Author: Lok Shakti

भी रहा है। लगता भी नहीं कि इससे पार्टी की बची-खुची साख पर बट्टा लगने से बचाया जा सकेगा। अब तो हवा का रुख भांपने के एक से एक तौर तरीके सामने हैं। उसके बाद कांग्रेस में 5 राज्य के चुनावों से 6 महीने पहले लिए गए फैसले जो दिखते कठोर जरूर हैं पर आम मतदाताओं के बीच कौन सा संदेश दे रहे हैं शायद इस पर भी आत्मचिन्तन नहीं किया गया होगा? माना कि जातिगत कार्ड खेलकर कागजों और गणित के कतिपय राजनीतिक फॉर्मूलों से एन्टी-इन्कम्बेन्सी को मात देने की युक्ति की दुहाई भले ही दी जा रही हो…

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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्मदिन 2 अक्टूबर अब अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है। गांधी की अहिंसा ने भारत को गौरवान्वित किया है, भारत ही नहीं, दुनियाभर में अब उनकी जयन्ती को बड़े पैमाने पर अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। गांधी के अनुयायियों एवं उनमें आस्था रखने वाले उन तमाम लोगों को इससे हार्दिक प्रसन्नता हुई है जो बापू के सिद्वान्तों से गहरे रूप में प्रभावित हैं, अहिंसा के प्रचार-प्रसार में निरन्तर प्रयत्नशील हैं। यह बापू की अन्तर्राष्ट्रीय स्वीकार्यता का बड़ा प्रमाण है। यह एक तरह से गांधीजी को दुनिया की…

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जनवरी 1896 में छः महीने कीहापुरुषों का जीवन खतरों के बीच से निकलता हुआ ही पुरुषार्थ की दुनिया में अपना नाम रोशन करता है। लाखों लोगों के दुख दर्द को आत्मसात करते और समाधान का रास्ता बनाते हुए जो दर्शन प्राप्त होता है वह उनके जीवन पर खतरों की तरह मंडराता रहता है। स्वार्थियों की घृणा, उनका विद्वेष हमेशा ही ऐसे महापुरुषों से चुनौती महसूस करता है ।महात्मा गांधी जिन्हें आगे चलकर राष्ट्रपिता कहा गया, भी अपवाद नहीं थे। उनके जीवन पर खतरे केवल दम्भी गोरों के ही नहीं थे, बल्कि कट्टरवादी हिंदूओं के भी थे। वे लोग उनके उदारवादी…

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भारत को विश्वगुरु का दर्जा दिलाने में प्राचीन शिक्षा ही मुख्य आधार थी, उसी विश्वगुरु भारत ने दीर्घकाल काल तक चले संघर्ष एवं चरित्र एवं नैतिक बल के कमजोर होने के फलस्वरूप अपना गुरुत्व खो दिया। अपना गुरुत्व खो देने से भारत कमजोर हुआ। एक षडयंत्र के तहत अंग्रेजों ने भारत की सशक्त प्राचीन शिक्षा प्रणाली को कमजोर किया। इसके श्रेष्ठ वेद ज्ञान को गड़रियों के गीत अर्थात् मिथक घोषित कर शिक्षा की मूल धारा को बाधित किया। आजादी के संघर्ष के दौरान स्वदेश प्रेमियों ने इस बात को गहराई से समझ लिया था, लेकिन आजादी के बाद बनी सरकारों…

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केन्द्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान यूनियनों का भारत बंद एक बाद फिर आम जनता के लिये परेशानियों का सबब बना। हाइवे रोके गये, रेल की पटरियों पर प्रदर्शनकारियों ने रेल यातायात को अवरूद्ध किया। जनजीवन अस्तव्यस्त हुआ, परेशानियों के बीच आम आदमी का जीवन थमा ही नहीं, कड़वे अनुभवों का अहसास बना। जो जनता को दर्द दें, उनकी परेशानियां बढ़ाये, उन्हें किस तरह लोकतांत्रिक कहां जा सकता है? दुष्टों की एकजुटता ही जगत में कष्टों की वजह है। जब तक सज्जन एकजुट नहीं होंगे, तब तक जगत ही कोई समस्या हल नहीं होगी। और सज्जनों का…

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ही कानों में अंगुलियां डालने वालों को शायद मालूम नहीं कि यह उनके रक्त में ही नहीं, सांसों में समायी हुई है, जिन्दगी उसी से चलती है, उसी से वे संचालित है। हम जो हर दिन आंख खोलते और बन्द करते हुए चैबीस घंटे की जिन्दगी पूरी करते है, उसमें कुछ भी राजनीति से अछूता नहीं है। हम और हमारा जीवन राजनीति मेें लिप्त है और वही राजनीति हमारे यहां एक अलग तरह का माहौल पैदा कर रही है जिसमें राजनीतिक दल और राजनेता एक दूसरे को मर्यादाएं सिखा रहे हैं, एक तरह से राजनीति में दूसरे को मर्यादा का…

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देश के वास्तविक इतिहास, आजादी के सच्चे योद्धाओं, ऐतिहासिक धरोहरों, हिन्दू परंपराओं और प्रतीकों के प्रति कांग्रेसी दुराग्रह ने इतिहास एवं ऐतिहासिक घटनाओं को धुंधलाया है। इस देश की उत्कृष्ट परंपराओं और विचारों को दकियानूसी और पिछड़ा करार दिया गया। योग, आयुर्वेद और संस्कृत भाषा के प्रति जो दुराग्रह रहा, उसका परिणाम हुआ कि ये विलुप्त होने के कगार पर आ गईं। आज जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों से हर वर्ष 21 जून को योग दिवस मनाया जाता है तो कतिपय राजनीतिक दल इस अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का मजाक उड़ाते हैं और इससे जुड़े कार्यक्रमों से दूर रहते है।…

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हम तालिबान-अफगानिस्तान में बच्चियों एवं महिलाओं पर हो रही क्रूरता, बर्बरता शोषण की चर्चाओं में मशगूल दिखाई देते हैं लेकिन भारत में आए दिन नाबालिग बच्चियों से लेकर वृद्ध महिलाओं तक से होने वाली छेड़छाड़, बलात्कार, हिंसा की घटनाएं पर क्यों मौन साध लेते हैं? इस देश में जहां नवरात्र में कन्या पूजन किया जाता है, लोग कन्याओं को घर बुलाकर उनके पैर धोते हैं और उन्हें यथासंभव उपहार देकर देवी मां को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं वहीं इसी देश में बेटियों को गर्भ में ही मार दिये जाने एवं नारी अस्मिता एवं अस्तित्व को नौंचने की त्रासदी…

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पंजाब के आज के ताजा घटनाक्रम पर एक निष्पक्ष, विश्लेषणात्मक और त्वरित आलेख भेज रहा हूँ। विश्वास है कि नए-पुराने तमाम घटनाक्रमों को जोड़कर एक साथ सारी जानकारियाँ और संभावनाओं पर दृष्टिपात करने वाला यह आलेख जरूर उपयोगी लगेगा। इसी विश्वास के साथ प्रेषित कर रहा हूँ।

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गुजरात में मुख्यमंत्री बदले जाने के बाद जिस तरह सभी पुराने मंत्रियों को हटा कर नए चेहरों को मौका दिया गया, वह बहुत बड़ा राजनीतिक बदलाव ही नहीं बल्कि एक अभिनव राजनीतिक क्रांति का शंखनाद है। इसके पहले शायद ही कभी ऐसा हुआ हो कि मुख्यमंत्री को हटाए जाने के साथ ही पुराने सभी मंत्रियों की भी विदाई कर दी जाए। गुजरात में ऐसा हुआ तो इसका मतलब है कि भाजपा नेतृत्व राज्य की सरकार को नया रूप-स्वरूप प्रदान करना चाहता था और इसके जरिये लोगों को व्यापक बदलाव का संदेश देना चाहता था। राजनीति से परे भारतीय जनता को…

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