15-dec-2021
चीन मध्य एशिया में अपना प्रभुत्व स्थापित करने के लिए तरह-तरह के पैंतरे अजमाने की कोशिश कर रहा है। इस बीच एक ही झटके में भारत ने चीन को ऐसा उत्तर दिया है, जिसके बाद चीन अब हक्का-बक्का हो गया है। भारत ने पांच मध्य एशिया देशों को गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने का निमंत्रण देकर न केवल अपने कूटनीतिक प्रभुत्व का परिचय दिया है, बल्कि चीन को भी बिना किसी विशेष प्रयास के ज़बरदस्त झटका दिया है।
गणतंत्र दिवस पर मध्य-एशिया के 5 देशों को मिला निमंत्रण
हाल ही में, एक महत्वपूर्ण निर्णय में भारत ने मध्य एशिया के पांच महत्वपूर्ण देशों – उज़्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, कज़ाखिस्तान, किर्गिज़स्तान और तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्राध्यक्षों को 2022 के गणतंत्र दिवस परेड के लिए निमंत्रण दिया है। इसी परिप्रेक्ष्य में मध्य एशिया के विदेश मंत्रियों और भारत के बीच एक विशेष सम्मलेन का आयोजन 18 एवं 19 दिसंबर को नई दिल्ली में होना है। बता दें कि प्रथम आयोजन जनवरी 2019 में समरकंद में हुआ था, जहां पूर्व विदेश मंत्री, स्व. सुषमा स्वराज ने भारत का प्रतिनिधित्व किया था और वर्ष 2020 में द्वितीय सम्मेलन वर्चुअली हुआ क्योंकि तब कोविड का दुष्प्रभाव अपने ज़ोरों पर था।
घ्यान देने योग्य है कि इस निमंत्रण से भारत एक ही तीर से दो निशाने साधने में सफल रहेगा। न केवल वह मध्य एशिया से अपने सम्बन्ध सुदृढ़ कर रूस के अधिक निकट आएगा, अपितु वह चीन के प्रभाव को भी कम करने में सफल रहेगा। इस दिशा में भारत पहले ही लगा हुआ है और उसने मध्य एशियाई देशों की सहायता हेतु उर्जा, स्वास्थ्य, आईटी, कृषि, शिक्षा इत्यादि के क्षेत्रों में 1 बिलियन डॉलर का लाइन ऑफ़ क्रेडिट भी दिया है। यूं ही नहीं भारत चाबहार बंदरगाह के ज़रिये सम्पूर्ण एशिया से जुड़ने को उद्यत है।
इसी परिप्रेक्ष्य में एक विश्लेषणात्मक पोस्ट के अनुसार, “भारत और चीन के बीच जारी बॉर्डर विवाद के दौरान अब भारत मध्य एशिया मेंचीन को बड़ा झटका दे सकता है। चीन को झटका देने में भारत का सबसे अहम हथियारबनेगा ईरान का चाबहार पोर्ट, जिसे वर्ष 2016 से ही भारत ईरान की धरती परविकसित कर रहा है। इसी वर्ष भारत ने चाबहार को विकसित करने के लिए 100 करोड़का बजट आवंटित किया था।
अब इसके बाद भारत ने इस पोर्ट पर अपने operations में तेजी ला दी है। इस पोर्ट के जरिये पहले सामान अफ़ग़ानिस्तान भेजा जा रहा था, अब जल्द हीभारत पूर्वी यूरोप और मध्य एशिया के देशों तक भी अपना सामान पहुंचा सकताहै। अब केन्द्रीय मंत्री मंसुख लाल ने ऐलान किया है कि इन देशों तक सामानपहुंचाने में भारत को अब 20 प्रतिशत कम खर्चा करना पड़ेगा, क्योंकि चाबहार पोर्ट के जरिये व्यापार का रास्ता छोटा हो गया है, जबकिपहले भारत को यूरोप अथवा चीन के माध्यम से ही इन देशों तक पहुंचना पड़ता था।”
चीन से भारत की सोच एक कदम आगे है
वहीं, एक प्रश्न अब भी व्याप्त है कि चीन को इससे कैसे हानि होगी? चीन के साम्राज्यवादी मंशाओं से कोई भी अनभिज्ञ नहीं है और वह इसके लिए हर उस क्षेत्र पर वर्चस्व प्राप्त करना चाहता है, जहां से वह अपना प्रभाव दुनिया पर जमा सकें। लेकिन मध्य एशिया वह क्षेत्र है, जो रूस के लिए भी महत्वपूर्ण है और भारत के लिए भी।
आर्थिक मोर्चे पर रूस चीन के सामने कहीं नहीं ठहरता। वहीं, रूस को एक साझेदार की आवश्यकता थी, जो अब भारत पूरी कर रहा है। ऐसे में, अब कूटनीतिक मोर्चे पर भारत ने पंचों मध्य एशिया देशों को गणतंत्र दिवस पर निमंत्रण देकर ऐसा दांव खेला है, जिसे देखकर आप भी बोल उठेंगें कि चीन स्वयं को जितना समझदार समझता है, भारत उसकी समझदारी से एक कदम आगे की सोच रखता है।
More Stories
चीन के पसरते पांव पर लगाम लगाना आवश्यक
चीन के पसरते पांव पर लगाम लगाना आवश्यक
श्रीलंका को कर्ज मिलना राहत की बात