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Editorial : मोदी राज में दूसरे देशों के दबाव में नहीं, अपने संकल्प से चलता है

16-nov-2021
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पिछले सात साल के शासन में आत्मविश्वास से लबरेज एक ‘न्यू इंडिया’ का उदय हुआ है, जो हर चुनौती से टकराने का साहस और सामर्थ्य रखता है। भारत अब दूसरे देशों की सोच और उनके दबाव में नहीं, बल्कि अपने संकल्प से चलता है। राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर समझौता नहीं करता। इसका प्रमाण चीन से तनाव के बीच रूस से आधुनिक ब्रह्मास्त्र् कहे जाने वाले एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टेम की आपूर्ति शुरू होने से मिलता है। इस सिस्टम की पहली खेप भारत पहुंच चुकी है और रूस के सेन्ट्रल सैन्य टेक्नोलॉजी कॉरपोरेशन के डायरेक्टर दिमित्री शुगाएव ने इसकी पुष्टि भी कर दी है। शुगाएव ने कहा कि भारत को एस-400 सिस्टटम की आपूर्ति शुरू हो गई है और यह तय समय पर चल रही है।

समझौते के तहत 400 किमी तक हवाई सुरक्षा मजबूत करने के लिए भारत को पांच स्क्वाड्रन की आपूर्ति की जाएगी। पहली स्क्वाड्रन की आपूर्ति इस साल के अंत तक पूरी हो जाएगी। चीन पहले ही रूस से एस-400 खरीद चुका है और इसे तिब्बत में तैनात भी कर रखा है। ऐसे में जरूरी है कि भारत के पास भी चीन की तरह एक मजबूत एयर डिफेंस सिस्टम हो। एस-400 के आ जाने पर भारत, चीन और पाकिस्तान से लगती सीमा पर इनकी तैनाती यदि कर देता है तो इन दोनों शत्रु देशों के खिलाफ उसका डिफेंस काफी मजबूत हो जाएगा। गौरतलब है कि भारत ने रूस से अक्टूबर 2018 में 35 हजार करोड़ रुपये कीमत का सतह से हवा में मार करने वाले इस मिसाइल सिस्टम की आपूर्ति का समझौता किया था। सूत्रों के अनुसार मोदी सरकार की कड़ी सौदेबाजी की वजह से भारत को करीब 7 हजार करोड़ रुपये की बचत हुई थी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विश्व के हर प्रभावशाली मंच पर भारत की दमदार उपस्थिति दिखाई दे रही है। ग्लासगो में निर्धारित समय से एक दिन आगे तक चले संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में भी भारत को उस समय बड़ी कूटनीतिक जीत मिली, जब ग्लोबल वार्मिंग को लेकर हुए समझौते के दौरान भारत अंतिम समय में 200 देशों को यह समझाने में कामयाब रहा कि कोयला, पेट्रोल, डीजल और प्राकृतिक गैस जैसे जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से बंद करने के बजाय चरणबद्ध तरीके से कम किया जाए। भारत ने समझौते के अंतिम समय में कोयले को ‘फेज आउट’ के बजाय ‘फेज डाउन’ में शामिल करवाया।