मृतक बेटी और मां
– फोटो : फाइल फोटो
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अलीगढ़ में गोंडा थाने के गांव कैमथल की मढ़ैया में सोमवार को संपत्ति के लिए हुई मां-बेटी की हत्या के बाद मंगलवार को दोनों के शव को सड़क पर रखकर मृतका के मायके वालों ने दस घंटे तक प्रदर्शन किया। उनकी मांग थी कि हत्याआरोपियों के घरों पर पुलिस बुलडोजर चलाए। बुलडोजर की कार्रवाई तक शवों का अंतिम संस्कार न करने की बात कही। खबर पर कई थानों की फोर्स, एसपी देहात, सांसद व राजस्व राज्यमंत्री अनूप प्रधान भी पहुंच गए। राज्यमंत्री ने तीन दिन के अंदर सभी हत्याआरोपियों की गिरफ्तारी और कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया, जिसके बाद मायके वाले अंतिम संस्कार करने के लिए तैयार हुए।
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पोस्टमार्टम के बाद मंगलवार की सुबह मां-बेटी का शव मुकेश के मायके गढ़ी सूरजमल पहुंचे तो आक्रोशित परिजन व ग्रामीण बुलडोजर से आरोपियों के घरों को गिराने की मांग करते हुए दोनों के शवों को रखकर प्रदर्शन करने लगे। शवों को एक बाग में रख दिया। सूचना पर सीओ खैर राजीव द्विवेदी, सीओ इगलास कृष्णगोपाल, इंस्पेक्टर खैर, गोंडा, पिसावा, टप्पल सहित एसपी देहात पलास बंसल पहुंच गए। सांसद सतीश गौतम और राजस्व राज्यमंत्री अनूप प्रधान भी पहुंच गए। उन्होंने समझाया जिसके बाद मां-बेटी के शवों का अंतिम संस्कार हुआ।
गढ़ी सूरजमल निवासी मुकेश और उसकी गोद ली बेटी प्रियंका की सोमवार को कैमथल में सगे जेठ-देवरों और भतीजों ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। मुकेश की शादी 1985 में कैमथल निवासी सुरेश के साथ हुई थी। संतान न होने पर मुकेश ने अपने भाई की बेटी प्रियंका को गोद ले लिया था। तभी से प्रियंका व मुकेश ससुराल वालों की आंखों में खटकने लगी थी। इस पर सुरेश अपनी पत्नी व गोद ली बेटी के साथ सागरपुर जनकपुरी दिल्ली में रहने लगे थे।
आठ दिन पहले हृदयगति रुकने से सुरेश का निधन हो गया था। इस पर सुरेश के बड़े भाई का बेटा मोना जिद करके शव को अंतिम संस्कार के लिए गांव कैमथल मढ़ैया ले आया था। सोमवार को गांव में ही तेरहवीं थी। उसमें शामिल होने सुरेश की पत्नी मुकेश, बेटी प्रियंका, गढ़ी सूरजमल से मृतका के भाई का बेटा बबलू, कृष्णा, बहन सोनिया व पड़ोसी पवन भी पहुंचे थे। तेरहवीं के दिन ही मुकेश के जेठ, देवरों और भतीजों धर्मवीर, मोना, डबला, रमेश, नीरज, सोनू, राकेश आदि ने गांव के घर पर पहले प्रियंका और बाद में रास्ते में मुकेश की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। गोलियां भी चलाई थीं।
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