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Author: Lok Shakti
लोकसभा के अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने नये भारत के निर्माण में राष्ट्रभाषा हिंदी की उपयोगिता को आवश्यक बताते हुए कहा कि मानव और सभ्यता के विकास का आधार भी भाषा ही है। हिंदी हमारी संस्कृति, परम्परा और संस्कारों का दर्पण है। वर्तमान पीढ़ी का गौरवशाली अतीत से परिचय भी हिंदी करवाती है। हिंदी ही है जो विविधताओं से भरे हिंदुस्तान को एकता के सूत्र में पिरोती है।श्री बिरला अपने निवास पर लायंस क्लब नई दिल्ली अलकनंदा के प्रतिनिधियों से चर्चा करते हुए उक्त उद्गार व्यक्त करते हुए हिंदी दिवस की शुभकामनाएं दी। प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व क्लब के अध्यक्ष…
ष्ट्रीय पोषण माह के अंतर्गत लायंस क्लब नई दिल्ली अलकनंदा नेे ‘आहार से मन और शरीर का प्रबंधन’ विषयक वेबनार आयोजित किया, जिसमें आहार से वजन कंट्रोल करने, दिमाग को तेज और याददाश्त को मजबूत बनाने, रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, चेहरे पर चमक लाने से जुड़े तथ्य सामने आए। विशेषतः डिब्बा बंद फूड्स के प्रति सावधानी बरतने का आह्वान किया गया। खाना बनाते समय विटामिंस कैसे सुरक्षित रखे जाएं, इसकी जानकारी दी गई।लेडी इरविन काॅलेज की असिस्टेंट प्रोफेसर एवं रजिस्टर्ड डायटिशियन डाॅ. अंजनी बख्शी ने इस वेबनार को प्रमुख वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए कहा कि संतुलित आहार एक…
राष्ट्र आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, इस महोत्सव को मनाते हुए हमें राष्ट्रीय प्रतीकों एवं प्रसंगों को मजबूती देने की जरूरत है। जिनमें राष्ट्रभाषा, राष्ट्रगीत, राष्ट्रध्वज आदि स्वामिमान के प्रतीकों को प्रतिष्ठा दिये जाने की अपेक्षा है। राष्ट्रीय अस्मिता एवं अस्तित्व की प्रतीक एवं सांस्कृतिक-राष्ट्रीय स्वाभिमान को एकसूत्रता मंें पिराने वाली हिन्दी की उपेक्षा पर विचार करने की जरूरत है। क्योंकि हिन्दी न सिर्फ स्वावलम्बन एवं स्वाभिमान का मस्तक है बल्कि यह आत्मनिर्भरता का सशक्त आधार भी है। हिन्दी दिवस मनाते हुए हमें हिन्दी की ताकत को समझना होगा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सशक्त भारत-आत्मनिर्भर भारत के…
राजधानी दिल्ली ही नहीं बल्कि अन्य महानगरों में बढ़ते प्रदूषण के कारण जान और जहान दोनों ही खतरे में हैं। महानगरों की हवा में घुलते प्रदूषण के ‘जहर’ का लगातार खतरनाक स्थिति में बना होना चिन्ता का बड़ा कारण हैं। हवा, पानी, मिट्टी, हर जगह बढ़ते प्रदूषण को लेकर समय-समय पर चिंता जताई जाती रहती है, बड़ी-बड़ी योजनाएं बनती है, देश एवं दुनिया के विभिन्न शोध संस्थान इसे लेकर अनुसंधान करत हैं। ऐसा ही एक अनुसंधान शिकागो विश्वविद्यालय ने किया है। वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक के तहत किए गए इस शोध में बताया गया है कि प्रदूषण के मामले में…
भारत में विनिवेश हमेशा से ही विमर्श का विषय रहा है। विभिन्न परिस्थितियों में देश की माली हालत को देखते हुए विनिवेश के कई कारण रहे हैं ।एक तो उन संस्थाओं का विनिवेश किया गया जो पूरी तरह से करदाता के ऊपर घाटा पैदा कर रही थी और वे संस्थाएं घाटे से उबर पाने में सफल नहीं हो पा रहीं थी। दूसरा विनिवेश अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों और नीतिगत कारणों से किया गया। क्या आज यह दोनों परिस्थितियां उपस्थित हैं ?अगर नहीं तो भारत की जनता के मन में घुमड़ता यह सवाल जायज लगता है कि आखिर विनिवेश जिसे अब खुद सरकार…
गुरु-शिष्य परंपरा भारत की संस्कृति का एक अहम और पवित्र हिस्सा है जिसके कई स्वर्णिम उदाहरण इतिहास में दर्ज हैं। शिक्षक उस माली के समान है, जो एक बगीचे को अलग अलग रूप-रंग के फूलों से सजाता है। जो छात्रों को कांटों पर भी मुस्कुराकर चलने के लिए प्रेरित करता है। आज शिक्षा के माध्यम से राष्ट्र-निर्माण एवं शिक्षा को हर घर तक पहुंचाने के लिए तमाम सरकारी प्रयास किए जा रहे हैं। इसकी सफलता के सशक्त माध्यम शिक्षक ही है और शिक्षकों को वह सम्मान मिलना चाहिए जिसके वे हकदार हैं। भारत के राष्ट्रपति, महान दार्शनिक, चिन्तक, शिक्षाशास्त्री डाॅ.…
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में गाय को राष्ट्रीय पशु का दर्जा दिया जाने की मांग करते हुए कहा है कि गाय का भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान है। गाय को भारत देश में मां के रूप में जाना जाता है और देवताओं की तरह उसकी पूजा होती है। गाय भारत के लिये केवल एक जन्तु नहीं है, बल्कि वह जन-जन की आस्था का केन्द्र है। मां के दूध के बाद केवल गाय के दूध को ही अमृत तुल्य माना गया है। गौवंश संवर्धन देश की जरूरत है। गाय के संरक्षण, संवर्धन का कार्य मात्र किसी एक मत, धर्म,…
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के सदर अरशद मदनी का एक विरोधाभासी बयान चर्चा में हैं। उनका यह बयान कि लड़कियों और लड़कों की शिक्षा अलग-अलग होनी चाहिए, एक प्रतिगामी विचार तो है ही, भारतीय संविधान की मूल भावना के भी खिलाफ है। जब हम नया भारत, सशक्त भारत बनाने की ओर अग्रसर हो रहे हैं, ऐसे समय में इस तरह के संकीर्ण विचारों की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। आज जब अफगानिस्तान में तालिबान के काबिज होने के साथ अफगानी बच्चियों और औरतों के भविष्य को लेकर जब पूरी दुनिया चिंता में डूबी हुई है, तब ऐसे विसंगतिपूर्ण बयानों को कोई भी…
श्रीकृष्ण हमारी संस्कृति के एक अद्भुत नायक हैं। उनका जन्मोत्सव मानवजाति में उल्लास-उमंग को संचार करने के साथ नवीन मानवता के अभ्युदय का प्रतीक है, क्योंकि उन्होंने मनुष्य जाति को नया जीवन-दर्शन दिया। जीने की शैली सिखलाई। उनकी जीवन-कथा चमत्कारों से भरी है, लेकिन वे हमें जितने करीब लगते हैं, उतना और कोई नहीं। वे ईश्वर हैं पर उससे भी पहले सफल, गुणवान और दिव्य मनुष्य है। ईश्वर होते हुए भी सबसे ज्यादा मानवीय लगते हैं। इसीलिए श्रीकृष्ण को मानवीय भावनाओं, इच्छाओं और कलाओं का प्रतीक माना गया है। वे अर्जुन को संसार का रहस्य समझाते हैं, वे कंस का…