21 November 2019
शिवसेना के साथ महाराष्ट्र में सरकार बनाने क की सहमति कांगे्रसाध्यक्षा सोनिया गांधी जी ने दे दी है।
अब उनके एक हाथ में शिवसेना है और दूसरे हाथ में मुस्लिम लीग। यह सेक्युलरिज्म है या सेल्फीज्म, यह जनता है सब जानती है।
एक समय था जब बाला साहब ठाकरे ने भी इंदिरा गांंधी की इमरजेंसी का समर्थन किया था और मुस्लिम लीग का भी मुंबई नगर निगम के चुनाव में साथ लिया था। उन सब गलतियों से सबक लेते हुए बाद में उन्होंने हिन्दुत्व का ही मार्ग अपनाया और पूरे भारत में इसी कारण से आज उन्हें आदर की दृष्टि से देखा जाता है।
शिवसेना ने अब फिर उल्टी गिनती गिनना प्रारंभ कर दिया है। अब जनता जनार्दन उन्हें किस रूप में देखेगी यह तो भविष्य ही बतायेगा।
वीर सावरकर को भारत रत्न दिये जाने का आज पुन: शिवसेना ने समर्थन किया है। यह निर्णय वह उस समय ली है जिस समय पवार का पावरगेम में वह फंसी हुई थी। आज ही संजय राऊत जी को अटल बिहारी वाजपेयी जी के कविता का भी स्मरण हुआ।
अब आज शरद पवार जी के घर में एनसीपी और कांग्रेस की जो बैठक हुई है उसमें यह तो निष्कर्ष निकल गया है कि शिवसेना के साथ सरकार बनाने की सहमति सोनिया गांधी जी ने दे दी है।
बैठक के बाद में पृथ्वीराज चव्हाण ने यह बताया कि एक-दो दिन में अंतिम निर्णय ले लिया जायेगा। अभी कुछ बातों पर और चर्चा होनी बाकी है।
यह तीन टंगड़ी दौड़ कांगे्रस और शिवसेना के लिये सुखदायक है कष्टदायक यह तो भविष्य ही बतायेगा। वास्तव में देखा जाये तो शरद पवार के दोनों हाथों में लड्डू हैं, सोनिया गांधी जी के हाथों में नहीं।
इस सरकार का भविष्य क्या होगा? क्या यह संभावित सरकार ५ वर्ष तक टिक पायेगी?
उद्धव ठाकरे जी ने आधार-कार्ड और पेन कार्ड तथा पांच रोज के कपड़ों सहित अपनी पार्टी के सदस्यों को बुलाया है। इसके पूर्व वे होटलों में नजरबंद थे। कांग्रेस के भी विधायक जयपुर की होटल में नजरबंद थे।
स्वतंत्र होने के उपरांत वे क्या गुल खिलायेंगे यह तो भविष्य में ही पता चलेगा।
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