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Author: Lok Shakti
सशक्त एवं विकसित भारत निर्मित करने, उसे दुनिया की आर्थिक महाशक्ति बनाने और कोरोना महामारी से ध्वस्त हुई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की दृष्टि से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा मंगलवार को लोकसभा में प्रस्तुत आम बजट इसलिए विशेष रूप से उल्लेखनीय है, क्योंकि मोदी सरकार ने देश के आर्थिक भविष्य को सुधारने पर ध्यान दिया, न कि लोकलुभावन योजनाओं के जरिये प्रशंसा पाने अथवा कोई राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश की है। यह कदम एक ऐसे समय उठाया गया जब राजनीतिक दृष्टि से सबसे अहम राज्य उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों के चुनाव होने जा रहे हैं और…
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में पल-बढ़ रहे सबसे बड़े रोग भ्रष्टाचार को लेकर चिंता जाहिर की है और फिर से देशवासियों का ध्यान इस ओर आकर्षित किया है। भ्रष्टाचार एक दीमक की तरह है जो देश को, उसकी अर्थव्यवस्था को, विकासमूलक कार्यों को और कुल मिलाकर नैतिकता एवं मूल्यों को खोखला कर रहा है। यह उन्नत एवं मूल्याधारित समाज के विकास में बड़ी बाधा है। शासन व्यवस्था की भ्रष्टता सशक्त भारत निर्माण का बड़ा अवरोध है। हाल में ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल की ओर से जारी भ्रष्टाचार अवधारणा सूचकांक में भारत को दुनिया भर के 180 देशों की सूची में 85वां…
आम-जनता को गुमराह करने, उसका ध्यान जरूरी मुद्दों से हटाने, सरकार को घेरने के लिये अतार्किक मसलों को हवा देने और संसदीय सत्र में अवरोध पैदा करने की स्थितियां विपक्ष के द्वारा बार-बार खड़ी की जाती रही हैं, जिन्हें लोकतंत्र के लिये उचित नहीं कहा जा सकता। एक बार फिर बजट सत्र में विपक्ष पेगासस के जासूसी यंत्र को लेकर सरकार को घेरने की तैयारी कर रहा है। प्रत्येक सत्र के पूर्व इस तरह की तैयारी अब एक चलन का रूप ले चुकी है। दुर्भाग्य की बात यह है कि यह प्रवृत्ति अब अनियंत्रित होती दिख रही है। यही कारण…
देश की राजधानी दिल्ली के कस्तूरबा नगर में गणतंत्र दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्व के दिन हुई गैंगरेप की घटना ने एक बार फिर हमें शर्मसार किया है, झकझोर दिया है। बड़ा सवाल यह है कि नारी अस्मिता को कुचलने की हिंसक मानसिकता का तोड़ हम अब भी क्यों नहीं तलाश पा रहे हैं? क्यों नये-नये एवं सख्त कानून बन जाने के बावजूद नारी की अस्मिता एवं अस्तित्व असुरक्षित है? क्यों हमारे शहरों को ‘रेप सिटी ऑफ द वर्ल्ड’ कहा जाने लगा है। आखिर कब तक महिलाओं के साथ ये दरिन्दगीभरी एवं त्रासद घटनाएं होती रहेंगी? नारी की अस्मत का सरेआम…
गोल पोस्ट बदलने में माहिर देश की ताजा राजनीति ने फिर से नेताजी सुभाषकी प्रतिमा के और अमर जवान ज्योति को बुझाकर अन्य ज्योति में विलयकरने जैसे मुद्दों को सामने लाकर नई बहस खड़ा करने की कोशिश कीहै।जिससे आगामी चुनाव में सामयिक मुद्दों पर चर्चा टाली जा सके। सभीजानते हैं कि किंग जार्ज की मूर्ति जब 1968 में इंडिया गेट से हटाई गई थी तोमाना गया था कि साम्राज्यवाद के प्रतीकों का यहां पर रहना उचित नहीं है।किंग जार्ज की मूर्ति यहां से हटाकर कोरोनेशन पार्क में लगा दी गई थी। तबयहां पर लगाने के लिए महात्मा गांधी की मूर्ति…
केन्द्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा लोकसभा में आम बजट प्रस्तुत करने का समय आ रहा है। अगले हफ्ते मंगलवार को प्रस्तुत होने वाले आम बजट में आखिर क्या निकलेगा? यह कुतूहलभरी नजरे सभी की इस बजट पर टिकी है। कोरोना महामारी के विगत दो वर्षों के संकटों एवं आर्थिक असंतुलन से बेहाल सभी हैं, इनकी बेहाली दूर करना एवं एक संतुलित आम बजट की प्रस्तुति वित्त मंत्री की सबसे बड़ी चुनौती है। महंगाई बढ़ी है, बेरोजगारी भी सबसे ऊंचे स्तर पर है, छोटे व्यापारियों के सम्मुख बड़े-बड़े संकट हैं, अमीरी-गरीबी की खाई भी बढ़ी है और गरीब ज्यादा गरीब हुए…
कई सारे परिवर्तनों से देश गुजरा है, गुजर भी रहा है। स्वतंत्रता के पहले और बादकी स्थितियाँ-परिस्थितियाँ काफी अलग हैं, बदली हुई हैं तथा निरंतर बदल भी रहीं हैं। सचतो यह है कि नागरिकों में उनके अधिकारों के प्रति चेतना बल्कि कहें जनचेतना का जो भावदिख रहा है, उसके मूल में कहीं न कहीं स्वतंत्रता और संविधान ही है। एक लोकतांत्रिकगणराज्य होने के चलते हर भारतवासी अपनी स्वतंत्रता को अक्षुण्ण रखने के लिए कटिबध्दहै वहीं संविधान के प्रति भी पूरी जिम्मेदारी के साथ भारतवासी होने पर गर्व भी करता है।1950 में भारत सरकार अधिनियम 1935 को हटाकर भारतीय संविधान लागू…
कोरोना महामारी ने जीवन के मायने ही बदल दिये हैं, इस महाप्रकोप के समय में हर व्यक्ति किसी-ना-किसी परेशानी से घिरा हुआ है, भय और जीवनसंकट के इस दौर में ऐसा लगता है मानो खुशी एवं मुस्कान तो कहीं गुम हो गई है। बावजूद इन सबके हर व्यक्ति को अपने जीवन में कुछ समय ऐसा जरूर निकालना चाहिए जिसमें खुशी, शांति एवं प्रसन्नता के पल जीवंत हो सके, इसका सशक्त माध्यम है पर्यटन। जब भी कोरोना महाप्रकोप से सुरक्षित हो जाये, खुशियों को फिर से गले लगाने के लिये पर्यटन पर जरूर निकलना चाहिए। जीवन में पर्यटन के सर्वाधिक महत्व…
गणतंत्र दिवस हमारा राष्ट्रीय पर्व है, इसी दिन 26 जनवरी, 1950 को हमारी संसद ने भारतीय संविधान को पास किया। इस दिन भारत ने खुद को संप्रभु, लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया गया। बहत्तर वर्षों में हमारा गणतंत्र कितनी ही कंटीली झाड़ियों में फँसा रहा। लेकिन अब नये भारत में इन राष्ट्रीय पर्वों को मनाते हुए संप्रभुता का अहसास होने लगा है। गणतंत्र का जश्न सामने हैं, जिसमें कुछ कर गुजरने की तमन्ना भी है तो अब तक कुछ न कर पाने की बेचैनी भी है। हमारी जागती आंखों से देखे गये स्वप्नों को आकार देने का विश्वास है तो जीवन…