2 January 2020
महाभारत काल का हस्तिनापुर मेरठ जिले में
कालिदास के ‘अभिज्ञान शकुंतलÓ का नायक दुष्यंत भी यहीं का शासक था
समाचार है कि राम और रामायण के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) महाभारत की तरफ ध्यान केंद्रित करने जा रही है.
भाजपा के एमएलसी यशवंत सिंह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखा है जिसमें हस्तिनापुर के खोए हुए गौरव को बहाल करने का अनुरोध किया गया है. अपने पत्र में एमएलसी ने कहा है कि पिछले 72 वर्षों में, हस्तिनापुर पर ध्यान नहीं दिया गया, जो एक समय में देश की राजधानी हुआ करती थी.
हस्तीनापुर की चर्चा होती है तो सहसा हमें अर्जुन को दिया गया कृष्ण भगवान के उपदेश का स्मरण हो आता है :
भगवान श्री कृषण कहते हैं :
यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत, अभ्युथानम् अधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ।
परित्राणाय साधुनाम विनाशाय च: दुष्कृताम, धर्मं संस्थापनार्थाय सम्भावामी युगे युगे ।।
हे भारत ! जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब मैं अपने रूप का सृजन करता हूँ अर्थात साकार रूप से लोगों के समक्ष प्रकट होता हूँ.
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम ढ्ढ
धर्मसंस्थापनाथार्य संभवामि युगे युगे ।
साधुजनों का उद्धार करने के लिए, पापकर्म करने वालों का विनाश करने के लिए और धर्म की अच्छी तरह से स्थापना करने के लिए मैं युग-युग में प्रकट होता हूँ!
कालिदास के ‘अभिज्ञान शकुंतलम्Ó का नायक दुष्यंत भी यहीं का शासक था। अन्य परंपरा के अनुसार राजा वृषभ देव ने अपने संबंधी कुरू को कुरू क्षेत्र का राज्य दिया था इस कुुरू वंश के हस्तिना ने गंगा तट पर हस्तिनापुर की नींव डाली थी।
२००७ में इस संदर्भ में लिखा गया अंगे्रजी में एक मेरे आर्टिकल का भी स्मरण हो रहा है जिसका हिन्दी अनुवाद के अंश भी इस संपादकीय के पृष्ठ में है।
दुष्यंत के भारत की दहाड़ में हिंदू विरोधी ताकतों को पंगु बनाने की ताकत है।
जागते हैं शेर, दुष्यंत के भारत के वारिस। भारत का युवा कोमा में नहीं है। वह संवाद करने का प्रयास करने में सक्षम है, लेकिन शब्दों को व्यक्त करने की क्षमता का अभाव है, तो यह कोमा नहीं है। भारत के शेर, भारत के बच्चे कोमा में नहीं हैं।
राजा भरत, दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र वंश व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया था और वह शुरुआत थी – भारत का लोकतंत्र? ओह! जागो, शेर फिर जागेंगे!
्र भारत में विपक्षी पार्टियां परिवारवाद के आधिपत्य में हैं । क्या यह उचित है?
यहां तक कि हमारे कागज बाघ भी गर्जन कर रहे हैं ।
हम भारत के सोते हुए शेरों को जगा रहे हैं! हम भारत के युवाओं को, दुष्यंत के पुत्रों को जागृत कर रहे हैं। कागज के इस छोटे से टुकड़े के बिना आपका जीवन एक टीबी रोगी के जीवन के रूप में कबाड़ के साथ है।
स्याही की एक एक बूंद के कारण हजारों सोचने लगते हैं। इसलिए हमारे पास केवल एक सर्वोच्च ग्रन्थ नहीं है जैसा कि अन्य के पास है। हमारे पास रामायण, महाभारत, गीता, वेद और इतने सारे और सभी सर्वोच्च हैं ।
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