Tags: जल्लीकट्टू बनाम कॉपर प्लांट, तमिलनाडु तूतीकोरिन, वेदांता स्टरलाइट , हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड, कॉपर एक्सपोर्ट
जल्लीकट्टू तमिल नाडु के ग्रामीण इलाक़ों का एक परंपरागत खेल है जो पोंगल त्यौहार पर आयोजित कराया जाता है और जिसमे बैलों से इंसानों की लड़ाई कराई जाती है। जल्लीकट्टू को तमिलनाडु के गौरव तथा संस्कृति का प्रतीक कहा जाता है। ये 2000 साल पुराना खेल है जो उनकी संस्कृति से जुड़ा है। तमिलनाडु में जल्लीकट्टू को हरी झंडी मिल गई है।
अब प्रश्र यह उठता है कि देश के विकास के लिये हो रहे प्रोजेक्ट को हरी झण्डी मिलनी चाहिये या उसे लाल झण्डी दिखाकर बंद कर देना चाहिये। अर्थात विकास कार्यों पर विराम लगा देना चाहिये।
तमिलनाडु के तूतीकोरिन में वेदांता स्टरलाइट कॉपर इकाई को बंद करने की मांग को लेकर लगभग सौ दिनों के विरोध के बाद प्रदर्शनकारी हिंसक हो गए और उन्होंने कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया. इस पूरी घटना में कम से कम 11 लोगों के मारे जाने और 30 से ज्यादा लोगों के घायल होने की खबर है. इस मामले में समझने वाली बात यह है कि आखिर लोग वेदांता की इस इकाई का विरोध क्यों कर रहे हैं.
वेदांता के इस कॉपर प्लांट को 2013 में तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता ने कथित गैस रिसाव के बाद बंद करने का आदेश जारी किया था, लेकिन कंपनी एनजीटी में चली गई और मामला कई सालों तक चलता रहा. वर्तमान वेदांता का यह प्लांट सालाना 400,000 टन कॉपर कैथोड का उत्पादन कर सकता है और अब कंपनी इसे दुनिया का सबसे बड़ा कॉपर एक्सपोर्ट करने वाला प्लांट बनाना चाहती है.
यह वेदांता की स्टरलाइट कॉपर इकाई द्वारा चलाया जाता है जो वेदांता स्टरलाइट लिमिटेड के नियंत्रण में है. कंपनी लंदन में सूचीबद्ध वेदांता की बहुमत स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है. यह संयंत्र तूतीकोरिन में मीलवितन में पिछले 20 साल से चल रहा है.
इससे पहले इस संयंत्र 27 मार्च को रखरखाव के कारण 15 दिन के लिए बंद कर दिया गया था क्योंकि कंपनी इसकी उत्पादन क्षमता को दोगुना करना चाहती है. स्टरलाइट कॉपर तूतीकोरिन में अभी 400,000 टन प्रतिवर्ष उत्पादन करने वाली एक यूनिट का संचालन कर रही है और कंपनी प्रति वर्ष 800,000 टन तक स्मेल्टर पर क्षमता को दोगुना करने की योजना बना रही है. कंपनी का कहना है कि यूनिट को आवश्यक परमिट प्राप्त हैं और उसने किसी भी मानदंड का उल्लंघन नहीं किया है.
इस संयंत्र के बंद होने के दौरान तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अप्रैल में स्मेल्टर संचालित करने के लिए वेदांता के लाइसेंस को खारिज कर दिया था और कहा कि कंपनी ने स्थानीय पर्यावरण कानूनों का पालन नहीं किया. स्टरलाइट ने इस कदम को चुनौती दी है. अब इस मामले में 6 जून को अगली सुनवाई स्थगित कर दी गई है. स्थानीय लोगों का यह भी आरोप है कि कंपनी ने कॉपर गलाने के बाद इसे नदी में बहा दिया और इसकी रिपोर्ट जारी नहीं की.
यहं के निवासी पिछले 100 दिनों से स्मेल्टर (धातु गलाने का कारख़ाना) बंद करने की मांग कर रहे हैं, लोगों का आरोप है कि स्मेल्टर अपने क्षेत्र के भूजल प्रदूषित कर रहा है. इस प्लांट के आसपास दस किलोमीटर के क्षेत्र में करीब 4.6 लाख लोग, आठ कस्बे और 27 गांव हैं.
देश में कॉपर की मांग में प्रति वर्ष लगभग 7 से 8 फीसदी बढ़ती है ऐसे में यदि वेदांता का यह प्लांट को बंद किया जाता है तो इससे देश का एक्सपोर्ट बुरी तरह प्रभावित होगा. वेदांत स्टरलाइट और आदित्य बिड़ला समूह के हिंडाल्को इंडस्ट्रीज लिमिटेड भारत में दो सबसे बड़े तांबा उत्पादक हैं.
जबकि केंद्र सरकार सार्वजनिक क्षेत्र इकाई हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड की प्रति वर्ष 99,500 टन तांबे का उत्पादन करने की क्षमता है. हालांकि हिंडाल्को इंडस्ट्रीज और स्टरलाइट भारत के तांबा बाजार पर हावी है. हिंडाल्को में वर्तमान में 5 लाख टन और स्टरलाइट 4 लाख टन तांबे का उत्पादन करने की क्षमता है.
Nationalism Always Empower People
More Stories
विंडोज 10 में नोटपैड को नोटपैड++ से कैसे बदलें – सांस्कृतिक राष्ट्रवाद
स्वामी दयानन्द सरस्वतीः क्रांतिकारी धर्मगुरु व राष्ट्रनिर्माता
क्यों अमृतकाल को धूंधलाने में लगा है विपक्ष?