भाजपा के वरिष्ठतम नेता कैलाश सारंग जी ने कुछ समय पूर्व कहा था कि उन्होंने अपने जीवन में सबसे बड़ी गलती यशवंत सिन्हा को अटल जी से मुलाकात करवाकर और यह कहकर कि ये प्रशासनिक अधिकारी रहते हुये अच्छा कार्य किये हैं इनका उपयोग भाजपा के किया जाये। इसके बाद जनता दल से यशवंत सिन्हा जी भाजपा में आये। इसके आगे सारंग जी ने कहा कि अब यशवंत की चाहत राज्यपाल बनने की है। उनके इस वक्तव्य का यशवंत सिन्हा ने संभवत: कभी खंडन नहीं किया है।
भाजपा में प्रवेश करने के बाद उनका कार्यक्रम रायपुर में भी यहॉ के नगर निगम के पुराने कार्यालय के एक हॉल में हुआ था। उस समय मैं उनके कार्यक्रम में उपस्थित था।
अटल जी के मंत्रीमंडल में रहने के उपरांत उन्होंने भाजपा से कुछ नाराजगी प्रकट की थी। उसके उपरांत उनके सुपुत्र को वर्तमान मोदी मंत्रीमंडल में स्थान मिला। बावजूद इसके वे विद्रोह पर उतारू हैं। उनका साथ अटल जी के मंत्रीमंडल में रहे शत्रुघन सिन्हा साथ रहा है। यहॉ यह उल्लेखनीय है कि कैलाश सारंग, यशवंत और शत्रुघ्र सिन्हा कायस्थ समाज से ताल्लुक रखते हैँ।
शत्रुघ्र और यशवंत सिन्हा को कुर्सी न मिलने से वे मोदी विरोध के रास्ते पर चल पड़े। मोदी विरोध के चलते-चलते वे पाक फंडेड अलगाववादी हुर्रियत के नेता से भी मिलने के उपरांत उनकी भी पैरवी करने लगे।
वहॉ से चलते हुये अब वे पत्थरगढ़ी को स्पर्श करने के लिये चल पड़े हैं। यशवंत जी का संबंध रांची से है। रांची और जशपुर में अधिक दूरी नहीं है।
मोदी विरोध तो शह्य हो सकता है परंतु देशविरोध राष्ट्रवादी शक्तियां सहन नहीं करेंगी।
राहुल गांधी का रास्ता इन्होंने अपनाया हुआ है। राहुल गांधी भी प्रधानमंत्री बनने की लालसा में मोदी विरोध करते-करते देशविरोध के रास्ते पर चल पड़े हैं।
कन्हैय्या कुमार, उमर खालिद और हार्दिक पटेल जिनपर देशद्रोह के मुकदमें चल रहे हैं वे राहुल गांधी के मुख्य सिपहेसालार हैं। इनकी पीठ थपथपाने के लिये अफजल गुरू के शहीदी दिवस के समय आजादी के नारे जब लग रहे थे उस समय वे उनकी पीठ थपथपाने के लिये जेएनयू भी पहुंच गये थे।
जनेऊधारी ब्राम्हण का बहुरूपीया रूप धारण कर वे हिन्दुओं की आंखो में धूल झोंक रहे हैं। दूसरी ओर हिन्दुओं को अल्पसंख्यक बनाने की चाल चलकर लिंगायत को हिन्दुओंं से अलग कर रहे हैं।
एक-दो दिनों पूर्व की ही घटना है कि उन्होंने कर्नाटक में, मैंगलोर में वंदे मातरम राष्ट्रगीत का अपमान किया है। होना तो यह चाहिये कि इस अक्षम्य अपराध के कारण उन पर केन्द्र सरकार देशद्रोह का मुकदमा दायर करे।
हमें विश्वास है कि सिन्हा बंधु भाजपा के शत्रु भले ही बनें पर देश के शत्रु न बनें। कांग्रेस का काला इतिहास तो किसी से छिपा ही नहीं है। उससे बचकर राष्ट्रवाद के रास्ते पर चलें तो उन्हें जनता का समर्थन मिल सकता है।
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