24-9-2021
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मजबूत नेतृत्व में भारत निवेश के लिए वैश्विक निवेशकों का पसंदीदा देश बना हुआ है। यही कारण है कि देश में कोरोना काल के विकट परिस्थितियों में भी देश का आर्थिक विकास बढ़ रहा है।
इसी प्रकार से हाल ही में जो एफडीआईनीति में बदलाव किया गया था वह सकारात्मक रहा है। इसका नतीजा भारत की दृष्टि से ग्लोबल मार्केट में नई क्रांति लेकर आया है।
चीन जैसे देशों को भी मोदी सरकार ने पटखनी दे डाली है। कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में चीन को जो एफडीआई आने की संभावना थी यानी चीन को बाहरी देशों से जो एफडीआई निवेश मिलने वाले थे वह भारत के रैंकिग में सुधार के कारण चीन के हाथ से निकलते जा रहे हैं।
बीते वर्ष समाचार था कि यूपी में जर्मनी कंपनी ने अपनी उत्पादन श्रंखला को चीन से हटा कर लाया है। यह सकारात्मक संकेत है। आने वाले दिनों में जो वैश्विक आर्थिक प्रतिस्पर्धा का सामना भारत को करना पड़ेगा उसमें निश्चत ही भारत की विजय होने वाली है ।
मोदी सरकार बनने के बाद एफडीआई नीति में सुधार, निवेश के लिए बेहतर माहौल और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस जैसे कदम उठाने का परिणाम है कि वे कोरोना काल में भी भारत में जमकर निवेश कर रहे हैं। मोदी सरकार की नीतियों का ही परिणाम है कि मौजूदा वित्त वर्ष 2021-22 के पहले चार महीनों के दौरान भारत ने कुल 27.37 बिलियन अमेरिकी डॉलर का विदेशी निवेश भारत में आया है। इससे पहले वित्त वर्ष 2020-21 में इसी अवधि की 16.92 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश की तुलना में यह 62 प्रतिशत अधिक है। इसके साथ ही पिछले साल की इसी अवधि में 9.61 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 के पहले चार महीनों में 20.42 बिलियन अमेरिकी डॉलर के साथ एफडीआई इक्विटी प्रवाह में 112 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। वित्त वर्ष 2021-22 के पहले चार महीनों के दौरान ‘ऑटोमोबाइल उद्योगÓ शीर्ष क्षेत्र के रूप में उभरा है। इसका कुल एफडीआई इक्विटी प्रवाह में योगदान 23 प्रतिशत रहा है, इसके बाद कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर का 18 प्रतिशत और सेवा क्षेत्र का 10 प्रतिशत योगदान रहा है। वित्त वर्ष 2021-22 में जुलाई, 2021 तक कुल एफडीआई इक्विटी प्रवाह में 45 प्रतिशत हिस्से के साथ कर्नाटक शीर्ष पर है, इसके बाद महाराष्ट्र 23 प्रतिशत के दूसरे और 12 प्रतिशत के साथ दिल्ली तीसरे स्थान पर रहा।
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