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Editorial:जेएनयू राम विरोधियों का अड्डा क्यों बन रहा? क्या विदेशी आक्रांता बाबर वामपंथी छात्रों का आदर्श है?

10-dec-2021

जेएनयू देश और राम विरोधियों का अड्डा बन गया है। यहां पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की खुलेआम धज्जियां उड़ायी जाती हैं। विश्वविद्यालय के कैंपस में सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी मान्य नहीं होता है, क्योंकि अफजल गुरु की फांसी के बाद राम मंदिर के निर्माण के खिलाफ भी आवाज उठने लगी है। कैंपस में बाबरी मस्जिद पुर्ननिर्माण को लेकर नारेबाजी का मामला अब तूल पकड़ लिया है। वकील विनीत जिंदल ने जेएनयूएसयू की अध्यक्ष आइशी घोष और उपाध्यक्ष साकेत मून के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में श्रीराम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ हुआ।
वकील विनीत जिंदल ने अपनी शिकायत में दलील दी है कि अब जेएनयू छात्र संघ की ओर से ऐसा किया जाना मुस्लिम समुदाय को मंदिर निर्माण के खिलाफ भड़काने वाला और हिंदू भावनाओं को आहत करने वाला है। लिहाज़ा छात्र संघ के पदाधिकारियों के खिलाफ राजद्रोह और सामाजिक वैमनस्य फैलाने का मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए। राम मंदिर के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश से आगे बढ़ाया गया है, बाबरी मस्जिद के पुनर्निर्माण की मांग को लेकर इस तरह का आयोजन स्पष्ट रूप से भारत के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर सवाल उठाता है।
जिंदल ने दिल्ली पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना को संबोधित एक शिकायत में कहा, “छात्रों का बयान अदालत के फैसले की निंदा करता है, हमारे संविधान की धर्मनिरपेक्ष प्रकृति पर भी सवाल उठाता है जो देश की न्यायपालिका प्रणाली की नींव है।” गौरतलब है कि जेएनयूएसयू के उपाध्यक्ष साकेत मून ने कहा था, “यह स्वीकार करना होगा कि बाबरी मस्जिद का विध्वंस गलत थाज्मुआवजा देना होगा। इसे फिर से बनाया जाना चाहिए।” वहीं छात्र संघ के नेता आइशी घोष ने कहा कि बाबरी मस्जिद के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का अगला निशाना काशी है और भगवा पार्टी ने इस पर काम करना शुरू कर दिया है।
जेएनयू छात्र संघ की ओर से 6 दिसंबर की रात एक विरोध मार्च निकाला गया। इस दौरान छात्रसंघ के कार्यकर्ता और वामपंथी संगठनों के कार्यकर्ताओं ने बाबरी मस्जिद को दोबारा बनाने की मांग की। स्टूडेंट यूनियन कार्यकर्ताओं की ओर से “नहीं सहेंगे हाशिमपुरा, नहीं करेंगे दादरी, फिर बनाओ बाबरी” जैसे नारे लगाए गए। बाबरी विध्वंस की घटना के 29 साल बाद जेएनयू कैंपस में छात्र संघ ने इस घटना के विरोध में प्रोटेस्ट मार्च निकाला, जिसमें कहा गया की बाबरी मस्जिद दोबारा से बननी चाहिए। जेएनयू कैंपस के गंगा ढाबा पर काफी संख्या में वामपंथी छात्र जमा हुए और मार्च निकालते हुए चंद्रभागा हॉस्टल पहुंचे।