7 May 2019
कांग्रेस को अभी समर्थन देकर मायावती प्रधानमंत्री बनना चाहती हैं?
यूपी में एसपी–बीएसपी के गठबंधन को लेकर भी जमकर हो रही है चर्चा.
मायावती पर लगा रहे सट्टा
सट्टा इस बात पर भी लगाया जा रहा है कि क्या राजग को 325 से ज्यादा सीटें मिलेंगी, या क्या बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव को छोड़कर राजग में शामिल होंगी।
मोदी के रोड शो का सट्टा बाजार में असर लगता है कि गुरुवार को वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रोड शो से सट्टा बाजार को बड़ा संबल मिला है और कई सट्टेबाजों ने उत्तर प्रदेश में भाजपा के लिए बहुमत सीटों का दावा किया है। अनौपचारिक, कालाधन आधारित सट्टेबाजी के रैकेट काफी सक्रिय रहे हैं, लेकिन संचालन की गुप्त प्रकृति दावों के सत्यापन को रोकती है।
सट्टा बाजार की उक्त संभावनाओं का विश£ेषण राजनीतिक गलियारों में भी किया जाने लगा है।
किसी ने भी यह कल्पना नहीं की थी कि नीतिश एनडीए में पुन: शामिल हो जायेंगे। परंतु अमित शाह और नरेन्द्र मोदी की नीतियों ने असंभव को संभव कर दिखाया अर्थात नीतिश बिहार के मुख्यमंत्री रहे और एनडीए में शामिल हो गये।
>> इसीलिये राजनीतिक परिप्रेक्षकों ने भी संभावना प्रकट की है कि संभव है चुनाव के बाद मायावती एनडीए में शामिल हो जायें। उत्तरप्रदेश में निकट भविष्य में मायावती भाजपा के साथ मिलकर मुख्यमंत्री बनकर शासन करे। ऐसा पहले भी हो चुका है।
कांग्रेस को अभी समर्थन देकर और चुनाव बाद कांग्रेस से समर्थन लेकर मायावती प्रधानमंत्री बनना चाहती हैं?
>> आज मायावती का बड़ा बयान है, प्रधानमंत्री बनने का मिला मौका तो अंबेडकर नगर सीट से लड़ूंगी चुनाव।
मायावती ने उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर में एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद यदि जरूरत पड़ी तो वह अंबेडकरनगर सीट से चुनाव लड़ेंगी। हालांकि, उन्होंने प्रधानमंत्री बनने का खुलकर जिक्र नहीं किया, लेकिन उन्होंने कहा कि “अगर सब ठीक रहा तो मुझे यहां से चुनाव लडऩा पड़ेगा। क्योंकि दिल्ली की राजनीति का रास्ता अंबेडकरनगर से होकर जाता है।“मायावती सभास्थल पर लगाए गए अपने उस कटआउट को देखकर बहुत खुश थीं, जिसमें वह संसद भवन के बाहर खड़ी हैं और उसपर प्रधानमंत्री लिखा हुआ था।
>> आज कल का महत्वपूर्ण घटनाक्रम है :
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने अमेठी और रायबरेली में अपने मतदाताओं से कांग्रेस के पक्ष में वोट डालने की अपील की।
पूर्व में मायावती जितना भाजपा पर अक्रामक रही हैं, उससे कहीं ज़्यादा कांग्रेस को उन्होंने निशाने पर लिया है.
मायावती ने कहा, “कांग्रेस और भाजपा एक ही थाली के चट्टे–बट्टे हैं. इसके बावजूद भी हमने देश और आम जनहित में ख़ासकर भाजपा और आरएसएसवादी ताक़तों को कमज़ोर करने के लिए उत्तर प्रदेश की अमेठी और रायबरेली सीट को कांग्रेस पार्टी के लिए इसलिए छोड़ दिया था ताकि इस पार्टी के दोनों सर्वोच्च नेता इन दोनों सीटों में उलझ कर न रह जाएं.”
मायावती ने रविवार को भी दोनों पार्टियों को निशाने पर लिया, लेकिन अंत में मायावती इतनी नरम क्यों पड़ रही हैं?
क्या मायावती की यह अपील भविष्य में बनने वाली सरकार का स्वरूप तय करेगी?
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