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कोई खुलागी नहीं, रेस्तरां में मॉन्ट्रियल ट्रिब्यूनल, संसद की घोषणा और शहर की कोशिशें

राज्य सरकार ने मैसूर अपीलेट ट्रिब्यूनल की बेंच में स्थापित करने का दावा पेश किया। फोटो- विवरण।

पर प्रकाश डाला गया

  1. दूसरी ओर, प्रदेश सरकार ने दूसरा बेंचमार्क खर्च उठाने की तैयारी नहीं की है।
  2. ग्लोबल सीज़न में सरकार ने किया था ट्रिब्यूनल का वादा।
  3. वर्तमान में सभी ऑनलाइन मोड में हो रही हैं।

लोकेश राक्षस, नईदुनिया डेकोर। होटल में आकर्षक अपीलेट ट्रिब्यूनल की बेंच स्थापित नहीं होगी। खैर, वित्त मंत्रालय ने इस पर सहमति दी हो। अल्पसंख्यक शंकर लालवानी में संसद में वैभव उठाया गया। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वादा किया था और देश के व्यापारियों के सलाहकारों ने आंदोलन से लेकर कोर्ट की शरण भी ली थी। ये सभी कोशिशें फेल नजर आ रही हैं।

राज्य सरकार ने इंदौर के दावे को स्वीकार कर लिया है। दो साल से मैसूर ट्रिब्यूनल की बेंच इंदौर में गोवा जाने की मांग लेकर शहर के होटल, करप्रोफेशनल लड़ाई लड़ रहे हैं। पहले ट्रिब्यूनल बेंच में हो रही देरी को लेकर संघर्ष हुआ। इसके बाद इंदौर को अनलॉक करने की लड़ाई शुरू हो गई।

वर्षों में इंदौर के किले और कर सलाहकार, मुख्यमंत्री से लेकर केंद्रीय वित्त मंत्री तक से अविश्वास मिला। सब मन भी बैठे थे कि इंदौर में बेंच खुलीगी। अब खबर है कि केंद्र सरकार ने भले ही इंदौर का नाम एनओसी दे दिया हो, लेकिन राज्य सरकार ने ट्रिब्यूनल की बेंच बनाने के पक्ष में नहीं है।

ऑफ़लाइन मॉड में हो रही समीक्षा

प्रदेश सरकार ने पहले कहा था कि वो केंद्र को प्रस्ताव भेजेगा, लेकिन अब इसे रद्द कर दिया गया है। राज्य के संग्रहालय के अधिकारियों को सरकार की ओर से संदेश दिया गया है कि इंदौर में बेंच की जरूरत नहीं है क्योंकि ताजा दौर में सभी सुनवाई ऑनलाइन मोड में हो रही हैं।

ऐसे में ट्रिब्यूनल कहीं भी रह रहे हैं, लेकिन भूख से नहीं। इसके बाद वाणिज्यिक स्थिति वाले वाणिज्यिक मुख्यालय ने भी इस बारे में प्रयास और सहयोग बंद कर दिया है। डिविज़न सूत्र बता रहे हैं कि ऊपर से साफ़ संदेश दिया गया है कि केंद्र को तो केवल अधिसूचना जारी की गई है।

मगर, ट्रिब्यूनल की बेंच ने अपने कनारिअल से लेकर अधिकारी-कर्मचारियों के खर्च का भार राज्य सरकार पर आया। खस्ता माली हालत से परेशान प्रदेश सरकार ऐसे में अपने शोरूम ट्रिब्यूनल बेंच का खर्च नहीं उठाना चाहती।

मप्र में सिर्फ एक होटल

कर कानून में कर मस्जिद की सुनवाई और अपील के लिए अपील ट्रिब्यूनल की व्यवस्था की गई है। कमर्शियल का मुख्यालय इंदौर में है, क्रिस्चियन अपीलेट ट्रिब्यूनल इंदौर में है और कंपनी ला ट्रिब्यूनल से लेकर हाई कोर्ट की बेंच भी इंदौर में है। सबसे अधिक राजस्व संग्रह लेकर करदाता इंदौर क्षेत्र में हैं।

ऐसे में इंदौर का दावा पक्का माना जा रहा था। जुलाई 2023 में केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने सभी आवेदकों के लिए अपीलेट ट्रिब्यूनल की स्थापना की अधिसूचना जारी की। इसमें व्यापारी का नाम नहीं था। इससे भी बड़े राज्य ये हैं कि छत्तीसगढ़ से लेकर गुजरात हो राजस्थान या अन्य 11 राज्य ऐसे हैं, जहां एक से अधिक शहरों में ट्रिब्यूनल की बेंच दी गई हैं।

मगर, मप्र में सिर्फ भोपाल में इकलौती बेंच रखी गई। इसके बाद संघर्ष शुरू हो गया। संसद में हंगामा उठा, तो दिसंबर 2023 में केंद्रीय वित्तमंत्री टूटे हुए ने भी कहा कि हमें इंदौर में झटका में कोई दोस्त नहीं है। राज्य सरकार का नाम हम स्वीकृत दे देंगे। इसके बाद पूरे मालवा-निमाड़ में व्यापारिक संगठन एकजुट हो गये। पश्चिम बंगाल में प्रदेश सरकार ने हमी भरी, लेकिन अब काम कर लिया है।

अभी जीवित है डाक टिकट

कर पेशावरों का मानना ​​है कि इंदौर और मालवा निमाड़ में सबसे अधिक मटिया रजिस्टर्ड व्यापारी हैं। सोसाइटी से जुड़े कर मस्जिद की समीक्षा के लिए उन्हें भोपाल जाना होगा। सीए, कर सलाहकारों और वकीलों के साथ भी दौड़ लगाई जाएगी। ऐसे में इंदौर में बेंच होनी चाहिए।

इस संबंध में टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन ने हाई कोर्ट में याचिका भी दाखिल की थी। हालांकि सितंबर 2023 के बाद यह याचिका याचिका पर ही नहीं आई, क्योंकि सरकारी स्कॉलरशिप के सभी लोगों का मूल्यांकन हो गया था।