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 Editorial: भारत को बदनाम करने की विदेशी साजिश होगी नाकामयाब

18-4-2022

परिवर्तन संसार का नियम है, यह बात अमेरिकी पोर्टल The New York Times ने इतनी संजीदा ले ली कि अब वो फेक न्यूज़ के पर्याय बन चुके Whatsapp और Whatsapp University के प्रभाव को मिटा फ़र्ज़ी तथ्यों और ख़बरों के प्रसार में अपना आधिपत्य स्थापित करने की जुगत में है। यह हमेशा से भारत को नीचा दिखाने की अपनी नाकाम कोशिशें करते आया है। चाहे कोरोना महामारी के समय फेक न्यूज फैलाना हो या मोदी विरोध की बात हो, न्यूयार्क टाइम्स इन सभी मामलों में अव्वल रहा है। इसी बीच इस कुंठित पत्रिका ने एक बार फिर से भारत को लेकर अपनी कुंठा व्यक्त की, जिस पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने उसकी लंका लगा दी है।

दरअसल, न्यू यॉर्क टाइम्स ने एक लेख लिखा, जिसका शीर्षक था India Is Stalling WHO’s Efforts to Make Global Covid Death Toll Public, इस लेख में बताया गया था कि भारत ने कई मौकों पर वैश्विक स्वास्थ्य निकाय के साथ अपनी चिंताओं को साझा किया है। साथ ही उस लेख में विश्व स्वास्थ्य संगठन के हवाले से भारत में कोविड के दौरान हुई मौतों के आंकड़ों को लेकर भी सवाल उठाए गए। न्यू यॉर्क टाइम्स के लेख में भारत को लेकर यह भी कहा गया था कि भारत ने कोविड प्रबंधन में ढ़िलाई दिखाई, जिसके कारण लाखों लोगों की मौत हुई। जिसके बाद अब स्वास्थ्य मंत्रालय ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ-साथ न्यू यॉर्क टाइम्स को करारा जवाब दिया है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को देश में कोविड -19 मृत्यु दर का अनुमान लगाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस तरह के गणितीय मॉडलिंग का उपयोग करके भौगोलिक आकार और जनसंख्या के इतने विशाल राष्ट्र के लिए मृत्यु के आंकड़ों का अनुमान लगाने के लिए लागू नहीं किया जा सकता है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने कहा कि भारत ने WHO को जारी पत्रों सहित विभिन्न संवाद के माध्यम से अन्य सदस्य देशों के साथ मेथडोलॉजी से जुड़ी चिंताएं साझा की हैं।

आपको बता दें कि भारत ने चीन, ईरान, बांग्लादेश, सीरिया, इथियोपिया और मिस्र के साथ डाटा के अनौपचारिक उपयोग की कार्यप्रणाली और उपयोग के बारे में विशिष्ट प्रश्न उठाया है। भारत ने अपनी चिंता जताते हुए कहा है कि कैसे सांख्यिकीय मॉडल परियोजनाएं भारत की घनी आबादी वाले देश के लिए अनुमान लगाती हैं, क्योंकि यह मॉडल कम आबादी वाले दूसरे देशों पर भी फिट बैठता है लेकिन 1.3 अरब की आबादी वाले भारत पर लागू नहीं हो सकते हैं।
भारत ने कार्यप्रणाली को लेकर जताई थी चिंता

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा की यह मॉडल टियर-1 देशों का डाटा इस्तेमाल करता है और यह जब 18 भारतीय राज्यों से मिले असत्यापित डाटा इस्तेमाल करता है तो मृत्यु के अनुमानों में खासा अंतर नजर आता है। इतने ज्यादा अंतर से ऐसे मॉडल के अनुमानों, वैधता और सटीकता पर सवाल खड़े होते हैं। भारत में कोविड-19 के लिए जांच के दौरान संक्रमण दर किसी भी समय पूरे देश में एक समान नहीं थी। लेकिन भारत के भीतर कोविड-19 संक्रमण दर में इस बदलाव पर मॉडलिंग के दौरान गौर नहीं किया गया। ध्यान देने वाली बात है कि स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, भारत ने अन्य सदस्य देशों के साथ कार्यप्रणाली को लेकर अपनी चिंताओं को साझा किया था, जिसमें WHO को जारी छह पत्र (17 नवंबर, 20 दिसंबर, 2021; 28 दिसंबर, 2021; 11 जनवरी, 2022; 12 फरवरी, 2022 और 2 मार्च, 2022) शामिल हैं।

इसके साथ ही 16 दिसंबर, 2021; 28 दिसंबर, 2021; 6 जनवरी, 2022; 25 फरवरी, 2022 को बैठकें की गई और 10 फरवरी, 2022 को दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्रीय कार्यालय (एसईएआरओ) के साथ वेबिनार आयोजित की गई थी । स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, भारत ने WHO की सलाह की तुलना में बहुत तेज गति से COVID-19 परीक्षण किया है। भारत ने आण्विक परीक्षण को पसंदीदा परीक्षण विधि के रूप में बनाए रखा है और केवल स्क्रीनिंग उद्देश्यों के लिए रैपिड एंटीजन का उपयोग किया है। क्या इन कारकों का उपयोग भारत के लिए मॉडल में किया गया है, यह अभी भी अनुत्तरित है।
भारत को बदनाम करने में लगी है दुनिया

हालांकि, भारत डब्ल्यूएचओ के साथ सहयोग करने के लिए हमेशा तत्‍पर रहा है क्योंकि इस तरह के डेटा सेट नीति निर्माण के दृष्टिकोण से मददगार साबित होंगे। भारत का मानना ​​​​है कि कार्यप्रणाली की व्‍यापक स्पष्टता और इसकी वैधता का स्पष्ट प्रमाण ऐसे डेटा का उपयोग करने के लिए नीति निर्माताओं को आश्वस्त करने के लिए महत्वपूर्ण है। आश्चर्य की बात है कि न्यू यॉर्क टाइम्स भारत के संबंध में अधिक कोविड-19 मृत्यु दर के कथित आंकड़े प्राप्त कर सकता था, लेकिन वह ‘अन्य देशों के अनुमानों को जानने में असमर्थ’ रहा!!

भारत ने जोर देकर कहा है कि यदि मॉडल सटीक और विश्वसनीय है, तो इसे सभी टियर एक के देशों के लिए चलाकर प्रमाणित किया जाना चाहिए और इस तरह के अभ्यास का परिणाम सभी सदस्य राज्यों के साथ साझा किया जाना चाहिए। वहीं, भारत से “डब्ल्यूएचओ ने अभी तक विभिन्न देशों में वर्तमान सांख्यिकीय मॉडल के लिए विश्वास अंतराल साझा नहीं किया है। गौरतलब है कि भारत के खिलाफ गलत सूचना फैलाने और बदनाम करने के लिए दुनिया भर में एक संगठित व्यवस्था है। नकली समाचार और समाचार पर गठबंधन प्रचार का संयोजन देश पर हमला करने का एक टूलकिट है। न्यू यॉर्क टाइम्स हमारे देश के खिलाफ दुष्प्रचार फैलाने की दौड़ में एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी है, लेकिन इस बार भारत ने WHO सहित न्यू यॉर्क टाइम्स की कह के ले ली है।