9-9- 2021
उपचुनाव के नजदीक में आते ही ममता बैनर्जी के शासन काल में हिंसा गुंडागर्दी व बमबाजी थमने का नाम नहीं ले रही है। जिसके कारण समूचे प.बंगाल में राजनीतिक व लोकतांत्रिक मूल्यों की सुरक्षा पर पश्र चिन्ह उठने लगे हैं ।
ममता बैनर्जी एक ओर शांति की बात करती हैं तो वहीं दूसरी ओर प.बंगाल में गुंडागर्दी व बमबाजी पर मौन रहती है। इसका कारण सिर्फ एक ही है वह है अराजकता। ममता बैनर्जी किसी भी प्रकार से लगातार अपने वोटबैंक को चोट नहीं पहुचाना चाहती है। ममता बैनर्जी का वोटबैंक के ही सदस्य है गुंडे जो हिंसा में हमलावर होते हैं।
ममता बैनर्जी चाहे तो अपने ऐड़ी चोटी का बल लगाकर हिंसा को थामने की योजना बना सकती है। परंतु उन्हें अपने वोटबैंक खाने का डर है।
ममता बैनर्जी के राज में गुडों द्वारा पिछले सात सालों में हिंसा हो रही है। राजनीतिक प्रतिद्वंदियों को चोट पहुंचाने के लिये वहॉ के भाजपा कार्यकर्ताओं को डरा-धमकाकर जनसंपर्क करने से रोकने के लिये इस प्रकार के हथकंडे अपना चुके है।
इसके अलावा बीते विधानसभा चुनाव में भी प.बंगाल से कई जगहों पर विस्फोटक व बम सामग्री बरामद हो चुकी है जो इस बात की पुष्टी करते हैं कि ममता बैनर्जी इस तरह के कृत्यों को रोकने का सार्थक प्रयास नहीं कर रही हैं।
इसीलिये अर्जुन सिंह के घर पर हुए हमले को लेकर केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी ने कहा कि “समझ में नहीं आ रहा है कि पश्चिम बंगाल में सरकार चल रही है या गुंडों और अराजकता की बहार चल रही है। एक के बाद एक जो घटनाएं आ रही हैं वे पश्चिम बंगाल की व्यवस्था और सरकार के लिए शर्म की बात हैं।” राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने सांसद अर्जुन सिंह के घर पर हुए हमले को लेकर कानून व्यवस्था सवाल उठाए है।
यह देखने की बात है कि ममता बैनर्जी जो फिर से सीएम पद में बने रहने के लिये उपचुनाव में भवानीपुर सीट से खड़ी होंगी तो क्या गुंडो को काबू कर उपचुनाव प्रचार में स्वस्थ लोकतंत्र को चरितार्थ कर सकेंगी?
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