लखनऊ: समाजवादी पार्टी 18 और 19 मार्च को कोलकाता में होने वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी में 2024 की चुनावी तैयारी और नई ‘सियासी यारी’ की दिशा तय करेगी। पार्टी ने बैठक की तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। राजनीतिक-आर्थिक प्रस्ताव के जरिए देश और प्रदेश की सरकार की नीतियों पर भी सपा हमला बोलेगी।
कोलकाता में होने वाली यह सपा की छठी राष्ट्रीय कार्यकारिणी होगी। 1992 में सपा की स्थापना के बाद पार्टी की पहली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक भी कोलकाता में ही हुई थी। पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरनमय नंदा कहते हैं कि बंगाल राजनीतिक गतिविधियों, बदलावों और सामाजिक क्रांति की भूमि रहा है। इसलिए, यहां बैठक और चर्चा से निकलने वाले बिंदुओं के संदेश राष्ट्रव्यापी होंगे।
दोस्ती और मजबूत करने पर नजर
सपा मुखिया अखिलेश यादव 17 मार्च को कोलकाता पहुंच जाएंगे। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक एक होटल में होगी। अखिलेश 17 को पहले पश्चिम बंगाल के सपा के सक्रिय सदस्यों के साथ बैठक करेंगे और अपेक्षाओं का आदान-प्रदान करेंगे। इसके बाद शाम को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ उनके आवास पर बैठक होगी। इस दौरान पुरानी दोस्ती को और मजबूत बनाने की कवायद आगे बढ़ेगी। बंगाल के विधानसभा चुनाव में सपा ने वहां रह रहे यूपी के लोगों को टीएमसी को वोट देने की अपील की थी। ममता भी 2022 में सपा के प्रचार के लिए यूपी आई थीं। ऐसे में दोनों नेताओं की मुलाकात 2024 के चुनावी समर की रणनीति पर भी केंद्रित रहेगी।
17 मार्च को सपा प्रमुख बंगाल के सीएम से मिलेंगे। 18 और 19 को होने वाली कार्यकारिणी की बैठक में चुनाव सहित सभी मौजूदा राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा होगी। समान विचारधारा वाले दलों के साथ और सहयोग की रणनीति भी तय होगी। बैठक से राष्ट्रीय संदेश जाएगा।
– किरनमय नंदा, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, सपा
छाई रहेगी सीबीआई, ईडी!
राष्ट्रीय कार्यकारिणी में करीब 100 डेलिगेट शामिल होंगे। इनमें 68 कार्यकारिणी सदस्य और 20 अलग-अलग राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। 18 मार्च को राजनीतिक-आर्थिक प्रस्ताव पेश होगा। सूत्रों के अनुसार प्रस्ताव की दिशा भी वही होगी जो हाल में अखिलेश के बयानों की दिशा है। विपक्षी नेताओं पर पड़ रहे सीबीआई, ईडी सहित अन्य जांच एजेंसियों के छापे व कार्रवाई की गूंज राजनीतिक प्रस्ताव में भी सुनाई देगी। हाल ही नौ विपक्षी दलों ने छापेमारी के खिलाफ संयुक्त चिट्ठी जारी की थी, जिसमें अखिलेश यादव भी शामिल थे। इसके साथ ही प्रदेश व देश की सरकार पर जातीय व धार्मिक भेदभाव, इनकाउंटर के नाम पर उत्पीड़न जैसे मुद्दे भी मुखर रहेंगे। जातीय जनगणना की मांग और लड़ाई को दिशा देने की रणनीति भी बैठक में तय होगी। करीब छह साल बाद सपा में सक्रिय वापसी कर चुके शिवपाल यादव भी राष्ट्रीय कार्यसमिति का हिस्सा होंगे। ऐसे में उनकी भूमिका और मंच पर दूसरे चेहरों के साथ केमिस्ट्री पर भी नजरें रहेंगी।
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