24-9-2021
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश आत्मनिर्भर और महाशक्ति बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। देश की बागड़ोर संभालने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने 70 वर्षों की नीतिगत जड़ता को खत्म करते हुए हर क्षेत्र में रिफॉर्म और इनोवेशन को बढ़ावा दिया। यहां तक कि कोरोना महामारी के दौरान भी सुधार का प्रयास जारी रखा। इसका परिणाम है कि दुनियाभर में देश की साख मजबूत होने से वैश्विक स्तर पर भारत की तमाम रैंकिंग में सुधार हो रहा है।
अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए भारत दुनिया का दूसरा सबसे आकर्षक मैन्युफैक्चरिंग हब बन गया। रियल एस्टेट कंसल्टेंट कुशमैन एंड वेकफील्ड के मुताबिक, ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग रिस्क इंडेक्स- 2021 में चीन के बाद भारत दूसरे स्थान पर पहुंच गया। पिछले साल की रिपोर्ट में अमेरिका दूसरे और भारत तीसरे स्थान पर था। इस रैंकिंग से पता चलता है कि अमेरिका और एशिया-प्रशांत क्षेत्र की तुलना में मैन्युफैक्चरर भारत को ज्यादा पसंद कर रहे हैं। यह इंडेक्स यूरोप, अमेरिका और एशिया-पैसेफिक (एपीएसी) के 47 देशों में से ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग के लिए आकर्षक या प्रॉफिटेबल डेस्टिनेशन की रैंकिंग करता है।
वल्र्ड इंटेलेक्चुअल प्रोपर्टी आर्गनाइजेशन (डब्ल्यूआइपीओ) की ओर से सोमवार (20 सितंबर, 2021) को जारी ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स 2021 में भारत दो पायदान की छलांग लगाकर 46वें स्थान पर पहुंच गया। डब्ल्यूआइपीओ के मुताबिक यह रैंकिंग सरकारी और निजी शोध संस्थानों द्वारा शानदार काम और बेहतर स्टार्टअप इकोसिस्टम का प्रमाण है। परमाणु ऊर्जा विभाग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, बायोटेक्नोलाजी विभाग एवं अंतरिक्ष विभाग जैसे विभागों ने भारत के नेशनल इनोवेशन इकोसिस्टम को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई है।
संगठन का दावा है कि इस रिपोर्ट से दुनियाभर के देशों की सरकारों को अपने यहां नवाचार बढ़ाने में मदद मिलेगी। इसका मूल उद्देश्य नए विचारों और तकनीकों को सामाजिक व आर्थिक बदलावों के लिए इस्तेमाल करना है। मोदी सरकार के पिछले सात साल में भारत ने इस सूचकांक में जबरदस्त तरक्की की है। 2015 में जहां भारत का जीआईआई 81 था, वहीं 2021 में यह 46वें पायदान पर पहुंच गया है। यह सुधार स्टार्टअप के लिए अनुकूल माहौल बनाने सरकारी और निजी संगठनों की ओर से शोध पर जोर दिए जाने से आया है। देश का नीति आयोग विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार लाने के लिए अथक प्रयास कर रहा है। आयोग ने वैश्विक रैंकिंग में भारत की स्थिति की निगरानी और मूल्यांकन पर निरंतर जोर दिया है, जिसमें जीआईआई भी शामिल है।
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