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जी 20 के लिए दिल्ली में लगे शिवलिंगनुमा फव्वारा को बताया सनातन का अपमान, काशी के संत और हिन्दू संगठन आक्रोशित

वाराणसी: दिल्ली में आयोजित होने जा रहे जी-20 सम्मेलन के दौरान लगाए गए फव्वारे पर विवाद गहरा गया है। यह फव्वारा शिवलिंग की आकृति का बना हुआ है। इस पर काशी के संतों ने गहरी आपत्ति जताई है। हिंदू संगठनों का विरोध शुरू हो गया है। संत, हिंदू संगठन, ब्राह्मण महासभा से लेकर काशी विद्वत परिषद तक ने इस शिवलिंगनुमा फव्वारे पर आक्रोश जताया है। ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्षकार विश्व वैदिक सनातन संघ ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। इस पूरे मामले में अब केंद्र सरकार घिरती दिख रही है। दिल्ली की आम आदमी पार्टी ने भी इस शिवलिंगनुमा फव्वारे पर सवाल उठाया है। वहीं, भाजपा जी-20 जैसी महत्वपूर्ण बैठक का राजनीतिकरण न करने की अपील करती दिख रही है।

सनातन संघ की कड़ी प्रतिक्रिया
ज्ञानवापी मामले के हिन्दू पक्षकार विश्व वैदिक सनातन संघ ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन ने इसे सनातन का अपमान बताया है। वही संतो ने भी इस मामले पर हैरानी जताते हुए कड़ा ऐतराज जताया है। दूसरी ओर, अब मुस्लिम पक्ष को इस विवाद के बहाने ज्ञानवापी मामले में मिले तथाकथित शिवलिंग को फव्वारा बताने का मौका मिल गया है।

ज्ञानवापी मामले में आदिविश्वेश्वर शिवलिंग की अदालती लड़ाई लड़ रहे विश्व वैदिक सनातन संघ ने दिल्ली के चौराहों पर शिवलिंग की आकृति वाले फव्वारे को सनातन के अपमान से जोड़ा। इसकी कड़े शब्दों में निंदा करते हुए उन्होंने इसे लगाने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग की है।

संत समिति ने की फव्वारा हटाने की मांग
काशी के संतों ने भी दिल्ली के चौराहों पर लगे शिवलिंगनुमा फव्वारों पर खासी नाराजगी जताई है। अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद ने कहा कि शिवलिंग कोई सजावट की वस्तु नहीं है। इस तरह से चौराहों पर लगाकर विदेश में सनातन के प्रति वह कितना सम्मान व्यक्त कर रहे हैं, यह सरकार को स्वयं सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिसने भी यह कृत्य किया है, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। इन फव्वारों को तत्काल वहां से हटवाना चाहिए।केंद्रीय ब्राह्मण महासभा का जोरदार हमला
केंद्रीय ब्राह्मण महासभा के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि त्रिभुवन के सर्वश्रेष्ठ तीर्थ ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग रूपी आकृति को एक ओर मुस्लिम समाज फव्वारा बोल रहा है। दूसरी ओर मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए लालायित सरकारें दिल्ली के चौराहों पर शिवलिंग रूपी फव्वारा लगवा कर वाहवाही लूटने में लगी हैं। ‘गर्व से कहो हम हिन्दू हैं’ का नारा बुलंद करने वाले यह भूल गए हैं कि आज उनकी यह उच्चतम स्थिति शिव और राम के भक्तों से ही है। सनातनियों के देश में सत्य सनातन शिव के जिस प्रतीक शिवलिंग को भगवान राम ने स्थापित कर उनका अर्चन किया हो, उसका अपमान करवाने वाले नेतागण जय श्रीराम का नारा बुलंद करते हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसे ही दोहरे चरित्र वाले को ही भगवान श्रीराम ने शिवद्रोही, धर्मद्वेषी कहा है। इस कृत्य को घोर नींदनीय बताते हुए उन्होंने कहा कि सनातन का यह दुर्भाग्य है कि कोई भी, कहीं भी अपमानित करने को बेचैन है।

ज्ञानवापी के पैरोकार का अलग तर्क
ज्ञानवापी मामले के मुख्य पैरोकार अंजुमन इंतेजामिया कमिटी के सचिव यासीन ने इस मामले को ज्ञानवापी शिवलिंग से जोड़ा। उन्होंने एक बार फिर कहा कि ज्ञानवापी में जिसे शिवलिंग कहा जा रहा है, असल में वह फव्वारा है। यासीन ने कहा कि हमारे फव्वारे के ऊपर छेद है, जिसमें 64 सेंटीमीटर तक वकील कमीशन ने सलाई डाली थी। नीचे पेंदी में पाइप है, जिससे पानी ऊपर जाता था। यहां यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि न्याय पर आस्था भारी पड़ रही है।काशी विद्वत परिषद का अपना तर्क
दिल्ली मामले पर काशी विद्वत परिषद के संयोजक गोविंद शर्मा ने कहा कि शिवलिंग सूर्य, चन्द्र और पृथ्वी की त्रिधाग्नि का वैदिक प्रतीक है। हम जगता के रचनाकार ब्रह्मा, पालनहार विष्णु और संहारक शिव तीनों के शिवलिंग में एकाकार होने की कल्पना कर शिवलिंग की पूजा करते हैं। शिवलिंग का पूजा के अलावा किसी भी तरह की सजावट के लिए या अन्य तरह से प्रयोग करना गलत है। पूजा स्थल के शिवलिंग को चौराहे का फव्वारा बनाना अत्यन्त निंदनीय है।

गोविंद शर्मा ने कहा कि हिंदुओं की सहिष्णुता के कारण ही लोग इस तरह के प्रयोग करने की हिम्मत जुटा लेते हैं। कल के दिन बैठने की कुर्सी, आसन या अन्य किसी तरह से भी लोग शिवलिंग का उपयोग करने लगेंगे। उनहोंने कहा कि ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग को मुस्लिम पक्ष फव्वारा साबित करने का प्रयास कर रहा है। उनके दावे को भी इस प्रकरण से हवा मिलेगी।