1975 के याशिका कैमरें को दिखाते श्याम सुंदर शर्मा
– फोटो : संवाद
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भले ही उम्र अब 74 बसंत पार कर चुके हैं, लेकिन इस उम्र में भी वे शानदार फोटो क्लिक करते हैं। ना हाथ हिलता है और ना ही पांव डगमगाते हैं। शहर में चाहें कोई सरकारी आयोजन हो या फिर राजनीति का आयोजन हो या बड़ी रैली हो अथवा विशाल समागम, वह आज भी युवा की तरह दौड़ लगा देते हैं। बस मकसद एक ही होता है कि कैमरे में ऐसी तस्वीर कैद हो जो किसी के पास न हो।
उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक के अनगिनत फोटो अपने कैमरे से क्लिक किए हैं, जो यादगार बन गए। हम बात कर रहे हैं शहर के नामी गिरामी फोटाग्राफर के रूप में स्थापित हो चुके आगरा रोड निवासी श्याम सुंदर शर्मा की। किस तरह कैमरे की एक क्लिक ने श्याम सुंदर शर्मा की जिंदगी बदल दी। कैमरे से ऐसा नाता जुड़ा कि ताउम्र नहीं छूटा। कैसे अपने जीवन को फोटो की कलाकारी के लिए समर्पित कर दिया, सुनते हैं उन्हीं की जुबानी।
बात 1950 की है। मेरे बड़े भाई पंडित राधेश्याम शर्मा जो मेरे गुरु भी हैं। उन्होंने मुझे हाथों में कैमरा पकड़ा दिया। पहले थोड़ा डर लगा कि कहीं अच्छा फोटो न खींच सका तो भाई की डांट-फटकार सुननी पड़ेगी। भाई मेरे चेहरे पर छाए डर को भांप गए। उन्होंने हिम्मत दी तो थोड़ा उत्साह बढ़ा। मैं उस समय 21 वर्ष का था। फिर पूरे सुकून से कैमरे से एक क्लिक किया। भाई राधेश्याम शर्मा खुशी से झूम उठे। बोले, छोटे तुमने क्या फोटो क्लिक की है। सच में मजा आ गया। बस इसके बाद तो सबसे अच्छा दोस्त कैमरा बन गया।
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