पंजाब राज्य विद्युत निगम लिमिटेड (पीएसपीसीएल) को सितम्बर में समाप्त तिमाही में 564.76 करोड़ रुपये का लाभ हुआ है, जबकि एक वर्ष पूर्व इसी अवधि में उसे 1,880.25 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था।
एक बयान के अनुसार, मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के तहत पीएसपीसीएल को 12,342 करोड़ रुपये की सब्सिडी का समय पर भुगतान करने से काफी मदद मिली।
पीएसपीसीएल को 564.76 करोड़ का मुनाफा हासिल करने में पंजाब सरकार का सहयोग बहुत अहम रहा। बिजली कंपनी के राजस्व में वृद्धि और टैरिफ समायोजन को बढ़ाने में राज्य सरकार की भूमिका महत्वपूर्ण रही।
बयान में कहा गया है कि पीएसपीसीएल ने बिजली खरीद लागत को नियंत्रण में रखने के लिए कई कदम उठाए हैं। इसने अपनी पछवाड़ा कोयला खदान से सस्ते कोयले की उपलब्धता के कारण लहरा मोहब्बत और रोपड़ में सरकारी स्वामित्व वाली थर्मल से 19 प्रतिशत अधिक उत्पादन सुनिश्चित किया।
इसने अपने स्वयं के जल विद्युत संयंत्रों से 21 प्रतिशत अधिक बिजली पैदा की; बीबीएमबी जल विद्युत संयंत्रों से 14 प्रतिशत अधिक बिजली उत्पादन किया, तथा अन्य राज्यों के साथ 13 प्रतिशत अधिक बिजली बैंकिंग की।
अल्पावधि और एक्सचेंज से बिजली खरीद में 48 प्रतिशत की कमी आई है।
पछवाड़ा कोयला खदान के चालू होने के कारण रोपड़ और लहरा मोहब्बत में राज्य के थर्मल प्लांटों में आयातित कोयले का इस्तेमाल नहीं किया गया। राजपुरा और तलवंडी साबो में निजी थर्मल प्लांटों में आयातित कोयले की बहुत कम मात्रा का इस्तेमाल किया गया।
अप्रैल से सितम्बर 2023 तक पीएसपीसीएल की बिजली की बिक्री मूल्य 924 करोड़ रुपये रहा, जबकि अप्रैल से सितम्बर 2022 तक यह मूल्य 293 करोड़ रुपये था।
एक्सचेंज से बिजली खरीद 2023 में 4.59 रुपये प्रति यूनिट की औसत दर से 1,138 करोड़ रुपये की थी, जबकि 2022 में 5.54 रुपये प्रति यूनिट की दर से 1,914 करोड़ रुपये थी। ट्रांसमिशन और वितरण घाटे में 1 फीसदी की कमी आई है।