22 January 2020
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और देश के गृह मंत्री अमित शाह ने आज लखनऊ में कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर विपक्ष भ्रम फैला रहा है। सीएए के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक रूप से प्रताडि़त हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, इसाई और पारसी शरणार्थियों को नागरिकता देने का कानून है। इसमें किसी हिन्दुस्तानी की नागरिकता जाने का सवाल ही पैदा नहीं होता है। लेकिन विपक्षी दल विशेषकर अल्पसंख्यक समुदाय के मुसलमानों में इस कानून के प्रति अफवाह फैला रहा है।
>> उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ विपक्ष के दुष्प्रचार की तुलना महाभारत के द्रौपदी चीरहरण से की है। उन्होंने कहा कि सीएए के खिलाफ कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और अन्य विपक्षी दल जिस तरह षड्यंत्र कर रहे हैं, उस पर हम चीरहरण प्रसंग की तरह मौन नहीं रह सकते।
उन्होंने कहा कि धरने दिला कर लोगों को गुमराह किया जा रहा है, लेकिन झूठ के पांव नहीं होते। सत्य हमेशा सच रहेगा।
>> कांगे्रेस तथा अन्य विपक्षी दल मोदी का विरोध करते करते सीएए के विरोध की आढ़ में अल्प संख्यक महिलाओं को आगे कर रहे हैं।
>> अब ये विपक्षी दल महिलाओं के अलावा छोटे-छोटे बच्चों भी इस विरोध में शामिल कर झृठी अफवाहों से प्रभावित कर रहे हैं।
>> केरल की कम्युनिस्ट सरकार तथा अन्य कुछ तबके सीएए के विरूद्ध सुप्रीम कोर्ट गये हैं। आज सुप्रीम कोर्ट इस पर सुनवाई भी करने वाला है।
>> नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए को लेकर विपक्षी दल दिल्ली के साथ देश के विभिन्न हिस्सों में आम लोगों और खासकर मुस्लिम समुदाय को जिस तरह छल-कपट के सहारे उकसाकर सड़कों पर उतारने में लगे हुए हैैं वह भारतीय राजनीति के विकृत होते जाने का ही प्रमाण है।
विपक्षी दलों ने एनपीआर को लेकर भी भ्रम फैलाना शुरू कर दिया
>> यह देखना दुर्भाग्यपूर्ण है कि विपक्षी दलों ने एनपीआर को लेकर भी जनमानस में भ्रम फैलाना शुरू कर दिया है। अरूंधति राय के सुर में सुर मिलाकर वे कह रहे हैं कि एनपीआर में गलत जानकारी दें कोई पता पूछे तो पीएम हाऊस का पता दे औ नाम पूछे तो रंगा-बिल्ला आदि।
वे इस तरह की अफवाहों को हवा दे रहे हैैं कि एनपीआर के बाद एनआरसी की तैयारी की जाएगी। इस तरह की झूठी अफवाहें किस सुनियोजित तरीके से फैलाई जा रही हैैं, इसका उदाहरण है दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में एक माह से जारी धरना।
>> बाल आयोग एनसीपीसीआर ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि सोशल मीडिया में वायरल हो रहे वीडियो को गंभीरता से लिया गया है।
सीएए और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनसीआर) के कुछ बच्चों के बयानों के बारे में आयोग को की गई शिकायतों पर भी आयोग ने संज्ञान लिया है।
“शिकायत के अनुसार,” ये बच्चे चिल्ला रहे हैं कि उनके बुजुर्गों ने उन्हें बताया है कि भारत के प्रधान मंत्री और गृह मंत्री उन्हें नागरिकता के दस्तावेज बनाने के लिए कहेंगे और यदि वे इन्हें दिखाने में विफल रहते हैं, तो उन्हें हिरासत केंद्रों में भेजा जाएगा जहां वे भोजन और कपड़े भी उपलब्ध नहीं कराये जायेंगे। “
बाल आयोग के पत्र में आगे कहा गया है कि ऐसा प्रतीत होता है कि इन बच्चों को अफवाहों / गलत सूचनाओं से प्रभावित किया जा सकता है और इसके परिणामस्वरूप ये बच्चे मानसिक आघात से पीडि़त हो सकते हैं।
आशा है प्रशासनिक अधिकारी बाल आयोग के निर्देश पर तुरंत उचित कार्रवाई करेंंगे।
पिछले हफ्ते विरोध प्रदर्शन पर बच्चों के तीन वीडियो पोस्ट किए जो वायरल हो गए। जिसके ट्वीट नीचे दर्शाये गये हैं।
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