पूरब में मंगल भवन अमंगल हारी, पश्चिम में अल्लाह हू अकबर
– फोटो : अमर उजाला
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मजीरे और मृदंग पर रसूल मानस की चौपाइयां सुन रहे थे और ईश्वर नमाज की शक्ल में कुरान आयतें। भगवान राम तक भी ये आयतें पहुंच रही थीं। स्थान था लाटभैरव मंदिर और मस्जिद का चबूतरा। चबूतरे की पूर्वी दिशा में मानस की चौपाई सीता चरन चोंच हति भागा, मूढ़ मंदमति कारन कागा… मुखर हो रहा थी, वहीं पश्चिम दिशा में मगरिब की अजान में अल्लाह हू अकबर… गूंज रहा था। यही तो बनारस की खूबसूरती है और खासियत भी जो गंगा जमुनी तहजीब के रंग को और गाढ़ा करती है।
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मंगलवार की शाम को 4:45 बजे से ही रामलीला के पात्रों के साथ नमाजियों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था। आदि लाट भैरव रामलीला के दसवें दिन शाम को 5:15 बजे मंगल भवन अमंगल हारी… के साथ लीला का श्रीगणेश हुआ। वहीं, घड़ी की सुइयों ने जैसे 5:30 बजाया तो मुस्लिम बंधु मगरिब की नमाज के लिए सफ में खड़ हो गए। लीला के व्यास दयाशंकर त्रिपाठी जयंत को संवाद बांच रहे थे तो हाफिज वसीम अकरम की इमामत में नमाज अदा की जा रही थी। नमाजी खुदा की इबादत में तल्लीन थे तो लीला के पात्र अभिनय में मशगूल। ढोलक और मंजीरे की थाप के बीच लीला के प्रसंग आगे बढ़ रहे थे। नमाज के साथ ही जयंत नेत्रभंग की लीला का प्रसंग अब पूर्ण होने की ओर बढ़ चला था। नमाज शुरू होने से पहले शुरू हुई लीला नमाज के बाद भी चलती रही। नमाजी भी नमाज पूरी करने के बाद लीला के दर्शक के रूप में शामिल हुए।
हिंदुस्तान की खूबसूरती बयां करती है लीला
एक तरफ नमाज तो दूसरी ओर लीला का मंचन, यह दृश्य हिंदुस्तान की खूबसूरती को बयां करता है। विविधताओं के बाद भी हमारे देश की यही खूबसूरती है। – अनीसुर्रहमान पूर्व क्षेत्रीय पार्षद
हर दिल को सुकून देती है बनारस की तहजीब
हमने तो नमाजें भी पढ़ी हैं गंगा तेरे पानी में वजू करके… का संदेश देने वाले बनारस में ही इस दृश्य की कल्पना की जा सकती है। लीला का यह प्रसंग हर दिल को सुकून देता है। – जमाल अंसारी, समाजसेवी
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