शिक्षित लोगों से आशा की जाती है कि वे समाज को सही दिशा प्रदान करेंगे। उनकी जिम्मेदारी है कि लोगों को सही और ग़लत का अर्थ बताएं। जो राज्य शिक्षित राज्यों में आते हैं वहां पर अपराधों की संख्या अधिक है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
हम साक्षरता दर के आधार पर स्थिति को समझते हैं। पहले हम उन राज्यों के अपराधों के बारे में समझेंगे जिनकी साक्षरता दर अधिक है, जिन्हें शिक्षित राज्य समझा जाता है। जिन की साक्षरता दर 80% से अधिक है जैसे केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और दिल्ली।
केरल देश का सबसे शिक्षित राज्य है। केरल की आबादी 4 करोड़ से कम है और यहां साक्षरता 94 प्रतिशत है। केरल जैसे छोटे से राज्य में 2016 में 707870 मामले आपराधिक मामले दर्ज किए गए। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2018 में केरल राज्य में 512167 आपराधिक मामले दर्ज किए गए।
दिल्ली जहां की आबादी 2 करोड़ 50 लाख और साक्षरता 86.34 प्रतिशत है वहां पर वर्ष 2018 में 262612 आपराधिक मामले दर्ज हुए।
महाराष्ट्र जिसकी आबादी 12.5 करोड़ है और यहां की पढ़े लिखे लोगों की संख्या 82.91 प्रतिशत है। यहां पर वर्ष 2018 में अपराध के 515674 मामले दर्ज किए गए।
तमिलनाडु की आबादी लगभग 8 करोड़ है और यहां के 80.5 प्रतिशत लोग शिक्षित हैं। तमिलनाडु में वर्ष 2018 में 499188 आपराधिक मामले दर्ज किए गए।
अब हम देखते हैं आंकड़े उन राज्यों के जहां का साक्षरता का प्रतिशत कम है जैसे बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड और उत्तर प्रदेश।
छत्तीसगढ़ की आबादी 3 करोड़ 22 लाख की और यहां का साक्षरता प्रतिशत 71 प्रतिशत है यहां पर महज 98233 आपराधिक मामले वर्ष 2018 में दर्ज किए हैं।
उत्तर प्रदेश जनसंख्या के हिसाब से देश का सबसे बड़ा राज्य है। यहां की जनसंख्या लगभग 24 करोड़ के आसपास और साक्षरता दर लगभग 70 प्रतिशत है। उत्तर प्रदेश में वर्ष 2018 में 585157 आपराधिक मामले दर्ज किए गए।
बिहार की जनसंख्या 12 करोड़ है और यहां का साक्षरता दर 63.82 प्रतिशत है। वर्ष 2018 में 262815 आपराधिक मामले दर्ज किए गए।
झारखंड की आबादी 4 करोड़ से अधिक है, साक्षरता प्रतिशत 67.63 प्रतिशत से संबंधित है लेकिन वर्ष 2018 में केवल 55664 अपराधिक मामले की जांच में दर्ज किए गए।
इससे यह स्पष्ट हो रहा है कि जहां जिस राज्य में साक्षरता की दर अधिक है, उस राज्य में अपराधों की संख्या भी अधिक है। जिस राज्य में साक्षरता की दर कम है, अशिक्षित लोगों की संख्या ज्यादा है, उस राज्य में अपराधियों की संख्या भी कम है। अधिकतर अपराधों को अंजाम पढ़े-लिखे व्यक्तियों द्वारा दिया जा रहा है ना कि अशिक्षित या अनपढ़ व्यक्तियों के द्वारा।
अपराध या अपराधों की संख्या को साक्षरता दर से जोड़ कर नहीं देखा जाना चाहिए, लेकिन आंकड़े यही कहानी कह रहे हैं। अगर हम राज्य की जनसंख्या, साक्षरता दर और अपराधों की संख्या को ध्यान में रखते हुए आंकलन करें तो यही पाएंगे कि जिस राज्य में शिक्षा का प्रतिशत जितना ज्यादा है अपराधों की संख्या भी उतनी ही अधिक है। यह वाकई विचारणीय है। कहीं न कहीं दोष शिक्षा व्यवस्था में भी है जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।