20 December 2019
राहुल गांधी न जाने कोरिया से कहा या इटली से कि भारत की आवाज को दबाने के लिए सरकार के पास धारा 144 लागू करने का अधिकार नहीं है. इसके अलावा ही मोदी सरकार के पास मेट्रो बंद करने और कॉलेज, मोबाइल का इंटरनेट बंद करने का भी हक नहीं है. अगर सरकार ऐसा करती है तो यह भारत की आत्मा का अपमान है।
>> कांग्रेस और उसके साथी दल खुद तो भ्रमित हैं ही और प्रजातांत्रित तरीके से सत्ता पुन: प्राप्त करने पर असफल होने पर, पुन: सत्ता प्राप्त करने की लालसा से पीएम मोदी और भाजपा का विरोध करते-करते वे देश विरोधी हो गये हैं।
राहुल गांधी भ्रमित हैं। मुस्लिम लीग के सपोर्ट से केरल के वायनाड में विजय प्राप्त कर वे अपने आपको मुस्लिम लीगी भी समझ बैठ प्रधानमंत्री बनने की लालसा में अलगाववादी बन गये हैं। राष्ट्रीय स्तर पर अभी वामपंथियों के लाल रंग में अपनी पार्टी और संगी साथियों को मिलाकर वे समझते हैं कि १४४ धारा नहीं होती और मेट्रो बंद नहीं होती, कालेजों में इंटरनेट बंद नहीं होती तो आज से हजार गुना भारत की धरती दंगाईयों के कारण खून से लथपथ हो जाती।
>> पीएम मोदी का विरोध करना प्रजातांत्रित अधिकार है राहुल गांधी उनकी कांगे्रस और उनकी संगी-साथियों का। परंतु भारत के प्रधानमंत्री पर गालियों की बौछार करना क्या भारत की संस्कृति और परंपरा है या विदेश की धरती ब्रिटेन-इटली-कोलंबिया की परंंपरा है?
कल ही के समाचार हैं कि पीएम मोदी को १० जनपथ के इशारे पर दिग्विजय सिंह ने जनरल डायर से तुलना की। उनकी संगत का ही असर है कि उनकी नई साथी बनी शिवसेना ने भी जामिया में पुलिस कार्रवाई की जालियावाला बाग से तुलना की।
बीजेपी और पीएम मोदी का विरोध करना विपक्ष का जनतांत्रिक अधिकार है। परंतु इनका आईएसआई और आईएसआईएस के षडयंत्र में जाने-अंजाने में वोटबैंक की लालच में सहभागी बनना अनुचित है।
राहुल गांधी और उनकी कांगे्रस भ्रमित हैं। एंटोनी की रिपोर्ट में कहा गया था कि कांग्रेस को लोग मुस्लिम पार्टी समझते हैं। इसके बाद उन्होंने चुनाव में अपने आपको जनेऊधारी ब्राम्हण और न मालूम कौन-कौन से गोत्र को बताना प्रारंभ कर दिया था। इतना ही नहीं कांग्रेस पार्टी के हाईकमांड से यह फरमान भी निकला की वह अब अपने पार्टी के नेताओं को और प्रवक्ताओं को राष्ट्रवाद की ट्रेनिंग देगी।
राष्ट्रवाद की ट्रेनिंग देते-देते अब वह पाक परस्त पार्टी बन गई। इसके बाद में कहीं फिर से एंटोनी की रिपोर्ट आती तो उसमें संभव है ये कहा जाता कि भारत की कांगे्रस पार्टी पाकिस्तान की कांग्रेस पार्टी बन गई है।
वास्तव में देखा जाये तो कांग्रेस पार्टी ख्ुाद तो दिग्भ्रमित हंै ही परंतु उसने अन्य विपक्षी दलों को भी दिग्भ्रमित कर दिया है। वे दिग्भ्रमित हो जायें इससे तो कोई विशेष नुकसान नहीं होता परंतु उनके इस भ्रमित वातावरण और कृत्यों ने अल्प संख्यक मुस्लिम समुदाय को भ्रमित कर दिया है और उनके मन में सीएए और एनआरसी के मुद्दे पर डर फैला दिया है।
उसी का परिणाम है कि आज जगह-जगह जहॉ-जहॉ पर मुस्लिम बहुसंख्यक रहते हैं वहॉ-वहॉ उन्हें भड़का कर ये नेता दंगे-फसाद करवा रहे हैंं और जनता तथा सरकारी संपत्ति को क्षति पहुचा रहे हैं।
अब यह तो समझना मुश्किल है कि सत्तारूढ़ भाजपा के जाल में विपक्ष फंसा है या विपक्ष के जाल में सीएए और एनआरसी फँसा है या और कौन किसके जाल में फंसा है यह भी नहीं कहा जा सकता। इसी भ्रम की स्थिति का एक उदाहरण है कि आज ममता बैनर्जी ने ये कहा है कि टोपी लगाकर बीजेपी के लोग दंंगे-फसाद करवाकर बदनाम मुस्लिमों को कर रहे हैं।
यहॉ तक भी ठीक है। इससे भी बढ़कर दुस्साह यह हुआ है कि देश की सुरक्षा नागरिकों की जाल-माल की रक्षा करने वाले पुलिस कर्मियोंं को भी आप पार्टी के दिल्ली के उपमुख्यमंत्री ने यहॉ तक कह दिया कि बसों में आग पुलिस ने लगाई है। इसी प्रकार के आरोप अब लगातार कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता भी दे रहे हैं।
इससे भी बढ़़कर खतरनाक बात यह हुई है कि उक्त नेताओं और पार्टियों के इस देश विरोध हरकतों का घाल-मेल जाने-अंजाने में आईएसआई और आईएसआईएस की साजिश में हो गया है।
इस स्थिति से कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों को तथा भारत के नागरिक मुस्लिम समुदाय को बचना होगा। यही देश के हित में है।
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