मृत करदाता का भी भरना होता है आइटीआर, यहां जानें इस सवाल का जवाब

इनकम टैक्स रिटर्न करने की तारीख अब नजदीक आ गई है। 31 जुलाई तक सभी टैक्सपेयर को आईटीआर फाइल करना होगा। रिटर्न फाइल करने की जब भी बात आती है तो एक सवाल आता है कि क्या मृत व्यक्ति का भी रिटर्न फाइल करना चाहिए। आइए इस आर्टिकल में इसका जवाब जानते हैं। पढ़ें पूरी खबर..

सैलरीड क्लास हो या फिर बिजनेस क्लास या कोई इंडिविजुअल सबको इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना होता है। आईटीआर फाइल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई 2024 है। अगर आपने भी अभी तक रिटर्न फाइल नहीं किया है तो आपको जल्द से जल्द यह काम पूरा कर लेना चाहिए।

क्या आप जानते हैं कि जीवित व्यक्ति के साथ-साथ मृत व्यक्ति का भी इनकम टैक्स रिटर्न (Deceased Person’s ITR) भी फाइल किया जाता है। आज हम आपको बताएंगे कि आखिर क्यों मृत व्यक्ति का भी आईटीआर फाइल करना जरूरी है।

क्या कहता है नियम

आयकर अधिनियम के अनुसार अगर मृत व्यक्ति की कोई इनकम है तो उसका आईटीआर फाइल करना अनिवार्य है। यह रिटर्न कानूनी उत्तराधिकारी द्वारा भरा जाएगा। इसके अलावा जो कानूनी वारिस का भी फर्ज है कि वह मृत व्यक्ति का आईटीआर फाइल करें।

अब ऐसे में सवाल है कि टैक्स रिफंड का क्लेम कौन करेगा। इसका जवाब है कि कानूनी वारिस या कानूनी उत्तराधिकारी। जी हां, इन दोनों की जिम्मेदारी है कि वह उस दिन तक रिटर्न फाइल करें जब तक वह जीवित है। कानूनी वारिस या कानूनी उत्तराधिकारी ही टैक्स का भुगतान कर सकते हैं और रिफंड के लिए भी क्लेम कर सकते हैं।

मृतक करदाता का ITR कैसे फाइल करें?

  • सबसे पहले कानूनी उत्तराधिकारी के रूप में रजिस्टर्ड करने के बाद आपको आईटीआर फॉर्म वेबसाइट से डाउनलोड करना होगा।
  • इसके बाद आपको सभी डिटेल्स को ध्यान से भरना होगा।
  • अब XML फाइल के फॉर्मेट में फॉर्म को अपलोड करना होगा। XML के अलावा दूसरे किसी फॉर्मेट में फॉर्म डाउनलोड नहीं होगा।
  • आईटीआर फॉर्म में पैन कार्ड डिटेल्स की जगह पर कानूनी उत्तराधिकारी को अपनी डिटेल्स देनी होगी।
  • इसके बाद असेसमेंट ईयर के ऑप्शन को सेलेक्ट करना होगा।
  • XML फाइल और डिजिटल सिग्नेचर अपलोड करने के बाद फॉर्म को सबमिट करना होगा।

इनकम कैसे कैलकुलेट होती है

एक्सपर्ट के अनुसार जैसे जीवित व्यक्ति की इनकम का कैलकुलेशन होता है, ठीक वैसे ही मृत व्यक्ति के इनकम की कैलकुलेशन किया जाता है। इनके इनकम में भी सारी टैक्स डिडक्शन और छूट शामिल होता है। मृत व्यक्ति के इनकम केवल उस डेट तक कैलकुलेट होता है जब तक वह जीवित होता है।

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