में आप सरकार से स्पष्टीकरण मांगा। और इसलिए आप सरकार ने कठोर टिप्पणी के साथ अपना रुख स्पष्ट करने का फैसला किया होगा।

और पढ़ें- प्रिय जेपी नड्डा, आप शायद अपना राजधर्म भूल गए हैं
जल से जुड़ी परियोजना हमेशा रहा है एक विवादास्पद मामला

जब पंजाब और हरियाणा की बात आती है, तो यह परियोजना हमेशा एक विवादास्पद मामला रही है। पंजाब रावी-ब्यास नदी के पानी के अपने हिस्से के पुनर्मूल्यांकन की मांग करता है, जबकि हरियाणा अपने हिस्से का पानी पाने के लिए एसवाईएल नहर परियोजना को पूरा करने की मांग करता है।

लेकिन अंत में, विवाद एक कानूनी-प्रशासनिक विवाद है जिसे उचित तंत्र के माध्यम से हल किया जा सकता है। यह कहना कि दूसरे राज्यों को पानी की एक बूंद भी नहीं दी जाएगी, देश में किसी राज्य सरकार को लाभ नहीं होगा। आखिरकार, हर राज्य के लोगों को पानी जैसी बहुत ही बुनियादी जरूरत पाने और जीवन निर्वाह करने का अधिकार है। हां, किस राज्य में कितना पानी जाए यह विवाद का विषय हो सकता है लेकिन हम किसी एक राज्य से यह उम्मीद नहीं करते कि वह दूसरे राज्य में पानी की एक बूंद भी नहीं जाने देगा।

परंतु, आप सरकार के अपने अलग अजेंडे है। एक ओर जहां मोदी सरकार नदियों के जल बंटवारे को हल करने के लिए संविधान संशोधन कर न्यायिक प्राधिकरण बनाने का अथक प्रयास कर रही है वहीं दूसरी ओर आप सरकार सत्ता के लिए जनता के भावनाओं को भड़काकर देश को बांटने का प्रयास कर रही है। प्रशासनिक तंत्र को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।