- सीएम डैशबोर्ड नागरिक सुविधा के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग का उत्कृष्ट उदाहरण : मुख्यमंत्री डॉ. यादव
- छत्तीसगढ़ के इन 4 जिलों में खुलेंगे स्पेशल कोर्ट, NDPS मामलों की होगी सुनवाई, राज्य सरकार ने जारी की अधिसूचना….
- दिल्ली के 23 स्कूलों को बम की धमकी वाले ईमेल भेजने के आरोप में 12वीं कक्षा के छात्र को हिरासत में लिया गया |
- यूएस नेशनल गार्ड को बुलाया गया, जीवित बचे लोगों ने मलबे का सर्वेक्षण किया
- फ़सल सुरक्षा की आधुनिक तकनीक अपनाएँ किसान
- घने कोहरे के कारण दिल्ली में उड़ानों में देरी, स्पाइसजेट के फ़्लायर ने 2 घंटे की प्रतीक्षा की: ‘मेरी गोद में एक शिशु है’ | रुझान
- आपके लिए जरुरी खबर: 69 प्रतिशत युवाओं की फिजिकल एक्टिविटी पर पड़ा असर, सोशल मीडिया डाल रहा है नकारात्मक प्रभाव – Rajasthan post
- विजिलेंस ब्यूरो ने ग्लाडा क्लर्क को 1500 रुपये रिश्वत लेते गिरफ्तार किया
Author: Lok Shakti
इसमें कोई शक नहीं कि काँग्रेस अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। उसके बाद भीचिन्तन करना बताता है कि उम्मीदें बाँकी है। सच में चिंतन से ही सार निकलता है। लेकिनक्या काँग्रेस के उदयपुर चिन्तन शिविर में सिवाय शीर्ष नेताओं की मौजूदगी और उनके उनकेबनाए स्क्रिप्ट के अलावा धरातल की विषय वस्तु पर भी विचार हुआ होगा? जवाब क्या हैकहने की जरूरत नहीं, सबको पता है, नहीं। मुझे एकाएक शरद जोशी का चर्चित और पुरानाव्यंग याद आ गया जिसमें उन्होंने काँग्रेस पर तगड़ा कटाक्ष किया था। 1977 में तब काँग्रेसकी तीस साल की हुकूमत के मौके पर लिखा…
भगवान बुद्ध भारत की सांस्कृतिक विरासत की अमूल्य धरोहर है। उनका समग्र जीवनदर्शन मानवीय कल्याण के हितार्थ ज्ञान की खोज के लिए मात्र 29 वर्ष की आयु में परमवैभव के साम्राज्य और सांसारिक सुखों के आकर्षण के परित्याग की पराकाष्ठा है। उनकाजन्म 583 ईसा पूर्व नेपाल की तराई में लुंबिनी में हुआ था। इनके बचपन का नाम सिद्धार्थथा। जिसका अर्थ है अभिलाषा का पूर्ण हो जाना क्योंकि उनके जन्म से सभी की अभिलाषाएंपूर्ण हुई इसलिए उनका नाम सिद्धार्थ रखा गया। पिता शाक्य गणराज्य के राजा शुद्धोधनऔर माता महामाया थीं। इनके जन्म को हिमालय के तपस्वी ऋषि असिता ने अलौकिकअसाधारण बताते…
बुद्ध जयन्ती/बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध धर्म में एवं मानवता में आस्था रखने वालों का एक प्रमुख त्यौहार है। बुद्ध जयन्ती वैशाख पूर्णिमा को मनाया जाता हैं। पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध का स्वर्गारोहण समारोह भी मनाया जाता है। बुद्ध की कीर्ति किसी एक युग तक सीमित नहीं हैं। उनका लोकहितकारी चिन्तन एवं कर्म कालजयी, सार्वभौमिक, सार्वकालिक एवं सार्वदैशिक है और युग-युगों तक समाज का मार्गदर्शन करता रहेगा। गौतम बुद्ध एक प्रकाशस्तंभ हैं, बुद्ध पूर्णिमा न केवल बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए बल्कि सम्पूर्ण मानव जाति के लिये एक महत्वपूर्ण दिन है। उनको सबसे महत्वपूर्ण भारतीय आध्यात्मिक महामनीषी, सिद्ध-संन्यासी, समाज-सुधारक…
रूस-यूक्रेन युद्ध रुकने का नाम नहीं ले रहा है, जैसे-जैसे समय बीत रहा है, अधिक विनाश एवं विध्वंस की संभावनाएं बढ़ती जा रही है। विश्व युद्ध का संकट भी मंडराने लगा है। रूस-यूक्रेन के युद्ध विराम के मामले में भारत ने प्रयास किये, उसे व्यापक प्रयास करते हुए युद्ध विराम का श्रेय हासिल करना चाहिए था, ऐसा करने की सामर्थ्य एवं शक्ति भारत एवं उसके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पास है, यूक्रेन-विवाद शांत करने के लिए भारत की पहल सबसे ज्यादा सार्थक हो सकती है लेकिन जो पहल हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की, उसे आगे बढ़ाना चाहिए था, लेकिन…
डॉक्टरों की माताओं को उनके अथक समर्थन और अपने बच्चों को चिकित्सा पेशे की ओर अग्रसर करने के लिए उनका सम्मान किया गया। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की दक्षिणी दिल्ली शाखा द्वारा विश्व मातृत्व दिवस पर इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल और लायंस क्लब नई दिल्ली अलकनंदा के संयुक्त तत्वावधान में यह सम्मान समारोह अपोलो सभागार में आयोजित किया गया, जिसमें लगभग 60 डाॅक्टरों की माताओं को पौधा, पुस्तक एवं माला देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर डाॅक्टरों ने मां की महिमा को व्यक्त करने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए।डॉ शांति बंसल, निदेशक चिकित्सा सेवा-अपोलो अस्पताल, डॉ चंचल पाल-अध्यक्ष, डॉ जीएस ग्रेवाल-महामंत्री,…
आचार्य महाश्रमण भारत की संत परम्परा के महान् जैनाचार्य है, जिस परंपरा को महावीर, बुद्ध, गांधी, आचार्य भिक्षु, आचार्य तुलसी और आचार्य महाप्रज्ञ ने अतीत में आलोकित किया है। अतीत की यह आलोकधर्मी परंपरा धुंधली होने लगी, इस धुंधली होती परंपरा को आचार्य महाश्रमण एक नई दृष्टि प्रदान कर रहे हैं। यह नई दृष्टि एक नए मनुष्य का, एक नए जगत का, एक नए युग का सूत्रपात कही जा सकती है। वे आध्यात्मिक इन्द्रधनुष की एक अनूठी एवं सतरंगी तस्वीर हैं। उन्हें हम ऐसे बरगद के रूप में देखते हैं जो सम्पूर्ण मानवता को शीतलता एवं मानवीयता का अहसास कराता…
विश्व मातृ दिवस महिलाओं के अस्तित्व एवं अस्मिता से जुड़ा एक ऐसा दिवस है जो मातृ शक्ति की सार्थक अभिव्यक्ति देता है। जननी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापन का तथा मातृशक्ति की अभिवंदना का यह एक स्वर्णिम अवसर है। माँ की महिमा को उजागर करने वाला ऐतिहासिक दिन है। सेवा और समर्पण की साक्षात् प्रतिमूर्ति मातृ-शक्ति ने समाज और राष्ट्र को सृजनात्मक एवं रचनात्मक दिशाएँ दी हैं। अपने त्याग और बलिदान से परिवार, समाज और राष्ट्र की अस्मिता को बचाने का हर संभव प्रयत्न किया है। यहाँ तक कि परिवार संस्था की आधारभित्ति भी मातृ-शक्ति के इर्द-गिर्द ही टिकी हुई है।…
धार्मिक व साम्प्रदायिक भावना को धार देकर देश में भय, अशांति एवं अराजकता पैदा कर, वर्ग विशेष की सहिष्णुता को युगों से दबे रहने ही संज्ञा देकर, एक को दूसरे सम्प्रदाय के आमने-सामने कर देने का कुचक्र एक बार फिर फन उठा रहा है। यह साम्प्रदायिकता के आधार पर बंटवारे का प्रयास है और मकसद, वही सत्ता प्राप्त करना या सत्ताधारियों को कमजोर करना है। एक उत्सवी माहौल को खौफ और तनाव की स्थिति में तब्दील कर देने की सीख तो कोई धर्म दे ही नहीं सकता, लेकिन साम्प्रदायिक उन्माद को बढ़ाने में राजनीतिक पोषित असामाजिक तत्वों का तो हाथ…
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल देश एवं दुनिया में मुफ्त की सुविधाओं के लिये जाने जाते हैं। अब उन्होंने दिल्ली में रहने वाले लोगों के लिए निशुल्क योग कराने का निर्णय लिया है, क्योकि दिल्ली के आम-आदमी का भागदौड़ की प्रदूषणभरी जिंदगी में शरीर, मन और आत्मा स्वस्थ्य नहीं है, ऐसे में योग उनकी बड़ी मदद कर सकेगा, ऐसा विश्वास है। निश्चित ही यह एक स्वागतयोग्य कदम है। राजनीति का मकसद सिर्फ सत्ता हासिल करना नहीं, बल्कि उन्नत एवं स्वस्थ जीवनशैली प्रदत्त करना भी है, इस दृष्टि से दिल्ली सरकार ने योग और मेडिटेशन को जन आंदोलन बनाकर दिल्ली के घर-घर तक…
अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस पूरे विश्व में 29 अप्रैल मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस की शुरुआत 29 अप्रैल 1982 से हुई। ‘बैले के शेक्सपियर’ की उपाधि से सम्मानित एक महान् रिफॉर्मर एवं लेखक जीन जार्ज नावेरे के जन्म दिवस की स्मृति में यूनेस्को के अंतर्राष्ट्रीय थिएटर इंस्टीट्यूट की डांस कमेटी ने 29 अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस के रूप स्थापित किया है। जीन जार्ज नावेरे ने 1760 में ‘लेर्टा ऑन द डांस’ नाम से एक पुस्तक लिखी थी, जिसमें नृत्य कला की बारीकियों को प्रस्तुत किया गया। जबकि नृत्य की उत्पत्ति भारत में ही हुई है, यहां की नृत्य कला…