9 December 2019
कांग्रेस नेता राहुल गांधी के भारत को ‘रेप कैपिटलÓ बताए जाने पर उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने उनका नाम लिए बिना नसीहत दी है. वेंकैया नायडू ने कहा कि हमें अपने देश का नाम बदनाम नहीं करना चाहिए. रेप के मामलों को लेकर राजनीति नहीं करनी चाहिए.
अतएव नेताओं को भी इससे सबक लेना चाहिये और उपराष्ट्रपति द्वारा दी गई नसीहत को स्वीकार करना चाहिये।
नेता सोचते हैं कि जनता कुछ ही समय के लिये क्रोधित होती है बाद में सब कुछ समय के अनुसार भुला दिया जाता है। पर मीडिया अपना कर्तव्य निभाता है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और भविष्य में पुन: होने वाले अध्यक्ष को मैं दो-तीन घटनाओं का स्मरण कराना चाहता हूं।
तंदूर शर्मा : २४ साल पुराने तंदूर कांड का स्मरण हो रहा है।
2 जुलाई, 1995 की रात को, दिल्ली पुलिस के सिपाही अब्दुल नजीर कुंजु और होमगार्ड चंदरपाल ने अशोक यति निवास (जिसे अब इंद्रप्रस्थ होटल कहा जाता है) में खुली हवा में बगिया रेस्तरां से धुआं निकलता देखा। उन्हें संदेह हुआ और उन्होंने परिसर में प्रवेश करने के लिए होटल की बाउंड्री वाल को नापा। रेस्तरां में एक तंदूर (एक मिट्टी का ओवन) में ‘कुछ बड़ाÓ जल रहा था।
आरोपी ने दावा किया कि कांग्रेस के बैनर और झंडे जलाए जा रहे थे
यह ‘कुछ बड़ाÓ नैना साहनी (29) का शरीर निकला, जिसे कथित तौर पर उनके पति और तत्कालीन दिल्ली यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष सुशील शर्मा ने मार डाला था। चूंकि आग की लपटें रेस्तरां की छत को छू रही थीं, इसलिए इसे फैलने से रोकने के लिए दोनों ने पानी से आग बुझाई। बाद में, अदालत में जमा होने के दौरान, कुन्जू और यह दावा किया गया था कि कांग्रेस के बैनर और झंडे जलाए जा रहे थे।
ढ्ढ्रस् अधिकारी ने गुजरात भवन में हत्यारे को शरण दी
, उस रात, शर्मा अपने भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी डीके राव के साथ गुजरात भवन में रहे और अगले दिन जयपुर के लिए रवाना हुए। उस समय गुजरात में कांग्रेस सरकार थी।
जेसिका लाल (1965-1999) नई दिल्ली में एक मॉडल थी, 29 अप्रैल 1999 को, उसकी तब गोली मार कर ह्त्या कर दी गयी जब वो एक भीड़ भरी उच्चवर्गीय पार्टी में एक प्रतिष्ठित बारमेड की तरह काम कर रही थी[1]. दर्जनों गवाहों ने कातिल के रूप में हरियाणा में एक धनी उस समय के कांग्रेस नेता विनोद शर्मा के बेटे सिद्धार्थ वशिष्ठ उर्फ मनु शर्मा की निशानदेही की थी। कुलनाम “लाल (रुड्डद्यद्य)” कभी कभी मीडिया में “लाल (रुड्डद्य)” की तरह बोला जाता है।
इन दोनों ही केस की मुख्य बातें ये भी हैं :
दिल्ली हाइकोर्ट ने नैना साहनी तंदूर मर्डर केस में जेल में सजा काट रहे सुशील शर्मा को रिहा करने के आदेश दिए हैं. सुशील को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी. सुशील ने हाइकोर्ट में अपील की थी कि वो 23 साल से जेल में सजा काट रहा है. अब उसे मानवीय आधार पर रिहा कर देना चाहिए. कोर्ट ने उसकी अर्जी मान ली है।
नवंबर 2017 से, जेल समय के दौरान उनके अच्छे आचरण को देखते हुए शर्मा को “खुली जेल” में स्थानांतरित कर दिया गया था, जिसका अर्थ था कि उन्हें हर रोज़ जेल छोडऩे और शाम को लौटने की अनुमति थी। 2018 में, सबरीना लाल, केवल जेसिका लाल के जीवित परिवार के सदस्य ने तिहाड़ जेल के कल्याण कार्यालय को एक पत्र में कहा कि, उन्हें सिद्धार्थ वशिष्ठ उर्फ मनु शर्मा की रिहाई पर कोई आपत्ति नहीं थी ।
प्रियदर्शनी मट्टू की हत्या :
1999 में इसी तरह के एक हत्या के मामले में, अदालत ने खराब जांच के कारण दोषियों को बरी कर दिया था और वर्तमान में दिल्ली उच्च न्यायालय में मामला चल रहा है। “अगर मैं जेसिका लल्ल के पिता से मिलता हूं, तो मैं उसके बगल में बैठूंगा और रोऊंगा। उनके भाग्य पर, मेरे भाग्य पर, न्याय के इंतजार में ष्ट॥्ररू्रहृ रू्रञ्जञ्जह्रह्र लिखते हैं। मेरा मानना है कि वह अपनी बेटी की मृत्यु नहीं ले सका और भूलने की बीमारी से पीडि़त है। कोई अपने नुकसान की भरपाई कैसे कर सकता है? मैं जेसिका लाल के परिवार और अन्य लोगों से मिलना चाहूंगा, जो मेरी तरह भाग्य साझा करते हैं। हम भारत के राष्ट्रपति को हम जैसे लोगों के लिए एक समाधान खोजने के लिए याचिका करेंगे। मैंने हार नहीं मानी है।”
विश्व हिन्दू परिषद की साध्वी प्राची के वक्तव्य पर भी इसी संदर्भ में गौर किया जा सकता है।
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