
फ्रांस ने पेरिस के पास दुनिया की पहली 1.5 किलोमीटर लंबी वायरलेस ई.वी. (इलेक्ट्रिक वाहन) चार्जिंग सड़क का अनावरण किया है। यह क्रांतिकारी तकनीक चलती हुई कारों, बसों और ट्रकों को चार्ज करने में सक्षम है, जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों के भविष्य में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया गया है।
यह नई सड़क, जो पेरिस के पास A10 मोटरवे पर स्थित है, तांबे की कॉइल का उपयोग करती है जो सड़क के नीचे गहराई में स्थापित की गई हैं। ये कॉइल एक चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करती हैं, जिसे वाहनों में लगे विशेष रिसीवर द्वारा बिजली में बदला जाता है। यह वही सिद्धांत है जिसका उपयोग स्मार्टफोन की वायरलेस चार्जिंग में किया जाता है।
गुस्ताव एफिल विश्वविद्यालय द्वारा स्वतंत्र रूप से सत्यापित इस प्रणाली की क्षमता 200 किलोवाट से अधिक निरंतर शक्ति प्रदान करने की है, जो 300 किलोवाट तक पहुंच सकती है। यह गति टेस्ला के V3 सुपरचार्जर की गति के बराबर है।
इस तकनीक का सबसे बड़ा फायदा यह है कि वाहन चलते-चलते चार्ज होते रहते हैं। इसका मतलब है कि उन्हें लंबी दूरी तय करने के लिए रुकने की आवश्यकता नहीं होगी, जिससे “रेंज एंग्जायटी” (रेंज की चिंता) की समस्या का समाधान होगा, जो आज ई.वी. अपनाने में सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है।
लंबे समय में, यदि इस तकनीक को व्यापक रूप से अपनाया जाता है, तो वाहन निर्माता हल्के, छोटे और सस्ते ई.वी. बना सकेंगे। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि उन्हें लंबी दूरी तय करने के लिए विशाल बैटरी पैक की आवश्यकता नहीं होगी।
सड़क के नीचे लगी तांबे की कॉइल प्रणाली में कोई हिलने-डुलने वाले पुर्जे नहीं होते हैं, जिससे यांत्रिक टूट-फूट की संभावना कम हो जाती है और रखरखाव लागत में बचत होती है। यह तकनीक इलेक्ट्रीओन (Electreon) द्वारा विकसित की गई है, जो वायरलेस चार्जिंग तकनीक के वैश्विक दिग्गजों में से एक है।
फ्रांस का लक्ष्य 2035 तक 9,000 किलोमीटर लंबी ई.वी. चार्जिंग सड़कें स्थापित करना है। इस महत्वाकांक्षी योजना के साथ, फ्रांस एक राष्ट्रव्यापी ई.वी. चार्जिंग रोडवे नेटवर्क वाला पहला देश बन जाएगा, जिसमें सार्वजनिक परिवहन, माल ढुलाई लॉजिस्टिक्स और दैनिक ड्राइविंग को बदलने की क्षमता है।

