01 sep 2021
जैसे तालीबान अफगानिस्तान में कट्टरपंथ व तानाशाही रवैय्ये के लिये जाना जा रहा है ठीक उसी प्रकार से तालीबान के समर्थक व विचारधारा रखने वाले विश्व भर में कहीं-कहीं मौजूद हैं, तालीबान को फंडिंग व उसके लड़ाकों को ट्रेनिंग देने की भागीदारी पाकिस्तान व चीन ने ही की है ऐसी खबरें पब्लिक डोमेन में है। पाकिस्तान व चीन की तालीबान को पनपाने में अपनी एक स्वार्थसिद्धी है।
फिलहाल बात है तालीबान के कट़्टपंथ और उसके जैसी सोच रखने वालों की। तालीबान को चाहने वाले उसके प्रशंसकों ने तालीबान की तरह ही कट्टरपंथी विचारधारा को अपनाया हुआ है।
विश्व भर में जहॉ कहीं भी तालीबान के कट्टरपंथ वाले जिहादी तत्व मौजूद हैं उनका कार्य है देश का अहित करना, अलगाववाद फैलाना और टुकड़े-टुकड़े करना ,महिलाओं की आजादी छिनना एवं धार्मिक प्रतिबंध लगाना अन्य धर्मों के खिलाफ।
जिस प्रकार से अफगानिस्तान मेें महिलाओं व आम लोगों पर पाबंदियों का अंबार लगा हुआ है उससे ये तो साफ है कि तालिबान किसी दूसरे देश के लोगों को अपने यहॉ पनपने नहीं देगा।
दूसरी ओर एक समस्या यह भी है कि तालीबान की विचारधारा रखने वालों का समाधान कैसे होगा? ये लोग तालीबान के जितने ही खतरा पैदा करने वाले हैं। समाज में ऐसे लोगों को नसीहत देने की जरूरत है। उदाहरण के तौर पर समाचार है कि मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा ए हिंद ने भारत में समृद्ध मुस्लमानों से बच्चियों के लिए अलग-अलग स्कूल खोलने का आहवान किया है और संगठन के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने लड़के तथा लड़कियों की एक साथ शिक्षा यानि ष्टशश्वस्र की खिलाफत की है। सोमवार को जमीयत उलेमा ए हिंद की दिल्ली में एक बैठक हुई है जिसके बाद इस तरह का बयान जारी किया गया है।
देखा जाये तो अब एक बात साफ है कि तालीबान जैसी सोच और विचारधारा रखने वाले देश में धार्मिक कलह व महिला उत्पीडऩ होने की वजह बनेंगे। जिससे विश्व में अखंडता का प्रभाव फैलेगा, जो कि देश की सुरक्षा के लिये अहितकारी होगा। इसलिये इन लोगों से भी बचने की जरूरत है।
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