प्रतीकात्मक तस्वीर
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राजस्व वसूली में लापरवाही पर अब राज्यकर विभाग के बड़े अधिकारी भी नपेंगे। कम वसूली के लिए सिर्फ छोटे अफसरों पर वे ठीकरा नहीं फोड़ सकेंगे। इसके लिए राज्यकर विभाग द्वारा एक कार्ययोजना तैयार की गई है। राजस्व वसूली से लेकर व्यापारियों द्वारा रिटर्न दाखिला समेत अन्य कार्यों में शिथिलता मिलने पर उस संभाग के वरिष्ठ अधिकारियों पर भी कार्रवाई होगी। नई व्यवस्था में कार्रवाई की जद में एडिशनल व जाइंट कमिश्नर भी आएंगे।
अब तक की व्यवस्था के तहत राजस्व वसूली बढ़ाने से संबंधित सभी तरह के क्रियाकलापों के लिए उप आयुक्त, सहायक आयुक्त, राज्यकर अधिकारी, प्रवर्तन दल के अधिकारियों, संग्रह अमीनों व उनके समकक्ष अधिकारियों को ही जिम्मेदार मानते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई किए जाने की व्यवस्था है। जबकि जोनल मुख्यालय पर तैनात एडिशनल व जाइंट कमिश्नर स्तर के अधिकारियों को राजस्व वसूली में गिरावट के लिए जिम्मेदार नहीं माना जाता है। लगातार कई समीक्षा बैठकों में राजस्व वसूली कम होने की वजहों में छोटे अधिकारियों के साथ-साथ बड़े अधिकारियों की उदासीनता भी सामने आई थी।
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पिछले दिनों हुई समीक्षा बैठक में झांसी, वाराणसी, गोरखपुर, गाजियाबाद, लखनऊ, कानपुर, मुरादाबाद, बरेली और सहारनपुर जोन के कई जिलों में राजस्व वसूली व रिटर्न दाखिले में मानिटरिंग के स्तर पर भारी उदासीनता सामने आई थी। इसके लिए शासन ने सिर्फ छोटे अधिकारियों को ही जिम्मेदार मानते हुए लापरवाही के आधार पर की जाने वाली कार्रवाई की व्यवस्था में बदलाव करते हुए बड़े अधिकारियों पर भी कार्रवाई करने को कहा है।
एडिशनल व जाइंट कमिश्नरों को देना होगा स्पष्टीकरण
नई व्यवस्था के मुताबिक अब जिस संभाग में 70 प्रतिशत से कम व्यापारियों द्वारा रिटर्न दाखिल किया जाएगा, उस संभाग के एडिशनल कमिश्नर व जाइंट कमिश्नर को भी दोषी माना जाएगा। साथ ही दोनों स्तर के अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा। इसके बाद राज्यकर कमिश्नर के स्तर पर स्पष्टीकरण का परीक्षण करने के बाद अग्रिम कार्रवाई के लिए शासन को संस्तुति भेजी जाएगी। इसके आधार पर संबंधित एडिशनल व जाइंट कमिश्नर के खिलाफ कार्रवाई होगी।
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