लखीमपुर खीरी में किसानों के उपद्रव के बाद भड़की हिंसा में चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत ने योगी सरकार और बीजेपी को बैकफुट पर ला दिया है,जबकि गैर बीजेपी दल फं्रट पर मोर्चां संभाले हुए हैं। सीएम योगी को इस बात का अहसास हो गया है कि चुनावी मौसम में किसान प्रकरण उनकी सरकार और बीजेपी के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकता है। इसी लिए सरकार के स्तर पर बैठकों और मनाने का दौर शुरू हो गया है। पूरे प्रकरण को जिस तरह से स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने हैंडिल किया,उससे भी सीएम खफा बताए जाते हैं। बीजेपी को डर सता रहा है कि चार किसानों की मौत उसके लिए सियासत का कब्रगाह न बन जाए। इसी लिए सीएम योगी आदित्यनाथ रविवार देर शाम अपना गोरखपुर दौरा रद कर लखनऊ लौट आए। सरकार और बीजेपी को चिंता इस बात की भी सता रही है कि कल ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लखनऊ आ रहेे हैं। लखीमपुर की घटना के चलते उन्हें भी ‘कड़वा घूंट’ पीना पड़ सकता हैं। बीजेपी आलाकमान नहीं चाहेगी कि लखीमुपर घटना का असर मोदी की लखनऊ यात्रा पर दिखाई दे तो विपक्ष और किसान नेता मोदी के सामने भी विरोध व्यक्त करने का मौका तलाशते रहेंगे। ताकि अधिक से अधिक सियासी फायदा उठाया जा सके। इन्हीं सब बातों को देखते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ लखीमपुर खीरी की पल-पल की सूचना ले रहे हैं। वह इस प्रयास में हैं कि लखीमपुर की ‘आग’ को जितनी जल्दी हो सके ‘ठंडा’ कर दिया जाए। इसी लिए सोमवार यानी आज भी उन्होंने अपने सरकारी आवास पर वरिष्ठ मंत्रियों तथा वरिष्ठ अफसरों बैठक की है। अब इस बैठक के नतीजे सामने आने बाकी हैं,लेकिन बैठक के बाद सरकार मृतक किसानों के परिवार वालों के लिए मुआवजे सहित अन्य कई घोषणाएं कर सकती है,इसके साथ ही कुछ गिरफ्तारियां भी सकती हैं। मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर आज सोमवार डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य व डॉ. दिनेश शर्मा तथा संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना के साथ लखीमपुर खीरी की हिंसा को लेकर बैठक की। इस बैठक में मुख्य सचिव आरके तिवारी के साथ पुलिस महानिदेशक मुकुल गोयल, अपर मुख्य सचिव गृह तथा शासन के अन्य बड़े अधिकारी भी थे। सीएम योगी आदित्यनाथ ने सभी के साथ लखीमपुर में हिंसा की घटना तथा इसके प्रभाव समेत विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा की। सीएम योगी आदित्यनाथ ने मुख्य सचिव तथा डीजीपी से इस पूरे मामले की रिपोर्ट भी तलब की है। बैठक में पीएम मोदी के लखनऊ दौरे की भी चर्चा हुई। यूपी सरकार पर दिल्ली का भी दबाब है। दिल्ली नहीं चाहता है कि लखीमपुर हिंसा के चलते मोदी के दौरे का गलत मैसेज जनता के बीच जाए।